Indore : कलेक्टर की एक और संवेदनशील पहल, MBBS के एडमिशन में भटक रही बालिका को चंद मिनटों में दिलाया जाति प्रमाण पत्र:

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इंदौर(Indore) : कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा बुजुर्गों, अनाथों, असहाय, दिव्यांगों, कल्याणियों (विधवा) महिलाओं तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों तथा अन्य जरूरतमंदों की समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिये सहानुभूतिपूर्वक लगातार संवेदनशील पहल की जा रही है। ऐसी एक पहल आज कलेक्टर कार्यालय में देखने को मिली, जब एमबीबीएस की एडमिशन में जाति प्रमाण-पत्र के लिये भटक रही अनुसूचित जाति की बालिका को कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देश पर तुरंत ही जाति प्रमाण-पत्र मिल गया।

इस बालिका ने आज सुबह साढ़े 10 बजे आवेदन दिया और कलेक्टर मनीष सिंह की पहल पर इसे लगभग 11 बजे जाति प्रमाण-पत्र बनकर मिल गया। मुसाखेड़ी निवासी अनुसूचित जाति की बालिका कनक मालवीया ने बताया कि उसने नीट की परीक्षा दी थी। यह परीक्षा वह उत्तीर्ण हो गई। इसके बाद एमबीबीएस में एडमिशन के लिये गत दिवस एम्स भोपाल में काउंसलिंग हुई। इस दौरान उसके दस्तावेजों के परीक्षण के दौरान पता चला कि जाति प्रमाण-पत्र पुराना हो गया है और उसमें सरनेम भी नहीं है। उसे जाति प्रमाण-पत्र जमा करने के लिये 28 अक्टूबर तक की मौहलत दी गई।

यह सुनते ही वह निराशा में डूब गई कि त्यौहारों के चलते वह कब आवेदन करेगी और कब उसे जाति प्रमाण-पत्र बनकर मिलेगा। निराशा के भाव के साथ उसने आज उम्मीद की किरण के साथ कलेक्टर मनीष सिंह को अपनी समस्या बताई। कलेक्टर मनीष सिंह ने संवदेनशीलता का परिचय देते हुये अपर कलेक्टर राजेश राठौर को निर्देश दिये कि इस बालिका का आज ही जाति प्रमाण-पत्र बन जाये। अपर कलेक्टर राजेश राठौर ने बताया कि इस बालिका से आवेदन लेकर एसडीएम कार्यालय जूनी इंदौर से तुरंत ही जाति प्रमाण-पत्र बनाकर दिया गया। यह जाति प्रमाण-पत्र अपर कलेक्टर राठौर ने बालिका को सौपा।

अपने मामा जितेन्द्र परमार के साथ आयी यह बालिका बेहद अभिभूत हो गई। उसने कलेक्टर मनीष सिंह तथा प्रशासन की इस पहल के लिये कृतज्ञता व्यक्त की। बालिका कनक मालवीया ने कहा कि अब वह निराशा से मुक्त हो गई है। 28 अक्टूबर के पहले ही मैं जाति प्रमाण-पत्र जमा कर दूंगी। मैरा एडमिशन हो जायेगा। मेरे जीवन की किरण को आज प्रशासन ने नयी रोशनी दी है। मेरा अब बेहतर भविष्य होगा। प्रशासन की इस सीख से प्रेरणा मिली है कि जरूरतमंदों की किस तरह सेवा की जाये।