Indore : IMA में तनाव का प्रबंधन काम पर तनाव और क्रोध से कैसे छुटकारा पाएं विषय पर सत्र का हुआ आयोजन

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गुस्से का असर 72 घंटे तक मन व शरीर पर बना रहता है जब भी हम गुस्सा करते है तो उसका असर 72 घंटे तक हमारे शरीर पर बना रहता है ।विवाद व लड़ाई की स्थिति में जो व्यक्ति ज्यादा गुस्सा करता है ,शोर मचाता है व अपना आपा खो बैठता है उसे विजेता मान लिया जाता है ,लेकिन असली विजेता वो होता है जो इन विपरित परिस्थितियो में भी अपनी शांति व खुशी को बरकरार रखते हुए अपने शरीर के अंगों को गुस्से के दुष्प्रभाव से बचाता है और सामने वाले को भी शांत करने का प्रयास करता है।

जागरूक हो कर प्रेम व खुशी के लिए ब्रेन की वायरिंग करे

नई मेडिकल रिसर्च के अनुसार हमारे ब्रेन की कोशिकाएं यानी न्यूरॉन्स हम हमारे निर्देशानुसार सक्रिय कर सकते है।इन न्यूरॉन्स को जिन विचारो भावनाओ और व्यवहार के लिये के ज्यादा से ज्यादा समय तक फायर किया जाता है ब्रेन में उन्ही भावनाओ व व्यवहार के लिए तंत्रिकाओं का गहरा जाल बनता चला जाता है व मजबूत वायरिंग हो जाती है यही हमारे आदतन व्यवहार सोच व वाणी का हिस्सा बन जाता है।

।जब हम अपनी चेतना के द्वारा मन को निर्देशित करते हुए शांति, दया करुणा आत्मविश्वास और निस्वार्थ प्रेम से भरे विचार व भावनाओ की गहरी अनुभूति शिथिल मानसिक अवस्था मे करते है तो और इस प्रक्रिया को कई बार दोहराते है, साथ ही इसमें गाइडेड इमेजरी का भी सहारा लिया जाता है तो हमारे ब्रेन में बेहतर स्वास्थ्य और खुशी, शांति व प्रेम के न्यूरल पैटर्न्स बनते है और फिर यही भावनाये हमारी आदतन बन जाती है और स्ट्रेस मिटने लगता है ।ब्रेन को इन पॉजिटिव इमोशन्स के लिए पांच गुना ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।

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जब आप चेतना को यूनिवर्सल कॉन्सियनेस से जोड़ते हो तो उसकी ऊर्जा हमारे मस्तिष्क में नए न्यूरल सर्किट तैयार करते हुए नई कोशिकाओं को निर्मित करती है ।पॉजिटिव थॉट्स व इमोशन्स व व्यवहार आने लगता है,स्ट्रेस व गुस्सा कम होने लगता है।