बिहार एक बार फिर अपराध और अराजकता की खबरों को लेकर सुर्खियों में है। पिछले 24 घंटे के भीतर 6 से अधिक हत्याएं होने की घटनाओं ने राज्य की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राजधानी पटना से लेकर ग्रामीण जिलों तक अपराधियों ने खुलेआम वारदातों को अंजाम दिया और पुलिस अब भी अधिकांश मामलों में खाली हाथ दिख रही है।
पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल
बिहार पुलिस का दावा है कि वे सभी मामलों की जांच कर रही हैं और जल्द गिरफ्तारी होगी, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। कई मामलों में सीसीटीवी फुटेज, प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के बावजूद अभी तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्थानीय पुलिस तंत्र की सुस्ती, कमीशनखोरी और राजनीतिक हस्तक्षेप जैसे कारण अपराधियों को खुली छूट दे रहे हैं।
सियासत गरमाई, विपक्ष का हमला
बढ़ते अपराधों को लेकर बिहार की राजनीति में भी उबाल है। विपक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार सुशासन की जगह जंगलराज में तब्दील हो गई है। बिहार में नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में सबको पता है कि किसके इशारे पर ये सब हो रहा है। बिहार में अपराधियों के मनोबल बढ़े हुए हैं. सीएम नीतीश के स्वास्थ्य के बारे में सबको पता है, लेकिन बीजेपी को दोनों डिप्टी सीएम नकारे हैं.
जनता में डर, प्रशासन से उम्मीद
बिहार में आम नागरिक अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। व्यापारियों में भय है, युवा वर्ग में रोष है, और ग्रामीण इलाकों में लोग रात्रि में बाहर निकलने से बच रहे हैं। लोगों की मांग है कि -राज्य में कानून व्यवस्था पर फोकस किया जाए। हर जिले में फास्ट ट्रैक कार्रवाई और पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए। सीसीटीवी कवरेज बढ़ाकर तकनीक का सहारा लिया जाए। अपराधियों को फास्ट ट्रायल के तहत सजा दिलाई जाए।
सीतामढ़ी से लेकर पटना तक आतंक
बिहार में अपराधियों के मनोबल बढ़े हुए हैं। एक ओर बिहार में बदमाश मस्त हैं तो दूसरी ओर बिहार पुलिस पस्त है। बिहार के सीएम के गृह राज्य नालंदा में अपराधियों ने पीएमसीएच के कार्यरत नर्स की गोली मारकर हत्या कर दी। वहीं दूसरी मामूली में विवाद में दो बच्चों की नालंदा में गोली मारकर हत्या कर दी गई। रविवार को दोपहर में एक वकील को दिनदहाड़े अपराधियों ने गोली मार दी। सीतामढ़ी में व्यवसायी को बाजार से लौटते समय हत्या कर दी। अगर एक आंकड़े के मुताबिक देखा जाए तो बिहार में जुलाई महीने के पहले पखवाड़ा में अब तक 31 से ज्यादा लोगों की हत्या हो चुकी है। बिहार में इस साल विधानसभा का चुनाव है और अचानक से बढ़ते क्राइम के ग्राफ ने फिर बिहार और बिहारवासियों को सोंचने पर मजबूर कर दिया है।