इंदौर – लोक स्वास्थ्य के प्रति कटिबद्ध एकेडमी ऑफ इंदौर मैराथनर्स ने कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की प्रेरणा देने के लिए ‘येलो डायमंड इंदौर मैराथन” का आयोजन किया। यह मैराथन का सातवाँ वर्ष था और इस बार की थीम ‘ दौड़ लगाओ, कोरोना भगाओ” रखी गई थी। कोरोना महामारी के प्रकोप को ध्यान में रखकर इस बार की मैराथन में कई बदलाव किए गए थे। देश भर में बड़ी लोकप्रियता होने के बावजूद सीमित प्रतिभागियों को ही इसमें शामिल किया गया था और कोरोना संबंधी सभी नियमों का सख्ती से पालन करवाया गया था। मैराथन के पहले महिला सुरक्षा, स्वच्छता और ट्रैफिक नियमों का पालन करने की शपथ भी दिलाई गई।
20 हजार की बजाय 5 हजार प्रतिभागी, फ्लैगऑफ की बजाय सांकेतिक शुरुआत –
एकेडमी ऑफ इंदौर मैराथनर्स द्वारा आयोजित इस मैराथन की लोकप्रियता इतनी है कि यहां हर वर्ष देश भर के साथ ही विदेशों से भी प्रतिभागी शामिल होने आते हैं। हर वर्ष प्रतिभागियों की संख्या करीब 20 हजार होती है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी को ध्यान में रखकर सिर्फ 5 हजार प्रतिभागियों को ही इसके लिए रजिस्टर्ड किया गया था। आमतौर पर सभी प्रतिभागियों को एक ही समय पर इकट्ठा कर फ्लैगऑफ कर शुरुआत की जाती है लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया। 10 और 21 किमी. की मैराथन सुबह पौने छह बजे और पांच किमी. की मैराथन सुबह आठ बजे सांकेतिक रूप से शुरू की गई। एकेडमी के संरक्षक श्री कैलाश विजयवर्गीय ने सांकेतिक शुरुआत करते हुए महिला सुरक्षा की शपथ दिलवाई। उन्होंने कहा कि देश की आधी आबादी महिलाओं की है। जहां नारी की पूजा होती है वहां महिलाओं, लड़की के साथ छेड़छाड़ और अपराध होना घोर निंदनीय है। इसलिए महिला सुरक्षा के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने की जरुरत है।
कोविड प्रोटोकॉल का पालन करवाने पर सबसे ज्यादा जोर-
एकेडमी के अध्यक्ष डॉ. अरूण अग्रवाल* ने बताया कि मैराथन में बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल हुए। हमारा सबसे ज्यादा जोर इस बात पर था कि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन पूरी तरह से हो। इसके लिए बगैर मास्क प्रवेश प्रतिबंधित किया गया था। हैंड वॉश, सैनिटाइजेशन भी सख्ती से करवाया गया और प्रतिभागियों के लिए स्टेडियम में पहुंचने के बाद भी मास्क अनिवार्य किया गया था। सिर्फ दौड़ते समय मास्क हटाने की रियायत दी गई थी। सोशल डिस्टेनसिंग के साथ मैराथन पूरी करवाई गई। मैराथन पूरी होने के बाद प्रतिभागियों को यहां रूकने नहीं दिया गया और ड्रायफ्रूट पैकेट्स, मेडल आदि देकर हाथोंहाथ रवाना किया गया ताकि भीड़ इकट्ठा न हो।
इस तरह के आयोजन से दूर होती है नकारात्मकता-
एकेडमी के सचिव विशाल मुदगल ने कहा कि लोगों के मन में पैदा हुए कोरोना के डर को दूर करने और खुद को स्वस्थ बनाए रखने के उद्देश्य से यह मैराथन करवाई गई थी। इस तरह के आयोजन से समाज में फैलने वाली नकारात्मकता दूर होती है और हमारे मन में बीमारियों से लड़ने का आत्मविश्वास पैदा होता है। इसलिए इस बार की थीम ‘दौड़ लगाओ, कोरोना भगाओ” रखी गई थी।
यातायात नियमों के पालन में भी इंदौर को बनाएं नंबर वन-
रेस डायरेक्टर विवेक सिंघल ने कहा कि हमारा इंदौर शहर चार वर्षों से स्वच्छता में नंबर वन है लेकिन अब यातायात नियमों का पालन कर खुद को नंबर वन साबित करने की बारी है। इस दिशा में जागरुकता के साथ काम करने की जरुरत है। इसके लिए शपथ ग्रहण करवाई गई कि शहर के नागरिक खुद भी यातायात नियमों का पालन करेंगे और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे। रोटरी क्लब ऑफ इंदौर के पदाधिकारियों व सदस्यों द्वारा शपथ ग्रहण करवाकर नियमों का पालन करने की प्रेरणा दी गई।
सम्मिलित प्रयासों और सामूहिक सहयोग से मिली सफलता-
एकेडमी के अध्यक्ष डॉ. अरूण अग्रवाल ने कहा कि कोरोना के कारण हमारा देश बेहद कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा है और इस तरह के विपरीत समय में ऐसे आयोजन बड़ी चुनौती साबित होते हैं, लेकिन इंदौर शहर के लोगों, जिला प्रशासन, पुलिस, ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम के सम्मिलित प्रयासों और सामूहिक सहयोग से ही यह सफल हो पाया है। कहीं किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई। एकेडमी ऑफ इंदौर मैराथनर्स इन सभी का आभार मानता है और इसके बाद भी अगर कोई कमी रही हो या चूक हुई हो तो जनता व जिम्मेदार विभागों से क्षमा मांगता है। इस मौके पर प्रशासन के कार्यक्रम ‘सम्मान” में महिलाओं की सुरक्षा पर जोर दिया गया जबकि स्वच्छता, यातायात नियमों पर भी बात की गई। इस मौके पर येलो डायमंड के एमडी अमित कुमठ, अनंत सरिया के मयंक बंसल भी विशेष रूप से मौजूद थे।
यह था मैराथन का रूट-
21 किमी. मैराथन नेहरू स्टेडियम से शुरू होकर यहीं पर खत्म हुई। स्टेडियम से बीआरटीएस से जीपीओ चौराहा, शिवाजी वाटिका होते हुए पलासिया चौराहा से रीगल तिराहा, राजवाड़ा पहुंची। यहां से गांधी हॉल होते हुए फिर पलासिया चौराहा, एलआईजी तिराहा, तीन पुलिया होते हुए फिर एलआईजी तिराहा और यहां से विजय नगर पहुंची। फिर एलआईजी तिराहा लौटते हुए पलासिया चौराहा, गीता भवन चौराहा होकर स्टेडियम पहुंची।