Indore : स्वास्थ विभाग और मृत्यु प्रमाण पत्र विभाग के समन्वय से लगभग 2500 से ज्यादा मृत्यु प्रमाण पत्र पहुंचाए लोगों के घर, बिना किसी एक्स्ट्रा टीम के 48 घंटो में पहुंचता है पत्र

Share on:

इंदौर। गौरतलब है कि किसी के घर में अपनों के चले जाने पर पहले लोगों को मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए भटकना पड़ता था। हर जगह इस प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है, इसके लिए मृत व्यक्ति के परिजनों को लाइन में खड़ा रहना पड़ता था, लेकिन नवंबर में महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा नगर निगम की मृत्यु प्रमाण पत्र घर पहुंच सेवा ने इसे आसान बना दिया है। अगर हम बात नगर निगम के इस 3 माह के प्रयास की करे तो पच्चीस सो के आसपास प्रमाण पत्र घर पहुंचा दिए गए है।

हर माह नगर निगम आठ सो से ज्यादा प्रमाण पत्र घर पहुंचाता है

नगर निगम द्वारा शहर में किसी की मृत्यु होने पर उनके परिजनों को किसी प्रकार की कोई समस्या ना हो इसको लेकर इस योजना की शुरुआत की गई है। नगर निगम के स्वास्थ्य प्रभारी अखिलेश उपाध्याय बताते है, कि जब से यह सेवा शुरू की है हर माह 800 सो से ज्यादा और इन तीन माह में 2500 सो के आसपास प्रमाण पत्र घर जाकर दिए है।

Read More : कानूनी पचड़े में फंसे Akshay Kumar, गृह मंत्रालय में दर्ज हुई शिकायत, जानें पूरा मामला

प्राकृतिक निधन में 48 घंटे तो अन्य केस में विभाग से डेटा आने के तुरंत बाद बनता है प्रमाण पत्र

प्राकृतिक निधन में शमशान या कब्रिस्तान से डेटा आता है उसी के आधार पर 48 घंटे के भीतर प्रमाण पत्र बनाकर उनके परिजन को दे दिया जाता है, वहीं एक्सीडेंटल, हॉस्पिटल या ऐसी मृत्यु जिनमें पेपर लगते है, ऐसे प्रमाण पत्र के लिए विभाग से जानकारी आने के बाद प्रमाण पत्र बनाया जाता है।

बिना एक्स्ट्रा टीम के कर रहे कार्य

स्वास्थ्य प्रभारी बताते है कि इस कार्य को करने के लिए किसी प्रकार की कोई टीम गठित नहीं की गई है, हमने मृत्यु प्रमाण पत्र विभाग और स्वास्थ्य विभाग के बीच समन्वय बिठाया और शुरू कर दिया। और बिना टीम के हमारे कर्मचारी अपने काम के अलावा इस कार्य को भी बखूबी अंजाम दे रहे हैं।

Read More : MP के रतलाम में बड़ा सड़क हादसा, ट्रक और बस की टक्कर में 2 लोगों की मौत, 15 से ज्यादा घायल

आधिकारी और कई बार जनप्रतिनिधि पहुंचा देते है प्रमाण पत्र

रोजाना शहर स्थित कब्रिस्तान और समशान से 3 बजे तक का डेटा वहां के एंट्री रजिस्टर से नगर निगम के ऑफिस पहुंच जाता है, इसके बाद विभाग द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर सीएसआई को पहुंचा दिया जाता है, इसके बाद सम्बंधित क्षेत्र के अधिकारी पीडीएफ को प्रिंट कर प्रमाण पत्र को परिजनों के दे देते है, वहीं कई बार जनप्रतिनिधि भी प्रमाण पत्र लेकर परिजन के घर जाते है।