Indore: मेदांता में साढ़े नौ घंटे की सर्जरी से बचाई 65 वर्षीय महिला की जान

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इंदौर 9 अक्टूबर 2021: इंदौर की जनता कॉलोनी में रहने वाली 65 वर्षीय श्रीमती गुरमीत कौर को उनके परिवार वाले जब सीने में अत्यधिक दर्द की शिकायत लेकर मेदांता हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अलकेश जैन को रेफर हुए थे तब उन्हें और उनके परिवार को समस्या की गंभीरता का कोई अंदाजा ही नहीं था। यहां तक कि डॉक्टर्स को भी पहले लक्षण हिस्ट्री ईसीजी और इको को देखकर लगा कि हार्ट अटैक होना चाहिए और इसी लाइन पर पहले एंजियोग्राफी करने का निर्णय लिया गया पर CT एओर्टाग्राफी इन्वेस्टिगेशन के दौरान पता चला कि पेशेंट को एओर्टिक डिसेक्शन है।

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मरीज के दिल के उस हिस्से से जहां से ब्रेन को दोनों आर्टरी जाती है वहां डिसेक्शन हुआ था। डॉक्टर्स की टीम के पास सर्जरी के अलावा कोई विकल्प नहीं था।

एओर्टिक डिसेक्शन एक ऐसी बीमारी है जिस के लक्षण हार्ट अटैक से काफी मिलते-जुलते हैं। इसमें भी वैसा ही दर्द होता है जैसा हार्ट अटैक में होता है, इससे मरीज और परिजन धोखा खा जाते हैं और प्रारंभिक जांच होने तक डॉक्टर भी पूरी तरह निश्चित नहीं होते हैं। इको होने के बाद ही बीमारी का पता चलता है हार्ट से आने वाली 3 लेयर वाली एओर्टा के अंदर की परत फट जाती है और रक्त बीच की परत में जाने लगता है और कभी-कभी स्थिति इतनी खतरनाक हो जाती है कि इसमें एक ही परत पर सारा रक्त इकट्ठा हो जाता है और यदि यहां परत फट जाए तो पेशेंट के पास अस्पताल आने का भी वक्त नहीं होता है।

एओर्टिक डिसेक्शन में मृत्यु दर बहुत ज्यादा होती है इसलिए यहां हार्ट अटैक से कहीं ज्यादा गंभीर बीमारी है। एओर्टिक डिसेक्शन में मृत्यु दर 1% प्रति घंटा होती है, 24 घंटे में लगभग एक चौथाई मरीजों की मृत्यु हो जाती है, 4 दिन पूरे होते होते ज्यादातर मरीजों की मृत्यु हो जाती है।

मेदांता हॉस्पिटल के कार्डियोथोरेसिक सर्जन, डायरेक्टर – कार्डियक सर्जरी और मेडिकल डायरेक्टर डॉ संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि हमारे सामने एक ऐसी कठिन सर्जरी की चुनौती थी जिसमें एओर्टा के साथ-साथ पूरी आर्च को भी बदलना था, यहाँ संभवतः मध्य भारत का पहला ऐसा केस है जिसमे असेंडिंग एओर्टा को बदला गया और पूरी एओर्टिक आर्च को दोबारा लगाया गया, यहाँ ऑपरेशन चैलेंजिंग है, लंबा है, तकनीकी दक्षता और अनुभव के चलते मैं और मेरी टीम इसे सफलतापूर्वक कर पाए।

बेन्टाल सर्जरी: कार्डियोलॉजी की भाषा में बेन्टाल सर्जरी वह कार्डियक सर्जरी है जिसमें एओर्टिक वाल्व, एओर्टिक रूट और असेंडिंग एओर्टा का ग्राफ्ट रिप्लेसमेंट किया जाता है जिसमें कोरोनरी धमनियों को फिर से ग्राफ्ट में लगाया जाता है। मरीज के ट्रीटिंग कंसलटेंट और मेदांता हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर शिप्रा श्रीवास्तव ने बताया कि मरीज का ऑपरेशन ही अंतिम विकल्प बचा था, इस ऑपरेशन के पहले और दौरान इसमें मरीज की मृत्यु होने की काफी अधिक संभावना होती है और ब्रेन को भी नुकसान पहुंचने का डर होता है।

डॉक्टर संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि करीब साढ़े नौ घंटे चली सर्जरी में चुनौती यह थी कि इस मरीज में डिसेक्शन एओर्टिक आर्च से शुरू हुआ था, ऐसे में ब्रेन को रक्त के मध्यम से मिलने वाली ऑक्सीजन की कमी से पैरालिसिस होने की भी संभावना थी परंतु हमें संतोष है कि हम इस मरीज की जो नसें दिमाग को एओर्टिक आर्च से खून पहुंचाती है, उन को नये आर्च पर दोबारा जोड़ने में सफल हो सके और हो सकने वाली जटिलताओं से मरीज को बचा पाए। मेदान्ता हॉस्पिटल में इस तरह की एओर्टिक डिसेक्शन की जटिल सर्जरी पहले भी हो चुकी है, परंतु इतनी कठिन सर्जरी पहली बार हुई है।

डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि मेदांता हॉस्पिटल इंदौर में इस प्रकार की करीब 25 जटिल सर्जरी हो चुकी हैं और यहां एक कुशल टीम के सामंजस्य से ही संभव है जो कि हमारे पास है. मेदांता में लगभग सभी बीमारियों उनकी जांच ओ और उचित इलाज के लिए फुल टाइम सुपर स्पेशलिस्ट की उपलब्धता रहती है इतना ही नहीं मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल इलाज में लगने वाले खर्च को भी न्यूनतम रखने में सफल रहा है। मेदान्ता हॉस्पिटल का कार्डियक सर्जरी विभाग देश और दुनिया के किसी भी अस्पताल के समकक्ष है, या बेहतर है.

इस जटिल सर्जरी में मेदान्ता हॉस्पिटल के कार्डियक सर्जरी एनेस्थिशिया टीम में डॉ. संदीप श्रीवास्तव, डॉ. शिप्रा श्रीवास्तव, डॉ विवेक अग्निहोत्री एवं डॉ मनोज गुप्ता