मध्य प्रदेश, जो अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और राष्ट्रीय उद्यानों के लिए प्रसिद्ध है, अब ग्रामीण पर्यटन के एक नए केंद्र के रूप में उभर रहा है। शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर, पर्यटक अब प्रदेश के गांवों में शांति और सुकून की तलाश कर रहे हैं, जहां उन्हें कम खर्च में प्रकृति के करीब रहने का मौका मिलता है।
यह नया चलन खासकर उन लोगों को आकर्षित कर रहा है जो एक प्रामाणिक और सांस्कृतिक अनुभव चाहते हैं। बड़े शहरों के शोर-शराबे से अलग, इन गांवों का शांत वातावरण और हरियाली लोगों को मानसिक शांति प्रदान करती है। पर्यटक यहां न केवल खूबसूरत नजारों का आनंद लेते हैं, बल्कि स्थानीय जीवनशैली को भी करीब से देखते हैं।
देसी खानपान बना मुख्य आकर्षण
ग्रामीण पर्यटन के इस बढ़ते क्रेज के पीछे एक बड़ी वजह यहां का पारंपरिक और स्वादिष्ट भोजन है। शहरों के रेस्टोरेंट में मिलने वाले फास्ट फूड के बजाय, यहां पर्यटकों को खेतों से ताजी सब्जियों से बना खाना परोसा जाता है।
खासकर सर्दियों के मौसम में, बाजरे की रोटी, चने का साग, गुड़ और घी जैसे व्यंजन पर्यटकों की पहली पसंद बन रहे हैं। यह भोजन न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। स्थानीय निवासियों द्वारा अपने घरों में बनाए गए इस खाने का स्वाद पर्यटकों को लंबे समय तक याद रहता है।
कम बजट में बेहतरीन अनुभव
जहां एक ओर बड़े पर्यटन स्थलों पर घूमना और रहना काफी महंगा हो सकता है, वहीं मध्य प्रदेश के गांवों में यह अनुभव बहुत ही किफायती साबित होता है। यहां होमस्टे या स्थानीय गेस्ट हाउस में रुकने का खर्च काफी कम होता है। इससे न केवल पर्यटकों के पैसे बचते हैं, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए आय का एक नया स्रोत भी बनता है।
कम बजट में प्रकृति के बीच समय बिताने, स्थानीय संस्कृति को जानने और देसी खाने का लुत्फ उठाने का यह मौका शहरी पर्यटकों के लिए किसी ‘स्वर्ग जैसे एहसास’ से कम नहीं है। यह ट्रेंड मध्य प्रदेश में पर्यटन को एक नई दिशा दे रहा है और राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान कर रहा है।










