कोरोना महामारी के चलते देश में लॉकडाउन किया गया था, जिस कारण सभी विभाग के काम काज के साथ शिक्षा विभाग भी बंद क्र दिया गया था। जिस कारण बच्चो की पढ़ाई का काफी नुक्सान हो रहा था लेकिन इस बीच जब स्कूल नहीं खुल रहे थे तो बच्चो को पढाने के लिए डिजिटल प्टफोर्म का सहारा लिया था, जिसमे बच्चो को ऑनलाइन क्लास के जरिये शिक्षा दी जा रही थी। लेकिन इस समय में कई ऐसे बच्चे भी थे जो लॉकडाउन की समस्या से जूझ रहे थे और इस बीच कई बच्चो के पास स्मार्टफोन नहीं थे तो कइयों के पास नेट की सुविधा थी जिस कारण उनकी पढ़ाई में दिक्क़ते आ रही थी और वो इस ऑनलाइन को नहीं ले पा रहे थे। इस समस्या की घडी में इंदौर के पास महु से एक प्राचार्य का किस्सा सामने आय है।
लॉकडाउन के समय में जब बहुत से बच्चो के पास स्मार्टफोन नहीं होने के कारण ऑनलाइन क्लास नहीं ले पा रहे थे तब इंदौर के पास महू के मॉडल स्कूल के प्राचार्य ने ऐसे बच्चो की मदद के लिए आगे आये और कई किलोमीटर दूर जाकर खुद बच्चो के घर उन्हें नोट्स उपलब्ध कराये जिससे उनकी पढ़ाई नहीं रुकी यह कहानी हम सभी के लिए काफी प्रेरणा दायी साबित हुयी है, किस प्रकार एक स्कूल के प्राचार्य ने बिना किसी स्वार्थ के बच्चो की सहायता की और उन्हें शिक्षा दिलाने में मदद की। बता दे कि इस स्कूल में कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के तकरीबन 490 बच्चे यहां पढ़ते हैं, लेकिन शिक्षक काफी कम हैं।
स्कूल के प्राचार्य प्रदीप त्रिवेदी ने बतया कि “जब कोरोना काल में स्कूल बंद हो गए थे। काफी दिक्कत आई। माशिमं के एप्लीकेशन के माध्यम से पढ़ाई करवाई, लेकिन इसमें एक दिक्कत थी कि इसमें कोर्स हिन्दी में था। हमारे यहां अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या ज्यादा है। इसके बाद हमने उनके लिए अंग्रेजी में नोट्स तैयार किए और बच्चों को पढ़ाना जारी रखा।” साथ ही उन्होंने नोटस बच्चो को दिए उन्होंने बताया की इंदौर के पास “महू से कुछ किलोमीटर दूर औद्योगिक इलाके पीथमपुर और उसके आसपास रहने वाले 40 से ज्यादा बच्चे जो हमारे स्कूल में पढ़ते हैं। उनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं। इसलिए वे ऑनलाइन कक्षा में नहीं पढ़ सके, इसलिए उन सभी बच्चो को नोट्स उपलब्ध कराये गए।