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288 मौत का जिम्मेदार कौन? क्या अब हम ट्रेन में भी सुरक्षित नहीं है?

288 मौत का जिम्मेदार कौन? क्या अब हम ट्रेन में भी सुरक्षित नहीं है?

Odisha Train Accident : उड़ीसा के बालासोर में कल शाम हुए दर्दनाक रेल हादसे से पूरे देशभर में शोक की लहर दौड़ चुकी है। मन में बार-बार एक ही सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या अब हम ट्रेन में भी सुरक्षित नहीं है? अचानक होने वाले ऐसे हादसे सरकार की पोल खोलते हुए नजर आ रहे है। साल 2011 से अब तक कई बड़े रेल हादसे सामने नजर आ चुके है जिसके काल में कई लोग अपनी जान गंवा चुके है। ऐसे में बात की जाए कल उड़ीसा के बालासोर में हुए रेल हादसे में जान गंवा चुके लोगों की जिन्होंने सोचा नहीं था की वे सफर करते हुए अपने अंतिम सफर पर निकल जाएंगे। कई लोग ऐसे थे जो अपने बच्चों के साथ छुट्टिया बिताने जा रहे थे, तो कोई घर की जिम्मेदारियों के चलते काम के सिलसिले में घर को छोड़ बाहर जा रहे थे। उन्हें क्या पता था कि वे मौत की ट्रेन में सफर कर रहे है और यह सफर उनका आखिरी सफर होगा।

घटनास्थल पर नेता-राजेनता
देश के प्रधानमंत्री मोदी से लेकर कई बड़े बड़े नेता-राजनेता घटनास्थल का जायजा लेने पहुंचे थे, जिसमें उड़ीसा सीएम नवीन पटनायक, प. बंगाल सीएम ममता बनर्जी, रेलमंत्री अश्विन वैष्णव, पूर्व रेल मंत्री लालू यादव समेत कई नेता शामिल है। लेकिन क्या इनका पहुंचना मात्र मृतकों के परिवार की भरपाई कर पायेगा? क्या मुआवजे का ऐलान ही हर रेल हादसे का एक मात्र ईलाज है? आखिर कब तक होंगे ऐसे हादसे? इससे पहले भी कई बड़े रेल हादसे हो चुके है। आइयें एक नजर डालते है इन हादसों पर..

साल 2011: आज से 13 साल पहले 7 जुलाई 2011 को यूपी के एटा जिले में छपरा-मथुरा एक्सप्रेस की एक बस से टक्कर हो गई थी, जिसमें 69 लोगों की जान चली गई थी, जबकि कई लोग घायल भी हुए थे।

साल 2012 : इसके बाद 22 मई 2012 को आंध्र प्रदेश के पास एक मालगाड़ी और हुबली-बैंगलोर हम्पी एक्सप्रेस आपस में टकरा गई थी। इस रेल हादसे में ट्रेन की चार बोगियां पटरी से उतरी और उसी में से एक बोगी में आग लगने से लगभग 25 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 43 लोग घायल हो गए थे।

साल 2014 : उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर इलाके में 26 मई 2014 को गोरखपुर की ओर जा रही गोरखधाम एक्सप्रेस खलीलाबाद स्टेशन के पास रुकी मालगाड़ी से अचानक टकरा गई थी, जिसमें 25 लोगों की मौत हो गई थी और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

साल 2016 : उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से 100 किमी दूर पुखरायां के पास 20 नवंबर 2016 को इंदौर-पटना एक्सप्रेस 19321 के 14 कोच पटरी से उतर गए थे, इस हादसे में 150 यात्रियों की मौत हो गई थी और 150 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

साल 2017 : 23 अगस्त 2017 को दिल्ली की ओर आ रही कैफियत एक्सप्रेस के 9 डिब्बे यूपी के औरैया के पास पटरी से उतर गए, जिसमें किसी की मौत की जानकारी नहीं मिली है परन्तु करीब 70 लोग घायल हो गए थे।

साल 2017: एक बार फिर इसी साल में 18 अगस्त 2017 को पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस यूपी के मुजफ्फरनगर में पटरी से उतर गई थी, जिसमें 23 लोगों की मौत और लगभग 60 अन्य घायल हो गए थे।

साल 2022: वहीं 13 जनवरी साल 2022 को बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस के करीब 12 डिब्बे पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार क्षेत्र में पटरी से उतर गए थे, जिसमें 9 लोगों की मौत और 36 अन्य घायल हो गए थे।

साल 2023: इन हादसों के बाद पीएम मोदी की सरकार के रहते हुए ये अब तक का सबसे बड़ा रेल हादसा हुआ है, जो 2 जून 2023 को ओडिशा के बालासोर जिले में हुआ। यह भीषण हादसा कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के बेपटरी होने से लूप लाइन में खड़ी हुई एक मालगाड़ी के टकराने से हुआ,जिसमें 288 से ज्यादा लोगों की मौत और 900 से ज्यादा यात्री घायल बताए जा रहे हैं।

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