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कोरोना काल का महत्वपूर्ण सवाल आखिर इंदौर थूकने वालों का प्रिय शहर क्यों है ?

कोरोना काल का महत्वपूर्ण सवाल आखिर इंदौर थूकने वालों का प्रिय शहर क्यों है ?

Madhya Pradesh, Apr 09 (ANI): A road leading towards Bhopal railway station in Chandbad locality barricaded as containment area after detection of coronavirus positive during the nationwide lockdown in wake of coronavirus outbreak in Bhopal on Thursday. (ANI Photo)

अर्जुन राठौर

वास्तव में इस सवाल का जवाब खोजना चाहिए कि इंदौर थूकने वालों का प्रिय शहर क्यों है ? ऐसे समय में जबकि इंदौर कोरोना जैसी महामारी का एक बड़ा केंद्र बन गया है तब तो यह सवाल और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।

पूरे शहर में आपको थूकने वाले हर गली हर चौराहे पर मिल जाएंगे गुटखा या पान चबाकर उसे चाहे जहां थूक देना इंदौर वालों का प्रिय शगल है नगर निगम ने भी कई बार इस मामले में लोगों के चालान बनाए लेकिन लोग नहीं सुधरे अब कोरोना जैसी महामारी के चलते भी लोग सुधरना नहीं चाहते हैं उन्हें न तो अपनी जान की परवाह है और न दूसरों की, चाहे वे कार में बैठे हो या फिर दो पहिया वाहन पर पीछे देखे बगैर ही सड़क पर थूक देते हैं और वह थूक हवा में उड़ कर संक्रमण फैलाता है । पब्लिक वाहन में बैठने वाले तो और भी अधिक बेशर्म होते हैं वे चलती गाड़ी में से पीछे थूक देते हैं ।

ऐसा ही एक किस्सा रेलवे क्रॉसिंग पर एक लड़की के साथ हुआ था वह लड़की भीड़ में खड़ी थी और तभी बस में से एक व्यक्ति ने तंबाकू का पीक उस लड़की के चेहरे पर थूक दिया लड़की बेहोश हो गई और उसे अस्पताल में चार-पांच दिन तक भर्ती रखना पड़ा यह किस्सा मेरे एक मित्र ने मुझे सुनाया था गुटका खाने वालों का इंदौर में इस कदर आतंक है कि वे कहीं पर भी कोई जगह नहीं छोड़ते लोगों ने तो अपने भवनों की सीढ़ियों पर भगवान के फोटो तक लगा दिए ताकि लोग वहां पर नहीं थूके ।

इंदौर ने स्वच्छता के मामले में बाजी जरूर मार ली है लेकिन गुटखा खाकर थूकने वालों से पता नहीं कब मुक्ति मिलेगी अब ऐसे समय में जबकि कोरोना वायरस को लेकर गंभीर चेतावनी हमारे सामने आ रही है कि आने वाले समय में हो सकता है कि भारत में प्रतिदिन दो लाख से अधिक कोरोना के मामले सामने आने लगे ऐसे में सबसे बड़ी जरूरत इसी बात की है कि गुटखा खाकर थूकने वालों पर रोक लगाई जाए, क्योंकि सबसे ज्यादा संक्रमण यही लोग फैला रहे हैं प्रशासन द्वारा इंदौर में पान गुटके की दुकानें खोलने का आदेश तो दे दिये गये है, लेकिन संभव है कि उसके गंभीर परिणाम इंदौर के उन निर्दोष नागरिकों को भी भुगतना पड़ सकते हैं जो पान गुटके का सेवन नहीं करते हैं प्रशासन के पास सिर्फ चालान बनाने के अधिकार हैं और वह भी ऐसी स्थिति में जबकि उनके सामने कोई थूकता हुआ पाया जाए लेकिन नगर निगम या जिला प्रशासन के पास इतना अधिक मेन पावर ही नहीं है कि वह हजारों थूकने वालों पर प्रतिबंध लगा सके उनके खिलाफ कार्रवाई कर सके ऐसे में सबसे बड़ी जरूरत इसी बात की है कि गुटके के विक्रय पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाए और जब तक इंदौर पूरी तरह से कोरोना मुक्त नहीं हो जाता तब तक किसी को भी गुटखा खरीदने या बेचने की अनुमति ना रहे तभी कोरोना से जंग में जीत हो सकती है ।

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