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किसानों के लिए खुशखबरी, सरकार से मेन रोड पर मिलेगा प्लॉट, 15 जुलाई से शुरू होगी रजिस्ट्री

Indore News

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Indore News: मध्य प्रदेश सरकार का महत्वाकांक्षी इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट तेजी से आकार ले रहा है। मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम (एमपीआइडीसी) ने स्पष्ट किया है कि जिन किसानों की जमीन इस प्रोजेक्ट के लिए ली जाएगी, उन्हें उसी गांव में विकसित प्लॉट दिए जाएंगे। 15 जुलाई, 2025 से सहमति देने वाले किसानों की रजिस्ट्री शुरू होगी, और सभी जमीन मिलने के तीन साल में प्रोजेक्ट पूरा करने का लक्ष्य है।

क्षेत्र के लिए नया आर्थिक द्वार

19.4 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर पीथमपुर के औद्योगिक क्षेत्र को इंदौर से जोड़ेगा। 1,290.74 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस प्रोजेक्ट की लागत 2,124.80 करोड़ रुपये है। इसमें टीही, कन्नड़, भैसलाय, सोनवाय, देहरी, बागोदा, मोकलाय, नरलाय, शिवखेड़ा, सिंदौड़ी, श्रीराम तलावली, नावदा पंथ, बिसनावदा, रिंजलाय, नैनोद, कोर्डियाबर्डी जैसे 17 गांव शामिल हैं। यह प्रोजेक्ट क्षेत्र में औद्योगिक और व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा।

किसानों को देंगे 60% विकसित भूखंड

इस प्रोजेक्ट में पहली बार सरकार जमीन अधिग्रहण के बदले किसानों को 60% विकसित भूखंड देगी, जो इंदौर विकास प्राधिकरण की 50% की पेशकश से अधिक है। जिन किसानों की 6 बीघा से अधिक जमीन होगी, उन्हें मुख्य सड़क पर प्लॉट मिलेंगे, जबकि छोटे भूखंड वालों को उसी गांव की चौड़ी आंतरिक सड़क पर प्लॉट दिए जाएंगे। इस घोषणा के बाद किसानों ने रुचि दिखाई, और अब तक 100 हेक्टेयर जमीन की सहमति मिल चुकी है।

धीमी गति पर डीएम की नाराजगी

इंदौर के डीएम आशीष सिंह ने गुरुवार को समीक्षा बैठक में प्रोजेक्ट की धीमी गति पर चिंता जताई। बैठक में एमपीआइडीसी के कार्यकारी निदेशक हिमांशु प्रजापति, एसडीएम गोपाल वर्मा और निधि वर्मा मौजूद थे। प्रजापति ने बताया कि 100 हेक्टेयर जमीन की सहमति मिल चुकी है, लेकिन कलेक्टर ने इसे अपर्याप्त बताते हुए काम तेज करने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी विभागों को समन्वय के साथ काम करने और सरकारी जमीन को जल्द एमपीआइडीसी के नाम करने को कहा।

किसानों की शंकाएं और समाधान

एसडीएम ने बताया कि किसानों ने जमीन का दौरा किया है और ज्यादातर सहमत हैं, लेकिन वे पूछ रहे हैं कि प्लॉट कहां मिलेंगे, रजिस्ट्री कब होगी, और प्रोजेक्ट कब पूरा होगा। कुछ का कहना है कि अगर प्रोजेक्ट में देरी हुई तो वे खेती से भी वंचित हो जाएंगे। कलेक्टर ने इन शंकाओं को दूर करने और किसानों का भरोसा जीतने पर जोर दिया। एमपीआइडीसी ने आश्वासन दिया कि 15 जुलाई तक रजिस्ट्री शुरू करने की स्थिति बन जाएगी।

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