Delhi Fire Tragedy: नई दिल्ली के शाहदरा जिले के जगतपुरी स्थित ओल्ड गोविंदपुरा में मंगलवार की देर रात एक दर्दनाक हादसा हो गया। एक चार मंजिला इमारत में आग लगने से अफरा-तफरी मच गई। आग इतनी भीषण थी कि कुछ ही देर में पूरी इमारत को अपनी चपेट में ले लिया। हादसे में दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो की हालत नाजुक बनी हुई है। इस घटना में फायर ब्रिगेड, दिल्ली पुलिस और स्थानीय लोगों की सूझबूझ ने छह लोगों की जान बचा ली। लेकिन आग की चपेट में आकर पहली मंजिल पर फंसे चार लोगों में से दो की जान नहीं बच सकी।
आग ने ली दो जानें, दो झुलसे गंभीर
शाहदरा के डीसीपी प्रशांत गौतम ने बताया कि मंगलवार की देर रात पुलिस को सूचना मिली कि ओल्ड गोविंदपुरा की एक इमारत में आग लग गई है। तत्काल मौके पर पुलिस और दमकल विभाग की 9 गाड़ियां पहुंचीं। जानकारी के मुताबिक, इमारत में कुल 10 लोग फंसे थे। छह लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया, जबकि चार लोग पहली मंजिल पर फंसे हुए थे। दमकलकर्मी बड़ी मशक्कत के बाद उन्हें बाहर निकाल सके और हेड गेवार अस्पताल पहुंचाया गया, जहां 28 वर्षीय तनवीर और नुसरत को मृत घोषित कर दिया गया। वहीं, झुलसे फैजल और आसिफ (18) को गंभीर हालत में जीटीबी अस्पताल रेफर किया गया है।
आग बुझाने में दो घंटे लगे, शॉर्ट सर्किट की आशंका
दमकल अधिकारियों ने बताया कि आग पर काबू पाने में करीब 1 घंटा 45 मिनट का समय लगा। देर रात तक कूलिंग ऑपरेशन जारी था। शुरूआती जांच के मुताबिक, आग शॉर्ट सर्किट से लगी हो सकती है, लेकिन सटीक कारणों की पुष्टि एफएसएल और क्राइम टीम की जांच के बाद ही हो सकेगी। पुलिस के अनुसार, 35 से 40 गज की चार मंजिला इमारत में नीचे दुकानें और ऊपर रिहायशी मंजिलें थीं। दमकल की गाड़ियां संकरी गलियों के कारण सीधे इमारत तक नहीं पहुंच सकीं, जिसके चलते मेन रोड से पाइप जोड़कर पानी की आपूर्ति की गई।
मोबाइल बैटरी के गोदाम से शुरू हुई आग?
जांच के दौरान सामने आया कि पहली मंजिल पर मोबाइल की लिथियम बैटरी का गोदाम था। पुलिस और दमकल विभाग को आशंका है कि आग इसी गोदाम से शुरू हुई, जो बाद में ऊपर की मंजिलों तक फैल गई। लिथियम बैटरियां अत्यधिक ज्वलनशील होती हैं और शॉर्ट सर्किट या अधिक तापमान में आग पकड़ सकती हैं। इस आशंका को ध्यान में रखते हुए एफएसएल टीम को विशेष रूप से मौके पर बुलाया गया है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि क्या लापरवाही या गैरकानूनी गोदाम इस भीषण हादसे की वजह बना।
स्थानीय लोगों ने दिखाई बहादुरी
हादसे के वक्त इमारत में चीख-पुकार मच गई थी। ऐसे हालात में स्थानीय लोगों और पड़ोसियों ने भी बहादुरी दिखाई और शुरुआती रेस्क्यू में दमकल और पुलिस टीम की मदद की। ऊपरी मंजिलों से लोगों को निकालने में रस्सियों और सीढ़ियों का सहारा लिया गया। रात भर इलाके में दहशत और अफरातफरी का माहौल रहा। इलाके को सील कर दिया गया है और सुरक्षा कारणों से इमारत की पूरी तलाशी ली जा रही है कि कहीं और कोई फंसा न हो।
प्रशासन सतर्क, गैरकानूनी निर्माण पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर दिल्ली के रिहायशी इलाकों में अवैध गोदामों और खराब बिजली व्यवस्था को लेकर चिंता बढ़ा दी है। पहली मंजिल पर मोबाइल बैटरी जैसे ज्वलनशील पदार्थों का स्टोरेज और रिहायशी मंजिलों में पर्याप्त सुरक्षा उपायों की कमी पर अब सवाल उठने लगे हैं। दिल्ली सरकार और नगर निगम को ऐसे अवैध गोदामों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग भी उठ रही है। शाहदरा पुलिस पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर रही है।
जिम्मेदार कौन?
इस घटना ने दो परिवारों से उनके प्यारे सदस्य छीन लिए। दो अन्य जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस आग को रोका जा सकता था? अगर बिजली की व्यवस्था ठीक होती, अगर गोदाम रिहायशी इलाके में न होता, अगर आग बुझाने की व्यवस्था बेहतर होती, तो शायद जानें बचाई जा सकती थीं। अब जरूरत है जवाबदेही तय करने की, ताकि आगे ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। फिलहाल, पीड़ित परिवारों के लिए सरकार की ओर से किसी मदद का ऐलान नहीं किया गया है।