आईआईएम इंदौर में हुए फुटबॉल मैच में जीती भारतीय विद्यार्थियों की टीम

RishabhNamdev
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– नशामुक्ति के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिए आयोजित किया गया था मैच
– मैच की थीम थी: ‘खेल को कहें हाँ, ड्रग्स को कहें ना

आईआईएम इंदौर में हुए फुटबॉल मैच में अंतिम गोल तक रोमांच बना रहा, और निर्णय तब हुआ जब भारतीय टीम से खेल रहे क्षितिज सिंह (आईपीएम के विद्यार्थी) ने फाइनल गोल से फ्रांस के विद्यार्थियों की टीम को हरा दिया। संस्थान में स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के अंतर्गत आए हुए फ्रांस के विद्यार्थियों के साथ 4 नवम्बर को एक फुटबॉल मैच का आयोजन किया गया था। इस मैच का उद्देश्य युवाओं में खेल के प्रति उत्साह बढ़ाना और ड्रग्स के हानिकारक प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाना था।

“खेल को कहें हाँ, ड्रग्स को कहें ना” विषय पर केंद्रित इस फुटबॉल मैच में दर्शकों की भारी भीड़ देखी गयी, जिसमें विभिन्न पाठ्यक्रमों के विद्यार्थी अपने सहपाठी खिलाड़ियों का उत्साह और जोश बढाने के लिए एकत्रित हुए। मैच का उद्घाटन आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमाँशु राय ने किया। इस अवसर पर मुख्य अधिकारी: प्रशासन, कर्नल गुरुराज गोपीनाथ पामिडी (सेवानिवृत), और चेयर – हॉस्टल एवं स्टूडेंट अफेयर्स प्रो. मनोज मोतियानी, और प्रो. रणजीत नंबूदिरी भी उपस्थित थे। प्रो. राय ने ‘किक’ के साथ मैच की शुरुआत की जो स्वस्थ जीवन शैली विकल्पों के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता का प्रतीक था। यह एक बदलाव की शुरुआत का भी प्रमाण था, जिससे युवाओं में खेल और स्वास्थ्य के प्रति उत्साह जगाने का प्रयास किया गया। भारतीय छात्र टीम ने भारत के फुटबॉल कप्तान सुनील छेत्री से प्रेरणा लेते हुए और उनके गुणों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए, 11 नंबर की जर्सी पहनी।

मैच से पहले, दोनों टीमों के कप्तानों, फ्रांसीसी दल के आर्थर कोस्टा और भारत की ओर से ककुल्ला रुशील ने, आयोजन की थीम के अनुसार नशीली दवाओं के खिलाफ प्रतिज्ञा ली। इसके साथ ही सभी दर्शकों ने भी प्रतिज्ञा ली। मैच शुरू से अंत तक रोमांचक रहा, जिसमें दोनों टीमों ने अद्भुत टीम वर्क और खेल कौशल का प्रदर्शन किया। खेल के अंतिम क्षणों में क्षितिज सिंह का निर्णायक गोल बेहतरीन रहा, जिससे आईआईएम इंदौर की टीम ने जीत हासिल कर ली।
प्रो. राय ने कहा, “यह आयोजन इस बात का अद्भुत उदाहरण है कि खेल कैसे सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बन सकता है।” उन्होंने कहा, “आज, इन युवा प्रबंधकों ने न केवल शानदार खेल खेला है, बल्कि नशीली दवाओं के उपयोग के खिलाफ खड़े होकर इस आयोजन के ज़रिए सभी के लिए एक उदाहरण भी स्थापित किया है।”

“हमारी जर्सी का नंबर 11 है जो टीम वर्क, नेतृत्व और उत्कृष्टता का प्रतीक है, और ये भारतीय फुटबॉल में एक सच्चे प्रतीक सुनील छेत्री के भी विशेष गुण हैं जो हमें प्रेरित करते हैं” भारतीय स्टूडेंट टीम के कप्तान ककुल्ला रुशील ने कहा। उन्होंने कहा कि स्नातक होने के बाद भी हम विद्यार्थी जहाँ भी जाएँगे, वहां खेल के प्रति उत्साह की भावना की संस्कृति को बढ़ावा देने और नशीली दवाओं के खिलाफ एकजुट होने के दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता पर जोर देंगे। रुशील ने आने वाले समय में परिसर में आने वाले विभिन्न देशों के छात्रों के साथ अन्य खेल आयोजनों का आयोजन करने और विविध संस्कृतियों को एकजुट कर नशे के खिलाफ आवाज़ उठाने की बात कही।

इस मैच ने स्वस्थ जीवन के महत्व और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा अपने छात्रों के कल्याण को बढ़ावा देने में निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य किया। खेल का सफल समापन का गोल वास्तव में न केवल फुटबॉल में बल्कि समाज के व्यापक हित के लिए किया गया गोल का प्रतीक रहा।