Indore : मेहमानों के स्वागत के लिए तैयार है हरा – भरा ट्रेंचिंग ग्राउंड, जाने कैसे बना एशिया का सबसे बड़ा बायो CNG प्लांट

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विपिन नीमा

इंदौर। किसी ने सोचा भी नहीं होगा की ट्रेंचिंग ग्राउंड पर जमा हुए कचरे का पहाड़ कभी नष्ट होकर वहां सुन्दर बगीचा और आकर्षक पेड़ पौधों के साथ हरियाली लहराईगी। ये भी किसी ने कल्पना नहीं की थी की इस उबड़ खाबड़ और गंदगी वाले क्षेत्र में करोड़ों रुपयों के प्लांट लग पाएंगे। मात्र सात साल के भीतर नगर निगम ने ऐसा करिश्मा कर दिखाया की आज बायपास स्थित देवगुराड़िया के 139 एकड़ में फैला ट्रेंचिंग ग्राउंड सिटी फारेस्ट के रुप में विकसित हो गया।

जिस ट्रेंचिंग ग्राउंड के पास से गुजरना मुश्किल होता था आज यहां पर बैठकर खाना खाया जा रहा है। यहां पर स्थापित बायो सीएनजी प्लांट एशिया का सबसे बड़ा प्लांट है। अगले साल जनवरी माह में होने वाले प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में देश विदेश से आने वाले देशी- विदेशी मेहमानों के लिए ट्रेंचिंग ग्राउंड को संवारा जा रहा है। यहां पर आने वाले मेहमानों को प्रजेंटेशन देकर बताया जाएंगा की पहले कैसा था और आज कैसा हो गया ट्रेंचिंग ग्राउंड ।

ऐसे बदली कचरे के ढेर वाले ट्रेंचिंग ग्राउंड की सूरत

शहर से लगभग 5 किलोमीटर दूर बायपास पर स्थित देवगुराड़िया के ट्रेचिंग ग्राउंड पर कचरे के विशालकाय पहाड़ से दिनभर बदबू निकलती थी, जिससे आसपास के गांव के लोग परेशान थे। कचरे के ढेर में आए दिन आग लगने से होने वाले प्रदुषण से पूरा इलाका दुषित रहता था। भारत सरकार का सबसे बड़ा स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान शुरू होने के बाद ट्रेंचिंग ग्राउंड की दशा भी बदलना शुरू हो गई। ट्रेंचिंग ग्राउंड के कचरे के पहाड़ को नष्ट कर सिटी फारेस्ट के रुप में विकसित करने का श्रेय तात्कालीन निगम कमिश्नर मनीषसिंह ओर निगम के अफसरों को जाता है, जिन्होंने ट्रेंचिग ग्राउंड को कचरे के पहाड़ को खत्म करके ेट्रेंचिंग ग्राउंड की दशा ही बदल डाली।

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तीन कमिश्नर दो महापोर

कचरे के ढेर से मुक्त होने के बाद इंदौर नगर निगम ने ट्रेंचिंग ग्राउंड को इतना व्यवस्थित ओर आकर्षक बना दिया जिसे देखने के लिए देश के अलग अलग शहरों से लोग यहां आ रहे है। ट्रेंचिंग ग्राउंड की दशा सुधारने की शुरूआत पूर्व कमिश्नर मनीष सिंह ने की थी, पूर्व महापोर मालिनी गौड़ के निर्देशन में असम्भव से लगने वाली यह योजना निगम टीम के कठोर परिश्रम से अंतः यथार्त के धरातल पर अवतरित हो ही गई। इसे निरन्तर रखने का काम पूर्व निगम आयुक्त आशीष सिंह और वर्तमान निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने बाखूबी किया। वर्तमान महापोर पुष्यमित्र भार्गब ट्रेंचिंग ग्राउंड को ओर बेहतर बनाने के लिए संकल्पित है। इस खास परियोजना में एक अहम नाम अधीक्षण यंत्री महेश शर्मा का है जिन्होंने तीन निगम आयुक्तों के साथ समन्वयक की भूमिका निभाई।

केबीसी में भी ट्रेंचिंग ग्राउंड

स्वच्छता की हैट्रिक लगने के बाद आशीषसिंह को केबीसी से बुलावा आया। इंदौर के तीसरी बार स्वच्छता में नंबर वन आने पर कौन बनेगा करोड़पति के कर्मवीर एपिसोड के लिए इंदौर के पूर्व नगर निगम कमिश्नर आशीष सिंह को अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर बैठने का मौका मिला था। चर्चा के दौरान आशीष सिंह ने अमिताभ को बताया कि इंदौर के ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 13 लाख मीट्रिक टन से अधिक कचरा था, उसका निपटारा किस तरह किया गया और वहां बगीचा कैसे डेवलपमेंट किया इसकी पूरी प्रोसेस बताई।

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जानते है ट्रेंचिंग ग्राउंड की हकीकत

शहर का रोज आता है 600 टन गिला और 500 टन सुखा कचरा

● ट्रेचिंग ग्राउंड शहर से करीब 5 किलोमीटर दूर देवगुराड़िया बायपास पर स्थित है।
● ट्रेंचिंग ग्राउंड की कुल जमीन का एरिया लगभग 139 एकड़ है। आज की स्थिति में इस जमीन का बाजार मूल्य लगभग 300 करोड़ से भी ज्यादा बताई जाती है।
● ट्रेंचिंग ग्राउंड पर प्रतिदिन 600 टन गिला और 500 टन सुखा कचरा आता है। यहीं पर कचरे की छटनी होती है। इसमें प्लास्टिक, लोहा, चमड़ा, बोतल, इलेक्ट्रिक सामान आदि अन्य तरह का भंगार शामिल है।

ट्रेंचिंग ग्राउंड पर संचालित हो रहे है तीन बड़े प्लांट

● सीएनजी प्लांट जिसे दिल्ली की एक कम्पनी चला रही है
● मटेरियल रिकवरी फैसिलीटी (एमआरएफ) प्लांट जिसे नेप्रा कम्पनी चला रही है।
● कंस्ट्रक्शन एन डेमोलेशन (सीएनडी) प्लांट इसे इंदौर की अभी नामक कम्पनी चला रही है।
● इंदौर में एशिया के सबसे बड़ा बायो सीएनजी प्लांट है। इसी साल 18 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका वर्चुअल लोकार्पण किया था।

अलग – अलग प्लांट के लिए ऐसे बटी है 139 एकड़ जमीन

● ट्रेंचिंग ग्राउंड का एरिया 139 एकड़
● 100 एकड़ में सिटी फारेस्ट
● 15 एकड़ में सीएनजी
● 15 एकड़ में मटेरियल रिकवरी फैसिलीटी
● 5 एकड़ में सीएनडी
● 4 एकड़ में आफिस, पार्किंग व हाल आदि शामिल है।

हर साल निगम को होती करोड़ों से अधिक की आय

● सीएनजी प्लांट से ढाई करोड़ रु सालाना
● एमआरएफ प्लांट से डेढ़ करोड़ रु सालाना
● सीएनडी प्लांट से 9 लाख रुपए सालाना
● इस तरह तीनों प्लांट से निगम को हर साल 4 करोड़ 9 लाख रुपए होती है।

किस प्लांट पर कितने कर्मचारी कर रहे है कार्य

● मटेरियल रिकवरी फेसिलिटी प्लांट पर लगभग 300 कर्मचारी काम कर रहे है।
● सीएनजी प्लांट पर लगभग 150 कर्मचारी कार्यरत है।
● सीएनडी प्लांट पर 25 कर्मचारी काम कर रहे है।
● सिटी फारेस्ट की देखरेख के लिए 50 कर्मचारी तैनात है।

पौने दो लाख पौधों से हराभरा है सिटी फारेस्ट

● ट्रेचिंग ग्राउंड कुल 159 एकड़ में फैला है।
● कचरे के पहाड़ हटने के बाद खाली हुई 100 एकड़ जमीन पर सिटी फारेस्ट तैयार किया गया।
● ट्रेंचिंग ग्राउंड अब पूरी तरह से हरा – भरा हो गया है।