राजवाड़ा 2 रेसीडेंसी

Shivani Rathore
Published on:
rajwada to residency

अरविंद तिवारी: बात यहां से शुरू करते हैं

• अपने मंत्रियों और आला अफसरों को लेकर 13 साल की अपनी तीन पारियों में सामान्यतः नरम रवैया अख्तियार करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नई पारी में नए अंदाज में हैं। वह अब कामकाज में कोताही को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर रहे हैं, खासकर जनता से सीधे तौर पर जुडे मामलों में। कई मौकों पर तो ऐसा भी हुआ है कि उन्होंने संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव या अतिरिक्त मुख्य सचिव के बजाय मंत्री को ही तलब कर अपनी नाराजगी का इजहार कर दिया। नतीजा यह मिल रहा है कि अब विभाग प्रमुखों के साथ ही मंत्री भी अलर्ट रहने लगे हैं और मुख्यमंत्री का बुलावा उनके दिल की धड़कन बढ़ा देता है। कहा जा सकता है कि कुछ-कुछ नरेंद्र मोदी जैसा अंदाज है इन दिनों शिवराज सिंह चौहान का।

• किसी ने बिल्कुल सही कहा है कि किसी के भाग्य से नहीं लड़ा जा सकता है। सालों पहले जब कांग्रेस के कई दिग्गज राज्यसभा में जाने की जोड़-तोड़ में लगे थे, अचानक डॉक्टर विजय लक्ष्मी साधौ का नाम सामने आया और वह राज्यसभा में पहुंच गईं। बाद में जब विधानसभा चुनाव हुए तो भाजपा में ही बगावत हो गई और राजकुमार मेव के निर्दलीय खड़ा हो जाने के कारण डॉक्टर साधौ विधानसभा में पहुंच मंत्री बन गईं। अब नेता प्रतिपक्ष पद की दौड़ में चल रहे तमाम नामों के बीच यकायक डॉक्टर साधौ का नाम सामने आ गया और कोई बड़ी बात नहीं कि फैसला भी उन्हीं के पक्ष में हो जाए।

• मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष के चुनाव ने एक बार फिर राहुल गांधी की ब्रिगेड के सदस्य जीतू पटवारी की घेराबंदी का मौका दे दिया है। पार्टी के तमाम नेताओं के निशाने पर पटवारी हैं और उन्हें लग रहा है कि इस चुनाव में पटवारी से पुराना हिसाब बराबर किया जा सकता है। वोटों के समीकरण को प्रभावित करने वाले इन सारे क्षत्रपों को एकजुट करने का जिम्मा युवक कांग्रेस के पिछले चुनाव में पटवारी की अति सक्रियता के कारण कुणाल चौधरी से मुकाबले में शिकस्त खाने वाले कांग्रेस के दिग्गज महेश जोशी के बेटे पिंटू जोशी ने ले रखा है।‌

• विवादों से विजय शाह का पुराना वास्ता है। चाहे विधायक रहे हों या मंत्री विवाद हमेशा उनके पीछे लगे ही रहते हैं। अभिनेत्री विद्या बालन को डिनर का ऑफर देना और उनके द्वारा उसे अस्वीकार किए जाने के बाद शूटिंग क्रू के साथ वन विभाग के अफसरों के बर्ताव ने कई पुराने विवादों को ताजा कर दिया है। मध्य प्रदेश की जनता को यह भी अच्छे से याद है कि एक बार तो अपनी टिप्पणी के कारण शाह को मंत्री पद से हाथ धोना पडा था। उनकी यह टिप्पणी सालों तक लोग भूल नहीं पाए थे। हालांकि विद्या बालन एपिसोड के बाद ‘सरकार’ के रवैये को देखते हुए शाह को बैकफुट पर आना पड़ा है।

• विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस की करारी हार ने कई दिग्गजों को काम पर लगा दिया है। ‌उपचुनाव के नतीजों ने इन दिग्गजों की चिंता बढ़ा दी है। विधानसभा चुनाव में हालांकि अभी 3 साल बाकी हैं लेकिन सत्ता में वापसी के तमाम समीकरण गड़बड़ाने के बाद ये दिग्गज अब प्रदेश की नेतागिरी छोड़ अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों में सक्रिय हो गए हैं। बात मालवा निमाड़ की करें तो कांतिलाल भूरिया, सज्जन सिंह वर्मा, बाला बच्चन,उमंग सिंगार और जीतू पटवारी ने अब दिल्ली और भोपाल की राजनीति छोड़ अपने क्षेत्रों की चिंता करना शुरू कर दिया है। इनकी आवाजाही तो बढ़ी ही है साथ ही क्षेत्र के लोगों से बात करने का इनका तरीका भी बदल गया है।

• तुलसी सिलावट के फिर से मंत्री बनने और रमेश मेंदोला को मंत्री बनने का मौका मिलने तक सांसद शंकर लालवानी की बल्ले-बल्ले है। वे फिर सरकारी बैठकों की सदारत करने लगे हैं और फिर से मुख्यमंत्री व स्थानीय प्रशासन के बीच समन्वयक की भूमिका में आ गए हैं। इंदौर से जुड़े जिन मामलों में मध्यप्रदेश या केंद्र सरकार से मदद मिलना है उन प्रस्तावों को भी लालवानी गति दिलवा रहे हैं। अपने कामकाज का फीडबैक सीधे जनता से लेने का भी लालवानी को फायदा मिल रहा है और यही सीधा संवाद उन्हें नौकरशाही के कमजोर पक्ष से भी वाकिफ करवा रहा है।

• राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को केडर रिव्यू के मामले में राज्य सरकार के रवैये से थोड़ी आस तो बंधी है। पुलिस मुख्यालय से साल भर पहले आगे बढ़े केडर रिव्यू के प्रस्ताव में भले ही कई बार बदलाव हुआ हो लेकिन गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ राजेश राजौरा अब इसे मूर्त रूप देते नजर आ रहे हैं। फर्क बस इतना ही है कि पुलिस मुख्यालय चाहता था कि भारतीय पुलिस सेवा के सीधी भर्ती के जो पद प्रदेश में रिक्त पड़े हैं, उनमें से 35 राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को मिल जाएं, लेकिन वित्त विभाग 10-20 पदों की अनुशंसा ही दिल्ली भेजने का पक्षधर है। अब सारा जोर इस बात पर है कि कैसे भी हो यह संख्या थोड़ी और बढ़ जाए

• कुछ ही समय पहले इंदौर के पॉश इलाके में पदस्थ हुए एक सीएसपी से क्षेत्र के होटल व्यवसायी और शराब दुकानदार बेहद परेशान हैं। सीएसपी दरअसल क्षेत्र की होटलों में आए दिन मेहमानों को रुकवाने और उनके लिए शराब की डिमांड करते हैं, जिसके चलते कई शराब दुकानदारों ने उनका फ़ोन उठाना बंद कर दिया है। सबसे अहम बात तो यह है कि सीएसपी साहब मंत्रीजी और विभाग के एडीजी स्तर के एक अधिकारी के रिश्तेदारों को ठहराने के नाम पर यह सब कर रहे हैं। दोनों को शायद ही इस बात की जानकारी हो कि उनके नाम पर सीएसपी साहब अपने मित्रों और रिश्तेदारों को होटल में ठहराने से लेकर उनकी पूरी व्यवस्था कर रहे हैं।

चलते चलते

जनवरी में आईजी पद पर पदोन्नत हो रहे इंदौर डीआईजी हरिनारायणचारी मिश्रा किस रेंज के आईजी होंगे, इसको लेकर पुलिस महकमे में अच्छी खासी चर्चा है। यह भी देखना है कि इंदौर डीआईजी के पद पर सुशांत सक्सेना, सचिन अतुलकर और राजेश हिंगनकर में से किसे मौका मिलता है।

पुछल्ला

तुलसी सिलावट भारतीय जनता पार्टी में रमेश मेंदोला के बाद सबसे ज्यादा भरोसा किस पर करते हैं तो इसका एक ही जवाब है मधु वर्मा।

अब बात मीडिया की

• आखिर ऐसा क्या है कि राजस्थान में दैनिक भास्कर को नई ऊंचाई देने वाले लक्ष्मी प्रसाद पंत का मध्यप्रदेश आना बार बार टल जाता है। एक बार फिर उनके जल्दी भोपाल आने के संकेत मिल रहे हैं।

• खेल पत्रकारिता में मध्यप्रदेश में एक अलग पहचान रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार किरण वायकर ने जागरण नई दुनिया समूह को बाय बाय कर दिया है। इन दिनों वे नईदुनिया डिजिटल में अहम भूमिका में थे।‌ नई भूमिका का खुलासा किरण जल्दी ही करेंगे।

• इंदौर के प्रेस कांप्लेक्स के मामले में राज्य सरकार का रूख कुछ अखबार मालिकों की चिंता बढ़ा सकता है। पहले दौर में इंदौर विकास प्राधिकरण ने जो कार्रवाई की है वह इसी रुख का संकेत है।

• जागरण समूह मध्यप्रदेश में अपने दोनों प्रकाशन नईदुनिया और नवदुनिया का कामकाज कम करने की तैयारी में है। कुछ एडिशन बंद करने के साथ ही ब्यूरो का कामकाज भी और सीमित किया जा रहा है।