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केन्द्रीय बजट 2024-25 में महत्वपूर्ण संशोधन/परिवर्तन करने के संबंध में मीटिंग सम्पन्न

केन्द्रीय बजट 2024-25 में महत्वपूर्ण संशोधन/परिवर्तन करने के संबंध में मीटिंग सम्पन्न

आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय बजट 2024-25 को लागू करने के पूर्व एवं उसके क्रियान्वयन के लिए आमंत्रित सुझाव एवं प्रस्तावों पर विचार-विमर्श और चर्चा के लिए एक अतिआवश्यक मीटिंग केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीता रमण की अध्यक्षता में नई दिल्ली में सम्पन्न हुई।

मीटिंग में केन्द्रीय वित राज्यमंत्री पंकज चौधरी सहित वित्त सलाहकार एन्टोनी सिरियक, वित्त सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) विभाग के प्रमुख सचिव सहित ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज़, लघु उ‌द्योग भारती, चेम्बर ऑफ इंडियन माइक्रो स्मॉल एण्ड मीडीयम इंटरप्राइसेस, ऑल इंडिया फूड प्रोसेसर एसोसिएशन, इंडिया एसोसिएशन फॉर फूड एण्ड ऐग्रिकल्चर टेक्नॉलजी एण्ड डेवलपमेंट सहित देश के 14 व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

मीटिंग में विभिन्न हितधारकों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उ‌द्यम (MSME) में पंजीकृत अनेक उ‌द्यमियों और व्यापारिक संगठनो के साथ 2024-25 के बजट में संशोधन/परिवर्तन एवं क्रियान्वयन के लिए विस्तारपूर्वक चर्चा की गई एवं आमंत्रित उद्यमियों के सुझावों एवं प्रस्तावों को गम्भीरतापूर्वक विचार कर बजट में शामिल करने के लिए आश्वस्त किया गया ।

ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन की ओर से देश के कृषि आधारित दाल उ‌द्योगों का प्रतिनिधित्व करते हुए संस्था के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने अपनी प्रेस प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि वर्ष 2024-25 के केन्द्रीय बजट में दाल इंडस्ट्रीज़ के हितार्थ विभिन्न संशोधन एवं परिवर्तन के लिए सरकार को सुझाव एवं प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए है। मीटिंग में संस्था के वरिष्ठ सदस्य रूपेश राठी (अकोला) भी सम्मिलित हुए । संस्था की ओर से वित्त मंत्रालय को निम्न सुझाव एवं प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए, जिनमे प्रमुख रूप से –

1. भारत में आयकर (INCOME TAX) की दर 30% + शिक्षा उपकर + सरचार्ज सहित बहुत अधिक है, जिससे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) आयकर दाताओं पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है. इसे कम करके 20% किया जाना चाहिए ।

इसका कारण यह है कि देश में आयकर के अतिरिक्त भी सभी राज्यों में अनेक प्रकार के कर (TAX) लगे हुए है, जैसे जीएसटी (जीएसटी में सभी प्रकार के व्यापार में जीएसटी की दरे अलग अलग है), प्रोफेशनल टैक्स, स्थानीय नगर निगम नगर परिषद के संपत्ति कर (PROPERTY TAX), चुंगी कर (OCTROI DUTY), पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी, कृषि उपज पर मंडी शुल्क और प्रॉपर्टी खरीदने पर स्टाम्प ड्यूटी सहित विभिन्न प्रकार के टैक्स का वहन व्यापारियों को करना पड़ता है, अतः आयकर की दरों में कमी की जावे ।

2. इसके अतिरिक्त देश के राष्ट्रीयकृत बैंक, प्राइवेट बैंक एवं को-आपरेटिव बैंको में ब्याज दरों (INTEREST RATES) में भी कमी करने की आवश्यकता है, सभी बैंको मे व्याज की दर मे विशेष रूप से निर्धारित होना चाहिए। देश की दाल इंडस्ट्रीज, अन्य उ‌द्योगों और व्यापारियों के विभिन्न खाते जैसे केश क्रेडिट लिमिट खाता (CC LIMIT), बुक डेब्ट्स खाता लिमिट खाता, टर्म लोन लिमिट खाता एवं अन्य लोन खाते विभिन्न बैंको में रहते है, जिस पर ब्याज की दरे उच्चतम स्तर की है. व्याज दर कम करके 6% किए जाने का अनुरोध है। साथ ही बैंक द्वारा विभिन्न प्रकार के शुल्क भी खातों में लगाए जाते है, उन्हें भी कम किया जाना चाहिए ।

बैंको की ब्याज दरे अधिक होने से इसका अतिरिक्त भार भी उ‌द्योगों और व्यापारियों पर पड़ रहा है और खर्च बढ़ता जा रहा है। ब्याज महत्वपूर्ण नहीं होता, बल्कि उ‌द्योग चलेंगे तो देश मे रोजगार के अवसर पैदा होंगे, साथ ही सरकार को भी राजस्व मिल सकेगा ।

3. दाल इंडस्ट्रीज दालों को क्लीन करने के लिए विदेशों से जो कलर सॉरटेक्स मशीन खरीदती है, जिसका उपयोग आम उपभोक्ताओ को बेस्ट क्वालिटी की दाले उपलब्ध कराने के लिए किया जाता है। आयातित कलर सॉरटेक्स मशीनो पर इम्पोर्ट ड्यूटी समाप्त करने का अनुरोध है।

4. जीएसटी लागू करते वक्त सरकार ने “एक देश एक टैक्स” का कहा था, जीएसटी प्रारंभ होने के बाद स्पष्ट था कि मंडी शुल्क व अन्य टैक्स समाप्त कर दिए जाएंगे, किन्तु आज भी देश के अनेक राज्यों में मंडी शुल्क अलग-अलग दर से वसूला जा रहा है। अतः अनुरोध है की मंडी शुल्क की दरे सम्पूर्ण देश में एक समान 0.50 पैसा प्रति सेकड़ा किया जाना चाहिए ।

वर्तमान में देश के विभिन्न राज्यों में मंडी शुल्क की दर निम्नानुसार है-

राज्य – मंडी शुल्क की दर

  1. महाराष्ट्र – 0.80%
  2. गुजरात – 0.50%
  3. मध्यप्रदेश – 1.20%
  4. राजस्थान – 1.60%
  5. बिहार – 0.00%
  6. दिल्ली – 0.00%

इसके अतिरिक्त अन्य राज्यों में भी मंडी शुल्क अलग-अलग दर से लिया जाता है। उपरोक्त सुझाव एवं प्रस्तावों पर विस्तारपूर्वक चर्चा करके वर्ष 2024-25 का प्रस्तावित केन्द्रीय बजट लागू करने का अनुरोध किया ।

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