Indore Pride Day : मालवा उत्सव में झलकी देशभक्ति की भावना, हुए रंगारंग कार्यक्रम

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Indore : “मां अहिल्या की नगरी इंदौर में गौरव दिवस के अंतर्गत बनाए जा रहे मालवा उत्सव में आज देशभक्ति की भावना ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया गुजरात बारडोली से आए टीवीश व्यास समूह द्वारा वायलिन की धुन पर गुजराती लोक नृत्य गरबे का सुंदर प्रस्तुतीकरण किया जिसमें आषाढ़ उमाराम मेघमल्हारम, दिल दिया है जान भी देंगे, जय हो जैसे देश भक्ति के तरानो पर गुजराती गरबा पेश कर सबका मन मोह लिया। लोक संस्कृति मंच के संयोजक व सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि सागर से आए कलाकारों ने यादव समाज का प्रसिद्ध नृत्य जो कि कृष्ण की बाल लीलाओं पर आधारित था।

प्रस्तुत किया बोल थे “कौन गुजरिया की नजर लगी जे हलको डालें” यह कार्तिक मास की अमावस्या से पूर्णिमा तक किया जाता है स्थानीय कलाकार आशीष पिल्लई के साथ करीब 20 से अधिक कलाकारों ने केरल का लोक नृत्य थिरूवादिराकली प्रस्तुत किया जिसमें महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती नजर आई वहीं भरतनाट्यम के द्वारा शिव आराधना भो शंभो शिव शंभो स्वयंभौ प्रस्तुत की और अंत में मातृभूमि को समर्पित करते हुए नृत्य के माध्यम से भारत को विश्व गुरु बनाने की कामना दर्शाई गई।

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डिंडोरी मध्य प्रदेश से धूलिया जनजाति के लोक कलाकारों द्वारा विवाह मांगलिक अनुष्ठानों पर किया जाने वाला नृत्य गुदुम बाजा प्रस्तुत किया उन्होंने हाथों वह शरीर पर कोडियो से बने पट्टे पहने हुए थे और पिरामिड बनाकर दर्शकों को रोमांचित कर दिया। आरंभ कत्थक स्टूडियो की दयमंती भाटिया के निर्देशन में 35 नृत्यांगनाओ ने शुद्ध कत्थक में गणेश वंदना जय जयति गज वदन के साथ शुरुआत की और अंत में काली स्तवन से दर्शकों की तालियां बटोरी ।वहीं महाराष्ट्र से आए कलाकारों ने लयबद्ध व चपलता दर्शाती हुई प्रसिद्ध लोक नृत्य लावणी का प्रस्तुतीकरण किया और मंच पर उत्साह भर दिया।

14 कलाकारों के इस समूह में हरि,लाल व बैंगनी रंग की साड़ियों में नृत्य किया बोल थे “खेलता ना रंग बाई होलीचा” कर्नाटक से आए कलाकारों ने ढोल कुनिथा नृत्य लयबद्ध रूप से ढोल बजाकर उछल उछल कर प्रस्तुत। किया वही काठियावाड़ी रास जो कि गुजरात भावनगर के गोहिलवाड मे कोली जाति द्वारा किया जाता है प्रस्तुत किया जिसमें सफेद वस्त्र पहनकर पांव में घुंघरू बांधकर डांडिया खेला गया आमने-सामने बैठकर खूबसूरती से तालबध्द डांडिया खेलना सबके मन को भा गया। महाराष्ट्र मे विभिन्न खुशी के अवसर पर बजाऐ जाने वाला प्रसिद्ध ढोल पथक भी प्रस्तुत हुआ।

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सिंधी समुदाय का पारंपरिक लोक नृत्य छेज प्रस्तुत किया गया जिसे “बदी जो नच” अर्थात डांस आफ यूनिटी एकता का नृत्य कहा जाता है का सुंदर प्रस्तुतीकरण हुआ जिसमें एक बेहतरीन तालमेल देखा गया इसकी मुख्य विशेषता थी डांडिया द्वारा नृत्य करना यह खुशी के मौके पर किया जाने वाला नृत्य है। लोक संस्कृति मंच के नितिन तापड़िया रितेश पाटनी एवं कमल गोस्वामी ने बताया की दिवस 30 मई को शिल्प बाजार का प्रारंभ दोपहर 4:00 बजे से बजे से होगा एवं 30 मई को गणगौर, कोली, गुजराती गरबा, काठियावाड़ी रास बरेदी, राम ढोल लोक नृत्य होंगे।

मध्य प्रदेश की सरकार कला और संस्कृति को लगातार महत्व देती रहेगा आने वाले 10 साल में समय में इंदौर शहर हैदराबाद और बेंगलुरु से आगे होगा देवी अहिल्या के संस्कार इंदौर शहर में है उन्होंने हमें सिखाया है अपने लिए जिए तो क्या जिए देश समाज शहर के लिए जीना चाहिए अभी तो इंदौर स्वच्छता में ही नंबर वन है आगे और भी कई क्षेत्रों में नंबर वन होगा इंदौर उन्होंने मालवा उत्सव एवं मालवा उत्सव के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी का एवं उनकी टीम का लोक संस्कृति एवं कला को बढ़ावा देने के लिए धन्यवाद दिया इंदौर जनसेवा जनभागीदारी का और जो समर्थ नहीं है उनके सहयोग का भी एक मॉडल इंदौर बनना चाहिए यशस्वी मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन शिवराज सिंह  चौहान मैं आज मालवा उत्सव के मंच पर यह उद्गार व्यक्त किए।