उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा चलाए जा रहे विद्यालय विलय अभियान पर समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने सख्त आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे हजारों बच्चों और उनके परिवारों के भविष्य से जुड़ा मामला बताते हुए मैनपुरी जिलाधिकारी को पत्र लिखा है। अपने पत्र में डिंपल यादव ने सरकार से इस फैसले से प्रभावित बच्चों, परिवारों और कर्मचारियों से जुड़ी अहम जानकारी मांगी है।
डिंपल यादव ने बताया बच्चों के भविष्य से खिलवाड़
डिंपल यादव ने कहा कि मैनपुरी जिले में अब तक 341 विद्यालयों को बंद या मर्ज करने के आदेश दिए जा चुके हैं, जबकि कुल 943 विद्यालयों को चिन्हित किया गया है। यह फैसला सीधे तौर पर हजारों बच्चों और उनके परिवारों को प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा कि बच्चों की पढ़ाई, उनकी दूरी, सुविधाएं और सुरक्षा सब कुछ इस फैसले से प्रभावित होगी। खास बात यह है कि इस पूरे निर्णय में अभिभावकों से कोई लिखित सहमति नहीं ली गई है।
जिलाधिकारी से मांगी सात बिंदुओं पर जानकारी
सपा सांसद ने अपने पत्र में सात अहम सवाल उठाए हैं। इनमें प्रभावित बच्चों की संख्या, उनकी जातिगत और आर्थिक स्थिति, परिवहन की वैकल्पिक व्यवस्था, शिक्षकों और कर्मचारियों की नई नियुक्ति और अभिभावकों की सहमति जैसी जानकारियां शामिल हैं। डिंपल यादव ने प्रशासन से कहा है कि यह सूचनाएं पारदर्शिता के तहत तुरंत सार्वजनिक की जाएं।
पूछा- क्या ली गई अभिभावकों की अनुमति?
डिंपल यादव ने यह भी पूछा है कि क्या विद्यालय विलय के फैसले से पहले बच्चों के अभिभावकों से कोई राय ली गई? यदि ली गई है तो उन सभी दस्तावेजों की प्रतियां उन्हें उपलब्ध कराई जाएं। उन्होंने कहा कि इस तरह का बड़ा फैसला बिना अभिभावकों की सहमति के बच्चों पर थोपना गलत है और इससे शिक्षा का स्तर प्रभावित हो सकता है।
कर्मचारियों की नियुक्ति और वैकल्पिक योजना पर भी सवाल
सांसद ने यह जानना चाहा है कि बंद किए गए स्कूलों के शिक्षकों, रसोइयों, शिक्षामित्रों और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को किस स्कूल में पुनर्नियुक्त किया गया है। साथ ही उन्होंने ब्लॉक संसाधन केंद्रों पर तैनात किए गए कर्मचारियों की सूची भी मांगी है। इसके अलावा उन्होंने यह भी पूछा है कि स्कूल बंद होने के बाद बच्चों को नए स्कूलों तक पहुंचाने के लिए कौन-सी परिवहन व्यवस्था लागू की जा रही है।