आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ इंदौर ने किया जमीन धोखाधड़ी का बड़ा खुलासा, कई लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज

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इंदौर : आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ, (EOW) इकाई, इन्दौर के पुलिस अधीक्षक धनंजय शाह ने कृषि भूमि आवासीय बताकर फर्जी दस्तावेज तैयार कर बैंक से करोड़ों रु का लोन लेकर गबन करने के मामले में एक्शन लिया है. धनंजय ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि, पंजाब नेशनल बैंक, शाखा जवाहर मार्ग इन्दौर के बैंक मैनेजर नंदकिशोर द्वारा दी गई लिखित शिकायत पर एक्शन लिया गया. इस पर प्राथमिक जांच इकाई के उप निरीक्षक के.सी. पाटीदार द्वारा कराई गई. जांच में यह बात सामने निकलकर आई कि मेसर्स श्री राम इंटरप्राईजेस के प्रोप्राईटर शिलादित्य सिंह चौहान के द्वारा ऑटो पार्टस एवं टायर के व्यवसाय के लिए नगद शाखा ऋण प्राप्ति हेतु एक आवेदन दिया गया था, इसके साथ ही बंधक के रूप में अपने प्लॉट जो कि भैरव लाल सांवेर रोड़ इन्दौर से ग्राम कुमेडी तहसील सांवेर जिला इन्दौर में स्थित सर्वे नं 0 25/2/5/1 पैकी रकबा 0.051 आर.ए. (5500 वर्गफीट) की कृषि भूमि को डायवर्टेट जमीन के रूप मे भैरवलाल प्रजापति से 63,25000 / रू 0 में क्रय की थी. बैंक से ऋण प्राप्त करने के उद्देश्य से ही डायवर्टेट भूमि की 2,00,00000 / रू 0 की रजिस्ट्री दिनांक 22 नवंबर 2017 को कराई गई थी.

बैंक के प्रोसेसिंग अधि. बृजेश पुलैया, वरिष्ठ प्रबंधक(ऋण ) द्वारा दस्तावेज जाली होने के बाद भी 1.70 करोड़ रूपये के ऋण देने की बात की गई. संपत्ति का मूल्यांकन व्ही.एस. मेहता, आर्किटेक्ट, इंदौर द्वारा गाईडलाईन के हिसाब से कीमत 29,64,682 / -रू 0 हाने के बावजूद धांधली करते हुए 2,30,58,200 / -रू. की मूल्यांकन रिपोर्ट पेश की गई. इसे मनोहर वाधवानी, मुख्य प्रबंधक द्वारा स्वीकृत किया गया. जबकि 24 नवंबर 2017 को एकाउंट नंबर 1936008700001898 में राशि रू. 1.70 करोड का अंतरण ऋणी के खाते में किया गया था. हालांकि पुनः जब बंधक सम्पत्ति का मूल्यांकन हुआ तो सम्पत्ति 11259000 / रू 0 पाई गई. दिनांक 18 जून 2013 का पत्र बंधक रखी गई सम्पत्ति के दस्तावेज कृषि भूमि के एस.डी.एम. सांवेर से डायवर्टेट आदेश पत्र क्र . / 2202 / अ -2 / री / 12-13 / सांवेर, का कूटरचित होना पाया गया.

संयुक्त संचालक, ग्राम एवं निवेश, कार्यालय इन्दौर से आदेश पत्र कमांक 4152 / एसपी 407 / 12 / नग्रानि / 2013, 29.04.13 से नक्शा पास होने के संबंध में तस्दीक करते हुए इसे भी कूटरचित पाया गया. इतना ही नहीं इसके साथ ही भूअर्जन अधिकारी इन्दौर विकास प्राधिकरण जिला इन्दौर से जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जाली बताकर कूटरचित होना ही पाया गया. जबकि दूरी ओर आज भी बंधक सम्पत्ति राजस्व रिकार्ड में वर्तमान खसरा नकल के मुताबिक़, भैरवलाल के ही नाम पर ही है. बैंक अधिकारी बृजेश पूलैया और तत्कालीन बैंक मैनेजर मनोहर बाधवानी दोनों के ही द्वारा बंधक सम्पति की सार्वजनिक सूचना भी जारी नहीं की गई और राजस्व प्राधिकरण में प्रस्तावित बंधक व्यक्ति के नाम पर सम्पति अंतरित नहीं होने के बावजूद भी, कृषि भूमि की सम्पति को डायवर्टेट के रूप में बंधक रखकर आरोपियों द्वारा डायवर्टेट के फर्जी दस्तावेज तैयार कर स्वयं को लाभ पहुंचाने एवं बैंक को सदोष हानि पहुंचाने के उद्देश्य से षड्यंत्र रचा गया. इसके आधार पर छलपूर्वक कूटरचित दस्तावेजो के आधार पर बैंक से 1,70,00,000 / – रू 0 प्राप्त कर ब्याज सहित 1,83,56,465 वापस जमा न कर धोखाधड़ी का खुलासा हुआ. इस मामले में आरोपियों मेसर्स श्रीराम इंटरप्राईजेस प्रोप्रा ० शीलादित्य सिंह चौहान, भैरव लाल प्रजापती, मनोहर बाधवानी, तत्कालीन शाखा प्रबन्धक, बृजेश पुलैया, व्ही . एस . मेहता आर्किटेक्ट के सतह ही अन्य के विरूद्ध अपराध धारा 420 , 467 , 468 , 471 , 120 बी भा 0 द 0 वी 0 एवं लोकसेवकों के संबंध में भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम 2018 की धारा 7 – सी के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है.