इंदौर (Indore News) : इंदौर जिले में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (चरण-2) के सफल क्रियान्वयन तथा मिशन के चरण-1 के तहत प्राप्त की गई उपलब्धियों की स्थिरता और ग्रामीण इंदौर में ठोस/तरल और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (SLWM) के लिये पर्याप्त सुविधाएँ प्रदान करने हेतु कलेक्टर श्री मनीष सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को रविंद्र नाट्य गृह में कार्यशाला एवं प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया।
इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ श्री हिमांशु चंद्र तथा सभी जनपद पंचायतों के सीईओ, उपयंत्री, एडीईओ, समस्त ग्राम पंचायतों के सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक एवं स्वच्छाग्राही उपस्थित थे। कार्यशाला के दौरान इंदौर की सभी ग्राम पंचायतों को 31 मार्च 2022 तक ओडीएफ प्लस बनाने का संकल्प लिया गया।
ओडीएफ प्लस के सभी मापदंडों को प्राप्त करने के लिए हम सभी को यह सुनिश्चित करना होगा कि ग्रामीण क्षेत्रों के घरों में बने शौचालय ठीक रहे और साफ रहें और वहां के लोगों में स्वच्छता के प्रति व्यवहार परिवर्तन भी विकसित किया जा सके। उन्होंने कहा कि जब सार्वजनिक स्थान स्वच्छ रहेंगे तब लोगों के व्यवहार में भी परिवर्तन आएगा तथा उनकी मानसिकता भी बदलेगी। इसी के साथ ही दीवार लेखन के माध्यम से भी लोगों में जनजागृति की जा सकती है। कलेक्टर श्री सिंह ने कार्यशाला में उपस्थित सरपंचों से भी सुझाव लिए तथा उन्हें ग्राम पंचायतों में प्रॉपर्टी टैक्स एवं स्वच्छता शुल्क लोगों से एकत्रित करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन भी दिया। उन्होंने अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में देपालपुर तहसील स्थित काली बिल्लौद गांव द्वारा किए गए अनुकरणीय कार्य की सराहना भी की।
उन्होंने कहा कि मिशन के प्रथम चरण में जिम्मेदारी लोगों को प्रेरित कर शौचालय बनवाने की थी लेकिन मिशन के दूसरे चरण में अब जिम्मेदारी हमारी है कि पहले चरण की उपलब्धियों को बनाए रखते हुए हम अपशिष्ट प्रबंधन हेतु बेहतर सुविधाएं प्रदान कर सके। उन्होंने कहा कि मिशन के दूसरे चरण के सभी मापदंडों की प्राप्ति के लिए ब्लॉक एवं पंचायत स्तर पर भी प्रशिक्षण दिए जाएंगे। जिले में ब्लाक स्तर पर प्लास्टिक प्रबंधन इकाइयां स्थापित की गई हैं तथा कई ग्राम पंचायतों में सेग्रीगेशन शेड भी बनाएं जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मानव मल के डिस्पोजल हेतु ग्राम काली बिल्लौद में फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट भी शुरू किया गया है जो देश का पहला कार्यकारी ट्रीटमेंट प्लांट है।
ग्रामीण क्षेत्रों को ओडीएफ प्लस कैटेगरी में शामिल करने के लिए सात जरूरी मापदंड है जिनमें गांव के सभी घरों में व्यक्तिगत शौचालय की उपलब्धता एवं उनका उपयोग, 100 से अधिक घरों वाले गांवों में आवश्यकता अनुसार सामुदायिक स्वच्छता परिसर का निर्माण हो, गांव में स्थित समस्त शासकीय भवन स्कूल, आंगनवाडी आदि में शौचालय की उपलब्धता हो या नजदीक में यह व्यवस्था हो तथा इसका उपयोग हो, गांव में जैविक कचरे एवं ग्रे वॉटर के प्रबंधन के लिये आवश्यक अधोसंरचना हो, गांव में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की क्रियाशील प्रणाली, गांव के समस्त सार्वजनिक स्थलो पर दृश्य स्वच्छता सुनिश्चित हो तथा ग्राम के सार्वजनिक स्थलों पर ओडीएफ प्लस के न्यूनतम 05 संदेशों का लिखा होना आवश्यक है।