इंदौर। खरगोन कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा की मानवीयता और संवेदनशीलता की बदौलत झिरन्या के मिटावल गांव की 9 वर्षीय बालिका को समय पर सही उपचार मिल पाया है। मिटावल कि राधिका का एक जुलाई को एमवाई अस्पताल में ओमेंटल सिस्ट का सफल ऑपरेशन डॉ. ब्रजेश लाहोटी द्वारा किया गया। ज्ञात हो कि 26 जून को कलेक्टर वर्मा को स्थानीय जनप्रतिनिधि नंदा ब्राह्मणे द्वारा अत्यंत जटिल हालात में जीवन गुजार रही राधिका के बारें में जानकारी मिली। खरगोन कलेक्टर वर्मा ने उसी दिन जिला अस्पताल बुलवाया और सिविल सर्जन डॉ. अमरसिंह चौहान से प्रकरण की अपडेट करने के निर्देश दिए। प्राथमिक जांच के बाद डॉ. चौहान ने इंदौर में ऑपरेशन के बारे में अवगत कराया। कलेक्टर वर्मा ने बालिका के उपचार के लिए डॉ. चौहान से कहा कि शासकीय या प्रायवेट अस्पताल में जहां भी ऑपरेशन सम्भव हो करवाये। इलाज में कमी न आने दे।
सिविल सर्जन ने एमवाय अस्पताल के पीडियाट्रिक विशेषज्ञ से सलाह ली
सिविल सर्जन डॉ. चौहान ने बताया कि कलेक्टर वर्मा के व्यक्तिगत रूप से निर्देश के बाद उन्होंने एमवाय अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डीन डॉ. ब्रजेश लाहोटी से मार्गदर्शन मांगा। डॉ. लाहोटी ने तुरंत एमवाय में रेफर करने को कहा। 28 जून को एमवाय में पीडियाट्रिक विभाग में वार्ड-15 में भर्ती किया गया। इसके बाद सोनोग्राफी के अलावा सिस्ट की व्यवस्थित जांच के बाद ऑपरेशन से निकालने का निर्णय लिया गया।
2 घण्टे चले ऑपरेशन में निकाली पानी की गठान
डॉ. लाहोटी ने बताया कि बच्ची को ऐसी जटिल स्थिति में लाया गया था कि कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन उन्होंने और उनकी टीम ने 2 घंटे ऑपरेशन में फुटबॉल के आकार की पानी की गठान निकालने में सफलता पायी। अब राधिका स्वस्थ है और करीब एक सप्ताह उसे ऑब्जर्वेशन में रखा जाएगा। डॉ. लाहोटी ने खास तौर पर सभी माता-पिता से कहा कि जब ऐसे लक्षण या कुछ अलग महसूस हो तो देर न करें। बीमारी को शुरुआत में दूर करने में आसानी होती है। देर करने से समस्याएं अत्यंत जटिल हो जाती है। ओमेंटल सिस्ट साधारण बात है ये किसी प्रकार की बीमारी नहीं है लेकिन गठान का आकार बढ़ने से समस्या जटिल हुई। किसी भी बच्चें में पेट फूलने, डाइजेशन (पाचन) नहीं होना और पेट दर्द बना रहना ही मुख्य लक्षण है।
बच्चों के साथ अमानवीय बर्ताव उचित नहीं, अंधविश्वास से दूर रहने की डॉक्टर ने दी सलाह
राधिका का ऑपरेशन करने वाले डॉ. लाहोटी ने सभी अभिभावकों से कहा कि बच्चों के साथ अमानवीय बर्ताव न करें। उपचार के नाम पर अंधविश्वास में न पड़े। राधिका के ऑपरेशन के समय कुछ ऐसे चिन्ह मिलें है। जो किसी अत्यंत गरम रॉड से पेट के अंदर के सिस्ट को जलाने का प्रयास लगता है। ऐसी अमानवीय हरकत कोई कैसे अपने बच्चों के साथ कर सकता है। जनजातीय समुदाय के लोगों को अब समझना होगा। मेडिसिन क्षेत्र अब बहुत आगे निकल चुका है। अंधविश्वास से हटकर अब लोगों को मेडिसिन का सहारा लेना चाहिए।
शासकीय अस्पताल में हुआ मुफ्त में इलाज
डॉ. लाहोटी ने बातों बातों में कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में गरीबी और अज्ञानता से ऐसे कई बच्चों की जान गई होगी। लेकिन अब गांवों में भी स्वास्थ्य केंद्र है। उन केंद्रों में जो आशा कार्यकर्ता की भी सलाह मानना होगा। राधिका का उपचार अगर किसी प्रायवेट अस्पताल में होता तो ऑपरेशन में 1.50 लाख रुपये का खर्च होता लेकिन शासकीय अस्पताल में मुफ्त में इलाज हुआ है। इसको समझने का प्रयास करें।