मंगलवार को पुलिस ने इंदौर में सुमित्रा महाजन के बेटे और पोते सिद्धार्थ महाजन के साथ शोरूम में मारपीट और तोड़फोड़ करने वाले आरोपियों का जुलुस निकाला। पुलिस ने मिलिंद महाजन के नेमावर रोड स्थित शोरूम पर घटना के मुख्य आरोपी, दर्जा प्राप्त मंत्री प्रताप करोसिया के भतीजे सौरभ करोसिया और उसके अन्य साथियों को ले जाकर उठक-बैठक करवाई और माफी भी मंगवाई।
पकड़े गए चारों आरोपियों का जुलूस पुलिस अब इनके गृह क्षेत्र राज मोहल्ला में निकालेगी। बताया जा रहा है की इन में से एक आरोपी अभी भी फरार है और एक तबियत ख़राब होने के कारण अस्पताल में भर्ती है।
ताई समर्थकों ने की सख्त कार्रवाई की मांग
भाजपा नेता और ताई समर्थक पूरे घटनाक्रम को लेकर सोमवार को पुलिस कमिश्नर से मिले। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और उनका जुलूस निकालने की मांग की। इस मामले में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी पुलिस कमिश्नर से चर्चा की है।
मामले को लेकर पुलिस कमिश्नर का बयान
ताई समर्थक इस पूरे मामले को लेकर मंगलवार को मुख्यमंत्री से मिलने वाले थे, लेकिन अब यह मुलाकात बुधवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव से होगी। इंदौर पुलिस कमिश्नर ने बताया कि 6 में से 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। यदि इनमें से किसी का आपराधिक रिकॉर्ड पाया जाता है, तो उसके खिलाफ अतिरिक्त कार्रवाई की जाएगी। मामले की जांच के लिए एक एसआईटी भी गठित की गई है। एक आरोपी अभी फरार है, जिसे जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
ये था पूरा मामला
ताई के बेटे मिलिंद महाजन का नेमावर रोड पर “मिडरवेस ऑटोमोबाइल” नामक शोरूम और सर्विस सेंटर है। भाजपा नेता प्रताप करोसिया ने अपनी गाड़ी सर्विस के लिए यहीं दी थी। शुक्रवार शाम को जब सौरभ वह गाड़ी लेने आए, तो बिना भुगतान के ही गाड़ी ले जाने की ज़िद करने लगे। मैनेजर भूषण दीक्षित ने उन्हें रोका, तो उन्होंने गालियां दीं और धमकी दी, “किसके बाप में हिम्मत है जो मुझे रोक ले।”
सौरभ के साथ सात-आठ अन्य लोग भी थे। मना करने पर उन्होंने मैनेजर भूषण को बुरी तरह पीटा, पत्थर उठाकर शोरूम के चैंबर पर फेंका और कुर्सियां भी तोड़फोड़ कीं। उन्होंने ताई के पोते सिद्धार्थ महाजन के साथ भी मारपीट की। इसके बाद जब सभी गाड़ी लेकर निकलने लगे, तो गार्ड गणेश दुबे ने रोकने की कोशिश की, लेकिन उस पर आरोपियों ने गाड़ी चढ़ाने का प्रयास किया।
एफआईआर दर्ज कराने के लिए मैनेजर पुलिस स्टेशन गए, लेकिन टीआई नीरज मेढा ने मामले को टालने की कोशिश की। बाद में जब मामला उच्च स्तर तक पहुंचा, तब सौरभ करोसिया के खिलाफ केस दर्ज हो पाया।