कोरोना महामारी के कारण देश में डिजिटल ट्रांसक्शन की संख्या काफी बढ़ गयी है, जिसके बाद से अब लोगो बिना कुछ सोचे समझे इंटरनेट के किसी भी ऑनलाइन सुझाव पर भरोसा कर इस साइबरक्राइम का शिकार हो रहे है। दरसल जब लॉकडाउन का समय था तो सभी सुविधाएं ऑनलाइन कर दी गयी थी ऐसे में इंदौर से साइबर क्राइम से जुड़ा एक मामला सामने आया है, बता दे कि कोरोना में लाॅकडाउन के बाद बैंको व कई कंपनियो ने अपने ग्राहकों की सुविधा के लिए ऑनलाइन सुझाव की सुविधा शुरू की है, जिसक मतलब है बिना बैंक या कम्पनी में जाये वेबसाइट से एक क्लिक कर समस्या का समाधान हो जाता है।
बैंको की इस सुविधा का फायदा उठाते हुए कुछ लोग इसका फायदा उठाकर लोगो का फायदा उठा रहे है। इस सुविधा का दुर्पुयोग कर इसके उपयोग से ऑनलाइन ठगी कर रहे है। ऐसे लोग नामी कंपनियों, बैंको, जोमैटो व् स्वीगी जैसी कंपनियों का फायदा उठाकर लोगो को शिकार बना रहे है। इन वेबीसाइटों की आड़ में इन ठगो ने अपनी खुद की एक फ़र्ज़ी वेबसाइट बनाकर गूगल पर दाल रखी है, इस बात से अनजान लोग बिना कुछ सोचे समझे हूबहू दिखने वाली फ़र्ज़ी वेबसाइट के झांसे में आ जाते है। जिसके बाद क्लिक करते ही ठग बेवसाइट के माध्यम से निजी जानकारी ऑनलाइन ले लेते हैं और खाते से रुपए निकाल लेते हैं। इसी कड़ी में शहर में लाॅकडाउन के बाद से अब तक 50 मामलों में इस तरह की शिकायतें आई हैं।
इस ठगी में ये लोग हूबहू उसी प्रकार दिखने वाले ऑप्शन पर क्लिक करते ही बेवसाइट ने खाता, पेन, आधार कार्ड नंबर सहित अन्य जानकारी मांगते है और लोग इस जानकरी को बिना कुछ सोचे इस दे देते है। इसके बाद एक ओटीपी आता है, ओटीपी डालते ही कुछ देर में बैंक से 10-10 हजार रुपये कटने लगे और खाते से 80 हजार रुपये निकल गए। इसी तरह से कई अन्य लोगों के साथ ठगी हुई है। क्राइम ब्रांच और साइबर सेल मामले में तकनीकी माध्यम से बदमाशों का पता लगा रही है।