संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा का आज इंदौर में बतौर संभागायुक्त एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण हो गया है। एक वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने अपनी संपूर्ण ऊर्जा कोरोना से निर्मित परिस्थितियों का सामना करने में लगायी है और इसमें सफलता भी प्राप्त की है। घनी और बड़ी आबादी होने के कारण इंदौर कोरोना के लिए हॉट स्पॉट बन गया था। इंदौर के साथ-साथ संभाग के झाबुआ, आलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर इत्यादि जिले अंतर्राज्यीय सीमा के कारण विशेष तौर पर संवेदनशील भी बन गए थे।
ऐसे में पूरे संभाग के लिए एक रणनीति बनाकर कार्य करना निश्चित तौर पर एक चुनौती थी और इस चुनौती में डॉ. शर्मा सफल सिद्ध हुए हैं। इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज के प्रशासकीय मुखिया होने के नाते डॉ. शर्मा ने मेडिकल संसाधन बढ़ाने और उन्हें क्रियाशील बनाए रखने में भी सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने इंदौर सहित संभाग के सभी ज़िलों में ऑक्सीजन की सतत् आपूर्ति के लिए जी जान लगाकर कार्य किया।
एक समय में जब ऑक्सीजन के लिए त्राहि-त्राहि मच रही थी, ऐसे में उन्होंने पीथमपुर में एक निजी उद्यम के साथ मिलकर तेज़ी से ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना कराई और इससे संभाग के सभी ज़िलों के साथ-साथ हरदा और उज्जैन सहित अन्य ज़िलों में भी ऑक्सीजन की आपूर्ति संभव हो सकी। उनके बेहतर समन्वय से इंदौर एयरपोर्ट में आक्सीजन टैंकर की लगातार एयरलिफ़्टिंग की गई, जिससे ऑक्सीजन की सतत् आपूर्ति संभव हो सकी।
संभागायुक्त ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत विभिन्न शासकीय अस्पतालों में कोविड के भर्ती मरीज़ों के उपचार के लिए बिस्तरों की संख्या बढ़ायी और उनके उपचार के लिए हरसंभव प्रयास किए। उन्होंने वक़्त की ज़रूरत को देखते हुए इंदौर और खंडवा के मेडिकल कॉलेज में नर्सों की भर्ती की प्रक्रिया भी प्रारंभ कराई और पूरी पारदर्शिता के साथ तेज़ी से यह प्रक्रिया भी सम्पादित कराई। नतीजा रहा कि संभाग में ढाई सौ से अधिक नर्सों की नियुक्ति हो सकी और कोरोना के इस कठिन काल में मरीज़ों के उपचार में महत्वपूर्ण मदद मिली।
संभागायुक्त डॉ. शर्मा ने लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा कलेक्टरों और चिकित्सा जगत से संवाद बनाए रखा। एक समय था जब ऑक्सीजन की कमी के कारण अस्पतालों में ऑक्सीजन के बेहतर उपयोग का नवीन प्रश्न भी उपस्थित हुआ। संभागायुक्त डॉ. शर्मा की पहल पर एमजीएम मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन के बेहतर उपयोग के लिए कार्यशाला भी आयोजित हुई और इसमें कुछ मार्गदर्शी सिद्धांतों का निर्धारण भी किया गया। कोविड के उपचार के लिए गाइडलाइन बनाने में भी उन्होंने पहल की है।
डॉ. शर्मा ने इस दौरान संभाग के विभिन्न ज़िलों का ख़ुद भ्रमण भी किया और वहाँ जाकर परिस्थितियां देखी और मौक़े के अनुरूप निर्णय भी लिए। अपनी सरलता सहज स्वभाव और कार्य के प्रति समर्पण के लिए जाने जाने वाले डॉ. पवन शर्मा का कहना है कि एक शासकीय सेवक के लिए चुनौतियां कभी कम नहीं होती हैं। अब जबकि कोरोना का प्रकोप कम हुआ है ऐसे में एक नई चुनौती ब्लैक फंगस हमारे सामने उपस्थित है।
इसके लिए भी आवश्यक दवाओं की आपूर्ति के लिए सतत् प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश की एक कंपनी से भी समन्वय किया, जिसका नतीजा हुआ कि इंदौर और प्रदेश को बड़ी संख्या में एंटी फंगस इंजेक्शन प्राप्त हुए हैं। डॉ. शर्मा का कहना है कि अब इन सभी परिस्थितियों के बीच विकास कार्य फिर से शुरू करने हैं। समूचे संभाग में अब बारिश की शुरुआत होते ही खेती किसानी के काम भी प्रारंभ होंगे। किसानों को बीज-खाद की सतत् आपूर्ति होती रहे, इस पर उन्होंने ध्यान देना प्रारंभ कर दिया है।