अर्जुन राठौर, इंदौर। जिला कोर्ट में लंबे समय से चल रहा है स्टांप के नाम पर कालाबाजारी का लूट का खुला कारोबार। 100 का स्टांप ₹120 में बेचा जा रहा है और अन्य स्टांप भी मनमानी कीमत पर बेचे जा रहे हैं नोटरी या अन्य कार्य कराने के लिए आने वाले लोग इस लूट का शिकार हो रहे हैं ।
कई बार तो ₹50 के स्टांप की कीमत ₹80 तक वसूल कर ली जाती है इसके अलावा बड़े स्टांप पर कालाबाजारी अलग से चल रही है आखिर इसकी वजह क्या है ? एक स्टांप वेंडर का कहना है कि रजिस्ट्रार कार्यालय से स्टांप इशु कराने में उन्हें रिश्वत देना पड़ती है यही वजह है कि वे इसकी वसूली आम जनता से करते हैं हालांकि स्टांप की बिक्री पर कमीशन दिया जाता है लेकिन रजिस्ट्रार कार्यालय में ली जाने वाली रिश्वत के कारण स्टांप विक्रेता मनमानी वसूली करते हैं।
उनका यह भी कहना है कि यदि उन्होंने रजिस्ट्रार कार्यालय में रिश्वत नहीं दी तो उन्हें स्टांप नहीं मिलेंगे ।
रजिस्ट्रार कार्यालय में बैठे अधिकारी सरकार से मोटी तनख्वाह लेने के साथ ही रिश्वतखोरी का भी कारोबार कर रहे हैं और इसका खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ता है । बेहद शर्मनाक स्थिति यह है कि लोग न्याय पाने के लिए जिला कोर्ट में आते हैं लेकिन उन्हें स्टांप विक्रेताओं के अन्याय का शिकार होना पड़ता है सवाल तो यह भी उठता है कि स्मार्ट सिटी इंदौर में कालाबाजारी के लिए मजबूर करने वाले रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाती ?ताकि जनता को सही मूल्य पर स्टांप मिल सके और वह लूट का शिकार होने से भी बच सकें।