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महेंद्र सिंह धोनी : क्रिकेट के सूरमा की विदाई के तीन साल, जब धोनी के रिटायरमेंट पर नम हुई सबकी आँखे!

महेंद्र सिंह धोनी : क्रिकेट के सूरमा की विदाई के तीन साल, जब धोनी के रिटायरमेंट पर नम हुई सबकी आँखे!

जब हम क्रिकेट की बात करते हैं, तो एक नाम जिसका महत्व और महिमा सभी को पता होती है, वह है महेंद्र सिंह धोनी। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान एमएस धोनी के संन्यास के आज तीन साल पूरे हो चुके हैं। 15 अगस्त 2020 को धोनी ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की थी। उनके कैरियर की वो शुरुआत जब कप्तान के तौर पर उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम में कमाल दिखाया, वह एक यादगार सफलता जो आज भी हर भारतीय के दिलों में ज़िन्दा है। फिर भले वह 2007 विश्व कप हो या फिर 2011 का वनडे वर्ल्डकप दोनों में भारत को बतौर कप्तान विश्वविजेता बनाया, उस दिन से धोनी का नाम भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।

कहते है बाज की नजर व् चीते की रफ़्तार से तेज कोई नहीं लेकिन क्रिकेट की दुनिया की बात की जाये तो महेंद्र सिंह धोनी के हाथो से तेज कोई नहीं। जब धोनी स्टंप्स के पीछे होते है तो चीते की रफ़्तार से भी तेज स्टंपिंग करते है। धोनी की खेल कौशल और नेतृत्व कौशलों का मिलाजुला मिश्रण ही उन्हें इतना खास बनाता है। उन्होंने हमेशा आवश्यकता के समय अपने तैयारियों और कल्पनाशीलता के साथ महान परिणाम प्रस्तुत किए हैं, चाहे वो बैटिंग के दौरान हो या फिर स्टम्पिंग के दौरान।

धोनी के क्रिकेट करियर का हुआ अंत !

लेकिन आखिरकार, समय का सिरा बंद हुआ। जब धोनी ने क्रिकेट की दुनिया को अलविदा कहा। लेकिन उन्हें क्रिकेट की दुनिया में अपने खेल के धनी के रूप में जाना गया। उनके संन्यास के बाद, हजारों दिलों में खास जगह बन गई है जो उनके साथी, प्रशंसकों और सभी क्रिकेट प्रेमियों के द्वारा रखी गई है।

महेंद्र सिंह धोनी की विदाई का समय तो आया, लेकिन उनके खेल की यादें, उनके कुशलता की कहानी, और उनके नेतृत्व के प्रेरणास्त्रोत अब भी दुनिया के साथ हैं। उन्होंने हमें दिखाया कि महत्वपूर्ण नहीं कि हम कब और कैसे हारते हैं, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि हम कैसे उठते हैं और फिर से मैदान में आते हैं।

जब पूरे देश की आंखे हुई नम!
एक समय जब पूरे देश ने ख़ुशी मनाई। वक्त था 2011 वर्ल्डकप लेकिन एक समय जब भारत ने वो दुख भी सहा जब 2019 वर्ल्डकप में धोनी आउट हुए और भारत का वर्ल्डकप उठाने का सपना टूटा। उस वक्त पूरे भारत की आँखे नम हुई।

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