इंदौर : प्राकृतिक हादसा नहीं अफसरों की लापरवाही ने ली है 36 जानें, हाईकोर्ट में जनहित याचिका दर्ज

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इंदौर शहर के बेलेश्वर झूलेलाल महादेव मंदिर, पटेल नगर में हुई घटना में 36 लोगों की जान चली गई थी। इंदौर हाईकोर्ट में लगी एक जनहित याचिका में इस घटना को प्राकृतिक आपदा न मानकर अफसरों की लापरवाही और भ्रष्टाचार से हुआ हादसा बताते हुए दोषी अफसरों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कर उन्हें बर्खास्त करने की मांग की गई है।

मामले में हाईकोर्ट एडवोकेट चंचल गुप्ता ने यह याचिका दाखिल की है जिसमें राजेन्द्र सिंह अटल याचिकाकर्ता हैं। उक्त याचिका में प्रदेश के मुख्य सचिव, कलेक्टर, पुलिस आयुक्त, निगम कमिश्नर, सीबीआई को पक्षकार बनाया गया है।

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मृतकों की उम्र, आमदनी व परिजनों की निर्भरता के आधार पर दिया जाए उचित मुआवजा, सीबीआई से करवाई जाए जांच

एडवोकेट चंचल गुप्ता ने बताया कि याचिका में हमने हाईकोर्ट से मांग की है कि उक्त दुर्घटना प्राकृतिक आपदा नहीं होकर जिम्मेदार व वरिष्ठ अधिकारियों एवं कर्मचारीयों की लापरवाही एवं भ्रष्टाचार के परिणाम स्वरूप घटित हुई है इसलिए उक्त दुर्घटना की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सी.बी.आई.) से करवाई जाकर दुर्घटना के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों एवं नगर पालिका निगम इंदौर, जिला प्रशासन इंदौर व आपदा प्रबंधक समिति में शामिल अधिकारियों की भूमिका की जांच की जाकर दोषियों के विरूद्ध योग्य दण्डात्मक एवं विभागीय कार्यवाही की जाना चाहिए।

तत्कालीन निगमायुक्त की भूमिका की भी जांच हो

निगमायुक्त को शिकायत करने के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाए जाने के कारण से हुई दुर्घटना के लिए तत्कालीन निगमायुक्त प्रतिभा पाल की भूमिका की जांच की जाए एवं दोषी पाए जाने पर योग्य दण्डात्मक एवं विभागीय कार्रवाई की जाना चाहिए।

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उम्र, आमदनी व निर्भरता के आधार पर दिया जाए उचित मुआवजा

एडवोकेट गुप्ता ने बताया कि दुर्घटना में मृत व्यक्तियों के परिजनों एवं आश्रितों को मृतक की उम्र, आय, भविष्य में होने वाली आय, उस पर आश्रितों की संख्या एवं परिजनों को हुई मानसिक एवं भावनात्मक क्षति के आधार पर गणना कर न्यायोचित क्षतिपूर्ति की राशी (जो कि न्युनतम 10 लाख हो) विधि अनुसार गणना कर प्रदान की जाना चाहिए।

समयसीमा में हो शिकायतों का निराकरण

एडवोकेट गुप्ता ने बताया कि याचिका में यह भी मांग की गई है कि निगम के पास लंबित अतिक्रमण और अवैध निर्माण की शिकायतों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। साथ ही उनके निराकरण की समयसीमा तय होना चाहिए। ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों की पुनरावृत्ति न हो।