इंदौर: कांग्रेसी विधायक संजय शुक्ला ने एमवाय अस्पताल और चाचा नेहरू अस्पताल पर जाकर छापामार कार्रवाई की । इस समय शहर में एक तरफ जहां कोरोनावायरस से संक्रमित मरीज अस्पताल मैं भर्ती होने के लिए परेशान हो रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इन अस्पतालों में पूरी की पूरी मंजिलें खाली पड़ी हुई है। इस तरह इन पीड़ितों के उपचार में शासन प्रशासन के द्वारा की जा रही लापरवाही उजागर होकर सामने आ गई है।
कोरोना से संक्रमित मरीजों को उपचार दिलाने और उपचार में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला के द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में आज सुबह विधायक शुक्ला एम वाय अस्पताल के दौरे पर पहुंचे। पिछले काफी समय से जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि एम वाय अस्पताल में कोरोनावायरस के संक्रमित मरीजों का बेहतर उपचार हो रहा है। पिछले दिनों यह भी आदेश जारी किया गया था कि इस अस्पताल की चौथी और पांचवी मंजिल को पूरी तरह से कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित कर दिया जाए।
आज जब कांग्रेस के विधायक संजय शुक्ला अपने साथियों के साथ इस अस्पताल पर पहुंचे तो वे यह देखकर हैरान रह गए कि सारे शहर में एक तरफ संक्रमित मरीज अस्पताल में भर्ती होकर उपचार प्राप्त करने के लिए मारे मारे फिर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ एमवाय अस्पताल में चौथी और पांचवी मंजिल पूरी तरह से खाली पड़ी हुई है। वहां पर एक भी मरीज भर्ती नहीं है।
इसके बाद विधायक शुक्ला के द्वारा एमवाय अस्पताल के ठीक पीछे स्थित चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय का दौरा किया गया । इस चिकित्सालय में भी कोरोना के मरीजों को भर्ती कर उसे कोरोना अस्पताल के रूप में सामने लाने का फैसला काफी पहले हो चुका है। आज जब विधायक वहां पहुंचे तो वही यह देख कर चौक गए कि यह पूरा अस्पताल खाली पड़ा हुआ है जिसमें कहीं भी एक भी मरीज भर्ती नहीं है। इसके बाद भी कोरोना के मरीजों को इस अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा रहा है। इन दो प्रमुख सरकारी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के उपचार की दिशा में जो स्थिति दौरे में उभर कर सामने आई उससे स्पष्ट है कि शासन प्रशासन के द्वारा व्यवस्थाओं को संजोने में लापरवाही की जा रही है । जिसका खामियाजा कोरोना के संक्रमित मरीजों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ रही है । इस समय इंदौर के सारे अस्पताल हाउसफुल है । ऐसे में हर दिन निकल कर सामने आ रहे कोरोनावायरस से पीड़ित नए मरीजों के उपचार के लिए कहीं कोई बेड नहीं है। शहर से ऑक्सीजन और इंजेक्शन की किल्लत भी दूर नहीं हो पा रही है। अस्पताल मैं भर्ती होने के इंतजार में मरीज दम तोड़ रहे हैं तोअस्पताल में भर्ती मरीज ऑक्सीजन इंजेक्शन नहीं मिलने के कारण भी दम तोड़ रहे हैं।