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एर्दोगन की नई साजिश? भारत विरोधी एजेंडे के तहत पाकिस्तान भेजे अपने खास मंत्री

एर्दोगन की नई साजिश? भारत विरोधी एजेंडे के तहत पाकिस्तान भेजे अपने खास मंत्री

तुर्किए और पाकिस्तान के बीच रिश्ते लगातार मजबूत हो रहे हैं, खासकर रक्षा और रणनीतिक मामलों में। इसी कड़ी में तुर्किए के दो वरिष्ठ मंत्री बुधवार को इस्लामाबाद पहुंचे। इस दौरे को केवल एक औपचारिक मुलाकात नहीं, बल्कि भारत के प्रति बदलती क्षेत्रीय राजनीति के रूप में देखा जा रहा है।

पाकिस्तानी पीएम, विदेश मंत्री और सेना प्रमुख से मुलाकात तय

तुर्किए के विदेश मंत्री हाकन फिदान और रक्षा मंत्री यासर गुलर की इस्लामाबाद यात्रा को दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग का प्रतीक माना जा रहा है। वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री इशाक डार और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से मुलाकात करेंगे। यह बातचीत व्यापार, रक्षा और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के इरादे से की जा रही है।

भारत-पाक तनाव भी चर्चा के केंद्र में

यह दौरा ऐसे वक्त पर हो रहा है जब भारत और तुर्किए के रिश्तों में तल्खी देखी जा रही है। तुर्किए अक्सर कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता आया है, जिससे भारत को आपत्ति रही है। तुर्की मीडिया ‘हुर्रियत’ के अनुसार, हाकन फिदान के एजेंडे में भारत-पाक संबंधों में चल रहा तनाव और क्षेत्रीय शांति की संभावनाएं भी शामिल हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत का नाम इस बैठक में सीधे तौर पर लिया जा सकता है, भले ही औपचारिक तौर पर न बताया जाए।

पाकिस्तान को मिल सकते हैं और तुर्किए हथियार

तुर्किए, पाकिस्तान के साथ अपने रक्षा संबंधों को और गहरा करने की दिशा में लगातार सक्रिय है। बीते वर्षों में तुर्किए ने पाकिस्तान को लगभग 21 मिलियन डॉलर मूल्य के हथियार और रक्षा उपकरण भेजे हैं। यह सहयोग मई 2025 में भारत-पाक तनाव के समय भी देखने को मिला था। अब इस यात्रा में नए रक्षा समझौतों की घोषणा भी हो सकती है, जिससे पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को और बढ़ावा मिल सकता है।

ऊर्जा और खनिज क्षेत्र में भी बढ़ेगा सहयोग

रक्षा के साथ-साथ आर्थिक मोर्चे पर भी तुर्किए ने पाकिस्तान में अपनी दिलचस्पी दिखाई है। अप्रैल 2025 में तुर्किए पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और पाकिस्तान की तीन राष्ट्रीय तेल कंपनियों के बीच समझौते हुए थे। इन समझौतों के जरिए दोनों देश ऊर्जा और खनिज संसाधनों के क्षेत्र में मिलकर काम कर सकते हैं। इससे न सिर्फ तुर्किए को पाकिस्तान में निवेश का मौका मिलेगा, बल्कि पाकिस्तान को अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।

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