Site icon Ghamasan News

वक्फ संशोधन बिल पर JPC की बैठक में हंगामा, 10 विपक्षी सांसदों को किया गया सस्पेंड

वक्फ संशोधन बिल पर JPC की बैठक में हंगामा, 10 विपक्षी सांसदों को किया गया सस्पेंड

वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा करने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक में ताजा हंगामे के कारण राजनीति में गर्मी बढ़ गई है। बैठक के दौरान विपक्षी सांसदों ने जोरदार विरोध किया, जिसके बाद JPC के अध्यक्ष ने 10 सांसदों को एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया। असदुद्दीन ओवैसी, इमरान मसूद और कल्याण बनर्जी जैसे प्रमुख विपक्षी नेताओं को इस सस्पेंशन का सामना करना पड़ा है।

हंगामा क्यों हुआ?

विपक्षी सांसदों का आरोप था कि समिति उनकी बातों को नज़रअंदाज़ कर रही है। जेपीसी की बैठक में हंगामा उस वक्त शुरू हुआ जब विपक्षी दलों के सांसदों ने रिपोर्ट को मंजूरी देने की तारीख बढ़ाने की मांग की। समिति के सदस्य चाहते थे कि रिपोर्ट को 31 जनवरी तक पेश किया जाए, लेकिन बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने 27 जनवरी की तारीख पर जोर दिया। इस पर विपक्षी सांसदों ने आपत्ति जताई, और मामला गरमा गया।

10 विपक्षी सांसदों को किया गया सस्पेंड

हंगामे के दौरान, 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया। जिन सांसदों को निलंबित किया गया, उनमें असदुद्दीन ओवैसी, इमरान मसूद, कल्याण बनर्जी, अरविंद सावंत, नासिर हुसैन, ए राजा, मोहिबुल्लाह नदवी, एमएम अब्दुल्ला, नदीमुल हक, और मोहम्मद जावेद शामिल हैं। इन सांसदों का कहना है कि उन्हें जेपीसी की बैठक में पूरी तरह से अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया जा रहा था।

JPC की बैठक में हो रहे विवाद

अरविंद सावंत ने बताया कि विपक्षी सांसदों को इस बैठक में समय नहीं दिया गया, और जल्दबाजी में काम किया जा रहा था। उनका कहना था कि वे 31 जनवरी तक क्लॉज-दर-क्लॉज चर्चा चाहते थे, लेकिन समिति ने अपनी तय तारीख बदलकर 27 जनवरी कर दी। इस फैसले के खिलाफ विपक्षी दलों ने विरोध जताया।

समिति की कार्यप्रणाली पर सवाल

विपक्षी सांसदों का कहना था कि समिति ने जो बदलाव किए, वह पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को दर्शाते हैं। पहले 24 और 25 जनवरी को क्लॉज-बाय-क्लॉज अमेंडमेंट पर चर्चा की तारीख तय की गई थी, लेकिन देर रात इसे बदलकर 27 जनवरी कर दिया गया। विपक्षी सांसदों ने इसे उनके साथ किए गए अन्याय के रूप में देखा।

वक्फ पर बनी इस समिति की रिपोर्ट 500 पन्नों की हो सकती है, जिसे आगामी बजट सत्र में पेश किया जा सकता है। समिति के अध्यक्ष और सदस्यों के अनुसार, उन्होंने इस मुद्दे पर 34 बैठकें आयोजित की हैं और कई राज्यों का दौरा भी किया है। इसके अलावा, 24 से अधिक हितधारकों को बुलाकर उनकी राय ली गई है। ऐसे में यह समिति अपनी रिपोर्ट को तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

Exit mobile version