Indore News: मोघे ने दिया जोर का झटका धीरे से, मुख्यमंत्री से मिलकर दिखाया अपना पावर

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जिला प्रशासन और जिला आपदा प्रबंध समिति द्वारा 15 जून से शहर को खोलने की तैयारी की जा रही थी। इसके लिए 14 जून को समिति की बैठक संभावित थी। इसमें भी शहर को कितना खोला जाएगा इसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई थी लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेता कृष्ण मुरारी मोघे ने इसके पहले ही जिला आपदा प्रबंध समिति के सदस्यों और जिला प्रशासन को अपना पावर दिखा दिया । श्री मोघे इस पक्ष में थे कि जब उज्जैन, भोपाल आदि शहरों में सभी बाजारों को खोल दिया गया है तो फिर इंदौर में बाजारों को 15 जून तक इंतजार क्यों कराया जाए ? श्री मोघे ने इसके पूर्व ही जिला आपदा प्रबंध समिति के कुछ सदस्यों और जिला प्रशासन के अधिकारियों को अपनी भावनाओं से अवगत करा दिया था । इसके बावजूद श्री मोघे के सुझाव पर समिति ने कोई ध्यान नहीं दिया।

इसके चलते श्री मोघे ने अपनी बात मुख्यमंत्री से कहना ही बेहतर समझा। श्री मोघे शुक्रवार को भोपाल पहुंचे और इंदौर में कोरोना की स्थिति और बाजारों के खुलने की संभावनाओं पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा की। श्री मोघे ने कहा कि बाजारों को खोलने में किए जा रहे विलंब को लेकर व्यापारी वर्ग भाजपा से काफी नाराज है। उन्होंने कहा कि जितना विलंब किया जा रहा है उतनी व्यापारियों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। इसके बाद मुख्यमंत्री ने उसी दिन कलेक्टर कान्फ्रेंस में सभी कलेक्टरों को स्पष्ट निर्देश दिए कि अगर कोरोना की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है तो आवश्यक सुविधाओं और बाजारों को बंद नहीं रखा जाए उन्हें अविलंब खोला जाना चाहिए। सामान्य रूप से यह निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने इंदौर की स्थिति को लेकर भी इशारों में संकेत दे दिए ।

मुख्यमंत्री के संकेत के बाद इंदौर जिला प्रशासन ने आनन-फानन में शुक्रवार को ही जिला आपदा प्रबंध समिति की बैठक बुलाकर देर रात आदेश जारी कर दिया । इस आदेश में शनिवार से ही बाजारों को खोलने और अधिकांश सेवाओं को प्रारंभ करने की छूट दी गई । इस तरह श्री मोघे ने एक फिर भाजपा के स्थानीय नेताओं और जिला प्रशासन के अधिकारियों को यह दिखा दिया कि अभी उनमें बहुत दम बाकी है उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। मौके के प्रयासों से इंदौर शहर के नागरिकों को मिली छूट के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधि इस छूट का श्रेय लेने के लिए अपनी राजनीति चमकाने दौड़ पड़े । इन जनप्रतिनिधियों को अपनी इस कोशिश में नाकामी ज्यादा मिली । इसका कारण यह है कि सोशल मीडिया के माध्यम से मोघे के द्वारा किए गए प्रयास की जानकारी छूट का ऐलान होने के पूर्व ही इंदौर के लोगों को मिल चुकी थी।