Indore: संघर्ष को सुलझाने का ‘संवाद’ सबसे प्रभावी तरीका – न्यायाधिपति विवेक रूसिया

mukti_gupta
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इंदौर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खण्डपीठ इन्दौर द्वारा शनिवार को एक दिवसीय सामुदायिक मध्यस्थता कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रशासनिक न्यायाधिपति विवेक रूसिया, पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्र, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मनीष कपूरिया एवं राजेश हिंगणकर, एडीएम अजयदेव शर्मा द्वारा दीप प्रज्जवलित एवं सरस्वती प्रतिमा का माल्यार्पण कर कार्यशाला का शुभारंभ किया गया।

न्यायधिपति द्वारा बताया गया कि इन्दौर जिले में सामुदायिक मध्यस्थता कार्यक्रम सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत मध्यस्थों द्वारा समाज में व्याप्त पारिवारिक एवं अन्य भावनात्मक विवादों को प्रारंभिक स्तर पर निराकरण कर जहां विवादों को आपसी समझौते से सौहार्द्रपूर्ण निराकरण कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर इन मामलों को न्यायालय में आने के पूर्व समाधान करने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। प्राप्त आंकडों के अनुसार विगत 5 माह में लगभग 400 प्रकरण सामाजिक मध्यस्थतों के समक्ष रखे गये जिनमें 200 प्रकरणों का सफलतापूर्वक निराकरण किया जा चुका है।

सामुदायिक मध्यस्थता कार्यक्रम को गति देने एवं विवादों के वैकल्पिक समाधान प्रणाली की जनमानस में स्वीकारिता बढ़ाने के उद्देश्य से समस्त थाना प्रभारियों एवं सामुदायिक मध्यस्थों की संयुक्त कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है ताकि वर्तमान पीढ़ी में धैर्य की कमी एवं आवेश के कारण समाज में उत्पन्न हो रहे विवादों को संवाद के आधार पर सुलझाने का प्रयास किया जा सके। पुलिस आयुक्त हरिनारायण चारी मिश्र द्वारा बताया गया कि विकसित देशों में विवादों के निराकरण हेतु मध्यस्थता जैसे विभिन्न प्रणाली सुचारू रूप से कार्य कर रही है, जबकि भारत में प्राचीन काल से उपलब्ध पंच प्रणाली (मध्यस्थता का प्रारंभिक स्वरूप) समय के साथ अस्तित्व विहीन हो गई है। जिस प्रकार से देश में जनसंख्या वृद्धि हो रही है उसी प्रकार से समाज में अपराध एवं विवाद में वृद्धि देखी गई है जिनमें विषेशत: पारिवारिक विवाद शामिल है। उक्त विवादों के निराकण हेतु सामुदायिक मध्यस्थता जैसे विषय पर आयोजित कार्यशाला सामाजिक समस्याओं से उपजे विवाद के निराकरण में महत्वपूर्ण योगदान देंगे ।

पोटेंशियल ट्रेनर डॉ. मोहम्मद शमीम द्वारा उपस्थित सामुदायिक मध्यस्थ एवं थाना प्रभारियों से परिचयात्मक उद्बोधन पश्चात संघर्ष की प्रकृति, मध्यस्थता परिभाषा और अवधारण, मध्यस्थता प्रक्रिया और चरण, मध्यस्थता में संचार, समझौता वार्ता विषय पर प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन किया गया। दूसरे सत्र में पोटेंशियल ट्रेनर नीना खरे द्वारा ऑनलाईन लिंक के माध्यम से सौदेबाजी, गतिरोध अवधारण एवं प्रबंधन, राजीनामे प्रक्रिया में क्षमा एवं नैतिक मूल्यों का महत्व विषय पर प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन किया गया।

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एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन मनीष कौषिक, जिला विधिक सहायता अधिकारी, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति इंदौर द्वारा किया गया। उक्त मीडिएशन कार्यशाला में ओ.एस.डी/रजिस्ट्रार, नवीन पाराशर, सिस्टम आफिसर, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खण्डपीठ इन्दौर, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति इन्दौर के समस्त स्टाफ एवं 16 समुदायों के 75 सामुदायिक मध्यस्थ एवं इंदौर जिले के 33 थाना प्रभारी सम्मिलित हुए।