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अधूरे रह गए शंकर, पत्‍नी अस्‍पताल में थी और इंदौर के लिए व्‍यवस्‍थाएं जुटाने में लगे थे सांसद लालवानी

अधूरे रह गए शंकर, पत्‍नी अस्‍पताल में थी और इंदौर के लिए व्‍यवस्‍थाएं जुटाने में लगे थे सांसद लालवानी

बुधवार को जब इंदौर के सांसद शंकर लालवानी की पत्‍नी श्रीमती अमिता लालवानी के निधन की खबर मिली तो आम लोगों के साथ-साथ हम पत्रकार भी चौंक गए। पूरी दुनिया की खबर रखने वाले हम पत्रकारों को भी उनकी लंबी बीमारी के बारे में पता नहीं चल पाया जबकि सांसद शंकर लालवानी से लगभग हर दूसरे दिन किसी ना किसी संदर्भ में बात-मुलाकात होती रहती है।

पिछले एक साल से श्रीमती लालवानी की तकलीफ बढ़ गई थी वहीं पिछले चार महीनों से वे पूरी तरह आईसीयू में ही थी। इसी बीच सांसद शंकर लालवानी इंदौर की कोरोना से लड़ाई को मजबूत करते रहे। कोविड की पहली लहर में देश के सबसे सक्रिय सांसद का तमगा पा चुके लालवानी दूसरी लहर में भी अस्‍पताल, दवाई, ऑक्‍सीजन के लिए फील्‍ड में लगातार सक्रिय दिखे।

इस बीच सांसद शंकर लालवानी ने कोराेना में अपने माता-पिता या घर के कमाने वाले सदस्‍य को खोने वाले बच्‍चों की शिक्षा की व्‍यवस्‍था की, इंदौर के पिंक वैक्‍सीनेशन सेंटर खुलवाए और केंद्र से बात कर इंदौर के लिए वैक्‍सीन का विशेष कोटा भी स्‍वीकृत करवा लिया। इसके अलावा पूरे देश में ‘वैक्‍सीन ऑन व्‍हील्‍स’ की व्‍यवस्‍था करने वाले भी वे देश के एकमात्र सांसद है।

आमतौर पर घर में परिवार का कोई सदस्‍य सामान्‍यत: बीमार भी हो तो हमारा काम-धंधा छूट जाता है लेकिन सांसद शंकर लालवानी ने इंदौर को हमेशा प्राथमिकता दी लेकिन एक पति की भूमिका भी उन्‍होंने बखूबी निभाई। सांसद लालवानी के साथ काम करने वाले उनके एक सहयोगी ने बताया कि सीएचएल अस्‍पताल के आईसीयू के बाहर डॉक्‍टर कैबिन को ही उन्‍होंने अपना मिनी ऑफिस बना लिया था। पिछले चार महीनों से श्रीमती लालवानी आईसीयू में थी और कोराेना चरम पर था, उस स्थिति में सांसद लालवानी ने ना सिर्फ शहर के लिए अपनी जिम्‍मेदारियों को निभाया बल्कि रोज सुबह, दोपहर और शाम को वे अस्‍पताल में ही होते थे। सांसद लालवानी के सहयोगी ने बताया कि दिल्‍ली में संसद सत्र के दौरान भी लालवानी डॉक्‍टर से दिन में चार बार बात करते थे और पत्‍नी के स्‍वास्‍थ्‍य के पल-पल की जानकारी उन्‍हें होती थी।

अस्‍पताल में आईसीयू की जिम्‍मेदारी संभालने वाली एक नर्स ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि सांसद लालवानी देर रात उनकी पत्‍नी की देखभाल के लिए हॉस्पिटल में रुक जाते थे। जब कोरोना चरम पर था और आम आदमी बाहर निकलने में भी डरते थे तो सांसद लालवानी ने कोविड आईसीयू के बाहर बने कैबिन में घंटों बिताए और अपनी पत्‍नी को लगातार हौंसला बंधाते रहे।

आज श्रीमती लालवानी को जब उनके मनीषपुरी स्थित घर से आखिरी विदाई दी जा रही थी तो मैंने सांसद शंकर लालवानी को जोर-जोर से रोते देखा तो यकीन ही नहीं हुआ कि हमेशा मुस्‍कुराते रहने वाले इस शख्‍स ने अपने भीतर इतना गम छिपा कर रखा है। श्रीमती अमिता लालवानी अनंत की यात्रा पर चली गई हैं जहां से कोई लौटकर नहीं आता और हमारे अपने ‘शंकर’ अधूरे रह गए हैं।

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