Indore : कलेक्टर की अनूठी पहल पर 27 वर्षों बाद बुजुर्ग महिला को मिला अपना आशियाना

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Indore : आज 52 आड़ा बाजार में रहने वाली 77 वर्षीय वृद्ध विधवा महिला सुनयना महाडिक का जब किराएदार योगेंद्र पुराणिक से जिला कलेक्टर मनीष सिंह के आदेश पर प्रशासन के अधिकारियों द्वारा मकान खाली कराया गया तो बरबस ही उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। सुनयना ने बताया कि मेरे पति पिछले 27 वर्षों से अपना मकान खाली कराने के लिए केस लड़ रहे थे और अंत में उनकी मृत्यु हो गई लेकिन मकान खाली नहीं हो पाया। जिला कलेक्टर मनीष सिंह को सुनयना ने धन्यवाद देते हुए कहा कि कलेक्टर  मनीष सिंह वृद्ध विधवाओं असहाय लोगों के मसीहा हैं।

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सुनयना ने बताया कि उनकी एक ही पुत्री प्रणिता महाडिक है और वह भी पूरी तरह से असहाय थी। कई वर्षों से वह भी लगातार इस केस के चक्कर में कलेक्टर कार्यालय मैं दिन दिन भर बैठी रहती थी । पिछले दिनों कलेक्टर मनीष सिंह से जब उन्होंने अपनी व्यथा बताई तो उन्होंने सांत्वना दी कि आपको जरूर न्याय मिलेगा। कलेक्टर साहब ने 2 माह पहले हमारी इसी किराएदार से दुकान खाली करवाई थी। और अब मकान भी खाली करा दिया है। मेरा जो सपना था कि मेरा मकान मेरे कब्जे में आ जाए वह आज पूरा हुआ है।

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कलेक्टर मनीष सिंह को मैं जितना धन्यवाद दूं उतना कम है। उन्होंने बताया कि योगेंद्र पुराणिक आए दिन उनसे अभद्रता भी करता था और कहता था अगर तुममें ताकत है तो मकान खाली करवा कर देख लेना। लेकिन प्रशासन ने यह कर दिखाया उन्होंने कहा कि किराए से प्राप्त होने वाली राशि से परिवार की मदद हो जाएगी इस उद्देश्य से 80 वर्ष पहले मेरे पति ने योगेंद्र पुराणिक को किराए से मकान और दुकान दिया था लेकिन उसने धीरे-धीरे कब जा ही जमा लिया और पिछले 10 वर्षों से तो उसने किराया देना भी बंद कर दिया था ।

आज तहसीलदार नितेश भार्गव और नायब तहसीलदार हर्षा वर्मा के साथ नगर निगम के कर्मचारी पुलिस बल की मौजूदगी में सुबह 10:00 बजे मौके पर पहुंचे। योगेंद्र पुराणिक को नोटिस देने के बाद भी उसने कब्जा नहीं सौंपा था इसलिए ताला तोड़कर सामान बाहर निकालना पड़ा और  सुनयना महाडिक को मकान का कब्ज़ा सौंप दिया गया। इस दौरान किराएदार परिवार का कोई भी सदस्य वहां मौजूद नहीं था। जबकि कल शाम ही उक्त किराएदारी के भाग पर जिला प्रशासन द्वारा नोटिस चस्पा किया गया था। इसके पूर्व एसडीएम मनीष सिकरवार द्वारा उक्त मामले में 14 मार्च को फैसला दिया गया था कि किराएदार स्वयं ही मकान मालिक को कब्जा सौंप दें। लेकिन किराएदार ने इस आदेश का भी पालन नहीं किया।