इंदौर : स्कूल ड्रेस और कॉपी- किताबों के संबंध में स्कूलों की मोनोपोली समाप्त करने के लिए कलेक्टर ने धारा 144 में प्रतिबंधात्मक आदेश किए जारी

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अब स्कूल का नया सेशन चालू होने वाला है ऐसे में सभी स्कूल अपनी मनमानी कर स्कूल की ड्रेस और कॉपी किताब के लिए अपना कमिशन देख दुकानदारों से टाई अप कर लेते है। जो भी उन्हें ज्यादा कमीशन देता है उसी को अपना हर बार ठेका दे देते है। यह सभी बच्चों के पालकों के लिए समस्या बन जाती है। विशेषकर उन माता पिता के लिए जो जैसे तैसे करके अपने बच्चो को पढ़ा रहे है। क्योंकि जब स्कूल वालो का कमिशन जुड़ा होता है तो दुकानदार भी अपने हिसाब से सेट तैयार कर बेचते है और ऐसे में कई अधिक दामों में पालकों को यह किताबों का सेट खरीदना होता है।

इन सब समस्या से निपटने के लिए इंदौर कलेक्टर और जिला दंडाधिकारी डॉ. इलैयाराजा टी ने धारा 144 के सेक्शन 2 के अंदर आदेश जारी किए हैं। यह आदेश स्कूल संचालकों, प्रकाशकों और विक्रेताओं के एकाधिकार को खत्म करने लिए है। जिसके मुख्य बिन्दुओं में यह है –

स्कूल संचालक या प्राचार्य अपने स्कूल की वेबसाइट पर अनिवार्य पुस्तको की लिस्ट एग्जाम के रिजल्ट के पहले डाल दें। मान्यता नियमों के अंदर हर स्कूल की वेबसाइट होना अनिवार्य है। यह पुस्तको की लिस्ट की एक कॉपी नए विद्यार्थियों के प्रवेश के दौरान और पुराने के एग्जाम के रिजल्ट से पहले या एक कॉपी रिजल्ट के समय भी उपलब्ध करवाएंगे।

किसी भी एनसीईआरटी को छोड़कर अलग से प्रकाशकों की किताबों के लिए नहीं बोला जाएगा।

वहीं, अभिभावकों को 15 जून तक बच्चो की किताबों लेने को लेने और उसका पेमेंट करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। 15 जून तक वैसे किताबे उपलब्ध हो जाएंगी। 1 अप्रैल से शुरू हो रहे शैक्षणिक सत्र में बच्चों को ओरिएंटेशन प्रोग्राम, मनोवैज्ञानिक और व्यावहारिक पद्धति से शिक्षा दी जाएगी जो की 30 अप्रैल तक चलेगी।

सीबीएसई, आईसीएसई, और माध्यमिक शिक्षा मंडल के अंतर्गत अधिकृत एजेंसी जैसे की एनसीईआरटी जैसे पाठ्य, पुस्तक निगम द्वारा प्रकाशित पुस्तको के अलावा और कोई पुस्तक नही लेना है।

इसके अलावा स्कूल प्रशासन ये सुनिश्चित करेंगे कि इसके अतिरिक्त कोई और विषय जैसे सामान्य ज्ञान, कंप्यूटर वगेरह की किताबे लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

 

स्कूल संचालक अभिभावकों को किसी एक पुस्तक विक्रेता या स्कूल यूनिफॉर्म विक्रेता के पास से सामान खरीदने के लिए बाध्य नहीं करेगा।

पीटीएम जैसे और कई मौके पर स्कूल प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा की कोई भी प्रकाशक या विक्रेता स्कूल परिसर में प्रचार प्रसार न करने लगे।

 

पुस्तको के सेट में अनावश्यक सामग्री जोड़ी न जावे जो अभिभावक लेना चाहता है वही दिया जाए। नोटबुक पर ग्रेड, साइज सब कुछ लिखा होना चाहिए। नेम चित पर स्कूल का नाम मुद्रित नहीं होना चाहिए।

कोई भी स्कूल 2 से ज्यादा यूनिफॉर्म नही रख सकते और इसको 3 सत्र से पहले बदला भी नही जा सकता है।

जैसे आदेश कलेक्टर ने दिए।