Indian Railways : भारतीय रेलवे, दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है, और यह देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करता है। रेलवे न केवल यात्रियों के लिए परिवहन का एक सस्ता और सुविधाजनक साधन है, बल्कि माल ढुलाई के लिए भी इसका महत्व बहुत अधिक है। यह नेटवर्क न केवल यात्री ट्रेनों को, बल्कि मालगाड़ियों को भी संचालित करता है, जो सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाती हैं। मगर, क्या आप जानते हैं कि भारतीय रेलवे को हर दिन अपने ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों के लिए बिजली का कितना बिल चुकाना पड़ता है? आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
भारतीय रेलवे का विशाल नेटवर्क
भारतीय रेलवे का नेटवर्क दुनिया में चौथा सबसे बड़ा है और इसे चार मुख्य जोनों – उत्तर, पश्चिम, दक्षिण और पूरब – में बांटा गया है। रोजाना करीब 1300 से ज्यादा ट्रेनें देश भर में विभिन्न मार्गों पर चलती हैं। इसमें विशेष सीजन और त्योहारों के दौरान स्पेशल ट्रेनें भी शामिल होती हैं, ताकि यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। भारतीय रेलवे के द्वारा चलाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के ट्रेनों में शताब्दी, राजधानी, एक्सप्रेस, सुपरफास्ट, लोकल और मालगाड़ियां शामिल हैं।
रेलवे के बिजली खर्च का अनुमान
भारतीय रेलवे को चलाने के लिए केवल यात्री सेवा ही नहीं, बल्कि उसके लिए बिजली की भी जरूरत होती है। रेलवे स्टेशन, ट्रेन के कोच, और ट्रेन की विद्युत प्रणाली को चलाने के लिए रोजाना काफी बिजली खर्च होती है। दरअसल, भारतीय रेलवे को प्रत्येक यूनिट बिजली के लिए लगभग 7 रुपये चुकाने पड़ते हैं। ट्रेन की एक बोगी में हर घंटे लगभग 210 यूनिट बिजली की खपत होती है, जो एक दिन में (12 घंटे) करीब 17,640 रुपये का खर्च करता है।
बिजली की खपत और खर्च
यदि हम स्लीपर और जनरल कोच की बात करें, तो इनकी बिजली की खपत प्रति घंटे करीब 120 यूनिट होती है। इस हिसाब से, यदि ट्रेन 12 घंटे चलती है, तो कुल 1440 यूनिट बिजली के लिए रेलवे को 10,080 रुपये चुकाने पड़ते हैं। अगर हम ट्रेन के पूरे नेटवर्क की बात करें तो, एक दिन में भारतीय रेलवे का कुल बिजली खर्च 5,76,000 रुपये तक पहुंचता है। इसके अलावा, हाई टेंशन वायर के जरिए रेलवे को रोजाना 18.83 लाख रुपये का खर्च आता है।
बिजली की आपूर्ति के स्रोत
रेलवे के डब्बों में बिजली की आपूर्ति दो प्रमुख तरीकों से की जाती है। पहला, डायरेक्ट हाई टेंशन वायर के माध्यम से और दूसरा, पावर जेनरेशन के जरिए। ट्रेन में अक्सर एक जनरेटर कोच होता है, जो डीजल द्वारा बिजली उत्पन्न करता है। इस तरह, ट्रेन की विद्युत जरूरतें पूरी की जाती हैं।