इंदौर : कलेक्टर ने नामांतरण-बटवारा-बटांकन सहित कई मामलों में जारी किए दिशा-निर्देश

Akanksha
Published on:
manish singh

इंदौर : जिले में अविवादित नामांकन अविवादित बटवारा एवं सीमांकन आदि की कार्यवाही त्वरित एवं समय-सीमा में करने के लिये कलेक्टर मनीष सिंह ने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये है। अनेक राजस्व प्रकरण लोक सेवा ग्यारंटी द्वारा विनियिमित किए जा रहे है तथा इन सभी का उददेश्य यह है कि आवेदकों को असुविधा न हो उनका राजस्व कार्य समय पर हो सकें । कलेक्टर ने निर्देश दिये है कि राजस्व विभाग द्वारा जारी निर्देश अत्यंत स्पष्ट है तथा उनमें समय सीमा भी निर्धारित की गई है, इसका अक्षरश: पालन किया जाये।

मनीष सिंह ने निर्देश दिये है कि राजस्व विभाग के आदेशों का शब्दशः पालन किया जाये। तद्नुसार राजस्व न्यायालय के पीठासीन अधिकारी किसी भी प्रकरण में अंतिम आदेश पारित करने के उपरांत उस प्रकरण को समाप्त कर रिकार्ड रूम दाखिले संबधी आदेश नही करेंगे। पीठासीन अधिकारी, इस आदेश में पांच कार्य दिवस का समय देते हुए संबंधित अधीनस्थ राजस्व अधिकारी / कर्मचारी को रिकार्ड अद्यतन का आदेश देंगे तथा वेब जी.आई.एस. में अद्यतन कराया जायेगा। आदेश अनुसार प्रविष्ठयां कर अद्यतन किए गए रिकार्ड की प्रति इसी समयावधि में पीठासीन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की जायेगी। आवेदक को पीठासीन अधिकारी द्वारा जारी किए गए आदेश तथा अद्यतन रिकार्ड जैसे ऋण पुस्तिका, खसरा नकल, बी1, नक्शा आदि जो भी उस आदेश में उल्लेखित हो आवेदक को पीठासीन अधिकारी द्वारा दी जाकर उसकी पावती प्रकरण में संलग्न की जायेगी। पावती का प्रारूप पीठासीन अधिकारी अपनी सुविधानुसार बना सकते है। जिस पर उनके रीडर द्वारा पावती ली जायेगी। उक्त कार्यवाही पूर्ण होने के उपरांत एवं आवेदक की पावती संलग्न होने के पश्चात ही संबंधी राजस्व प्रकरण समाप्त किया जाकर रिकार्ड रूम में दाखिल करने संबंधी आदेश पीठासीन अधिकारी द्वारा नोटशीट पर अंकित किया जायेगा।

पीठासीन अधिकारी का दायित्व होगा कि आर.आई., पटवारी राजस्व अभिलेख में उनके आदेश अनुसार रिकार्ड अद्यतन सही ढंग से करें, ताकि आवेदक अनावश्यक परेशान न हो। अभी अधिक संख्या में प्रकरण लंबित है इसलिए 31 दिसम्बर 2020 तक पीठासीन अधिकारी, अद्यतन राजस्व रिकार्ड सीधे आवेदक को प्रदाय कर कॉपी देंगे तथा 31 दिसम्बर 2020 के उपरांत लोक सेवा केन्द्र के माध्यम से उपरोक्त वर्णित अद्यतन राजस्व अभिलेख जैसे ऋण पुस्तिका, खसरा नकल, बी1, नक्शा आदि पीठासीन अधिकारी द्वारा उपलब्ध करवाया जायेगा किन्तु लोक सेवा केन्द्र में भी पीठासीन अधिकारी द्वारा ही राजस्व नकल भेजी जायेगी। आर.आई. अथवा पटवारी द्वारा कोई भी दस्तावेज सीधे नहीं भेजा जायेगा। सीमांकन अथवा मौका निरीक्षण में ही पटवारी आर.आई. आवेदकों को बुला सकेंगे तथा जब आवेदक को मौके पर बुलाया जायेगा तब पटवारी आर.आई समय पर उपस्थित होगें ताकि आवेदक इस कारण परेशान न हो। संबंधित राजस्व पीठासीन अधिकारी का मूल दायित्व होगा कि आवेदक को अद्यतन ऋण पुस्तिका, खसरा नकल, राजस्व आदेश की प्रति, बी.1 नक्शा, सीमांकन प्रतिवेदन दिलाकर समय पर अपने रीडर माध्यम से उपलब्ध करायेंगे। इन सब दस्तावेजो के लिए किसी भी आवेदक को आर.आई.पटवारी से संपर्क करने के लिए नहीं कहा जायेगा।

पीठासीन अधिकारी, यह भी सुनिश्चित करेंगे की प्रत्येक आवेदक को उनके द्वारा अथवा उनके रीडर अथवा अन्य स्टॉफ द्वारा समुचित मार्गदर्शन एवं आवेदक के समस्या के निराकरण में सहयोग प्रदान करें। तात्पर्य यह है कि पीठासीन अधिकारी के स्टॉफ का व्यवहार आवेदकों के प्रति सहयोगात्मक होना चाहिए एवं अच्छा होना चाहिए।

आवेदक स्वयं या अपने-अपने अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से राजस्व प्रकरण की पेशी में उपस्थित हो सकेंगे तथा प्रकरण में वांछित दस्तावेज पीठासीन अधिकारी द्वारा कहे जाने पर दे सकेंगे । आवेदक के अधिकृत प्रतिनिधि हेतु एक सादे कागज में उस प्रकरण विशेष का उल्लेख करते हुए अधिकृत करना होगा जिसमें अधिकृत प्रतिनिधि का नाम, घर का पूरा पता मोबाईल नंबर, ई-मेल आईडी (हो तो) का उल्लेख करना होगा तथा उसकी पहचान हेतु आधार कार्ड की फोटो कापी उपलब्ध करायी जाना होगी। अगर पीठासीन अधिकारी के संज्ञान में यह आता है कि कोई एक व्यक्ति एक से अधिक प्रकरणों में अधिकृत प्रतिनिधि बन रहा है तो उस व्यक्ति की जानकारी कलेक्टर को तत्काल देनी होगी। आवेदकों से अनुरोध किया गया है कि वे उनके संस्थान में कार्यरत व्यक्ति, रिश्तेदार अथवा किसी मित्र को ही अधिकृत प्रतिनिधि बनाए किन्तु पीठासीन अधिकारी के समक्ष, आवेदक के हस्ताक्षर ही मान्य होंगे । राजस्व प्रकरणों में पीठासीन अधिकारी यह विशेष ध्यान देंगे की आवदेक या उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति के अलावा अन्य कोई व्यक्ति पीठासीन अधिकारी या उनके रीडर से चर्चा नहीं कर सकेंगे।

दिशा-निर्देशानुसार नामांतरण के मामलो में, जहां नामांतरण रकबे का नियमानुसार पृथक से खाता बनाया जाना आवश्यक है वहां पटवारी द्वारा अपने प्रतिवेदन के साथ विचाराधीन भूमि का फर्द बटांकन का प्रस्ताव तैयार कर पीठासीन अधिकारी के प्रकरण में प्रस्तुत किया जायेगा तथा पीठासीन अधिकारी विधि अनुसार स्वीकृत नामांकन आदेश की प्रति आवेदक को उपलब्ध करवाई जायेगी। बटांकन के समस्त प्रकरण बंटवारा मद में लोक सेवा केन्द्र के माध्यम से दर्ज किए जायेंगे। बंटवारा मद में, खसरा में फर्द बटांकन करना अनिवार्य होगा। इस हेतु आवश्यक आवेदन फर्द बटांकन, सीमांकन आवेदन पीठासीन अधिकारी, सीधे उसी प्रकरण में प्राप्त करे सकेंगे। इस का तात्पर्य यह है कि अ-27 बटवारे के प्रकरणों में तब तक प्रकरण समाप्त नहीं किया जायेगा जब बंटवारा/बंटाकन खसरे नकल एवं नक्शे में अद्यतन न हो जाए। उक्त के साथ-साथ वेब जी.आई.एस. में भी रिकार्ड अद्यतन होना अनिवार्य रहेगा। बटवारे के अ-27 प्रकरण का पूर्ण निराकरण करने हेतु सीमांकन आवश्यक हो जाता है, तो सीमांकन एवं फर्द बटांकन आर.आई.पटवारी से करवाया जाकर पीठासीन अधिकारी द्वारा अंतिम रूप दिया जायेगा। पीठासीन अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि आर.आई.पटवारी फर्द बटांकन, सही ढंग से करे तथा ऐसी परिस्थिति न हो कि आवेदक को गलत फर्द बटांकन के कारण पूनः आवेदन करना पड़े । पीठासीन अधिकारी का यह भी दायित्व होगा कि उनके द्वारा जारी आदेश की प्रति, ऋण पुस्तिका एवं अन्य अद्यतन रिकार्ड की प्रति सीधे आर.आई. पटवारी से प्राप्त करेंगे तथा उनके द्वारा ही पावती लेकर आवेदक को प्रदाय किया जायेगा। आवेदक को पीठासीन अधिकारी यह निर्देश नहीं देंगे कि अद्यतन रिकार्ड आर.आई. पटवारी से सीधे प्राप्त कर ले।

यह आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावशील हो गया है। राजस्व न्यायालय के संबंधित क्षेत्र के एस.डी.ओ. एवं अपर कलेक्टर की जिम्मेदारी होगी कि वे प्रत्येक सप्ताह में आधे घंटे के लिए लंबित प्रकरणों की समीक्षा पीठासीन अधिकारी कार्यालय मे करेंगे।