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पीएम मोदी की विदेश यात्रा पर भगवंत मान का तंज, विदेश मंत्रालय ने कहा-यह आपको शोभा नहीं देता

भगवंत मान

भगवंत मान

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पीएम मोदी की लगातार हो रही विदेश यात्राओं को लेकर तीखा तंज कसते हुए कहा कि “पीएम को विदेशों में रहने की इतनी आदत हो गई है कि अब भारत आने पर भी उन्हें लगने लगा है कि वे टूर पर हैं।” उनका यह बयान एक जनसभा को संबोधित करते हुए सामने आया, जहां उन्होंने केंद्र सरकार की विदेश नीति और “लिमलाइट” पसंद रवैये पर कटाक्ष किया।

भगवंत मान ने अपने चुटीले अंदाज़ में कहा, “पता नहीं विदेश से ज़्यादा कौन सा देश अच्छा लग रहा है प्रधानमंत्री को। वे भारत में हों या बाहर, कैमरा हमेशा उनके पीछे-पीछे घूमता है।” इस बयान ने सियासी हलकों में हलचल पैदा कर दी और केंद्र सरकार की ओर से तत्काल प्रतिक्रिया आई।

विदेश मंत्रालय की कड़ी प्रतिक्रिया

भगवंत मान की टिप्पणी पर विदेश मंत्रालय ने औपचारिक प्रतिक्रिया देते हुए कड़ा ऐतराज जताया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “भारत जैसे लोकतांत्रिक और वैश्विक मंच पर अहम भूमिका निभा रहे देश के प्रधानमंत्री की विदेश यात्राएं केवल डिप्लोमैटिक आवश्यकता नहीं, बल्कि रणनीतिक अनिवार्यता भी हैं। ऐसे में इस तरह की टिप्पणियां दुर्भाग्यपूर्ण हैं और एक राज्य के मुख्यमंत्री को यह शोभा नहीं देता।” MEA के प्रवक्ता ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं का उद्देश्य भारत की वैश्विक स्थिति को मज़बूत करना, निवेश आकर्षित करना और कूटनीतिक संबंधों को सुदृढ़ करना होता है। “राजनीतिक विरोध अपनी जगह, लेकिन राष्ट्रहित के मुद्दों पर इस तरह की टिप्पणियों से बचना चाहिए।

विपक्ष के सुर में सुर, BJP का पलटवार

जहां आम आदमी पार्टी और उनके समर्थकों ने भगवंत मान के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि “देश की ज़मीनी समस्याओं को छोड़कर प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय मंचों पर फोटोशूट में व्यस्त रहते हैं,” वहीं भाजपा ने इसे “राजनीतिक अपरिपक्वता” करार दिया। BJP के प्रवक्ता ने कहा कि भगवंत मान का यह बयान “न केवल प्रधानमंत्री का अपमान है, बल्कि भारत की विदेश नीति को लेकर एक गैर-जिम्मेदाराना दृष्टिकोण भी दिखाता है।” उन्होंने कहा कि ऐसे बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

इसके साथ ही कई राजनीतिक विश्लेषकों ने भी इस बयान को “लोकल राजनीति के लिए ग्लोबल मुद्दों का दोहन” कहा है। उनका मानना है कि विपक्ष केंद्र सरकार को निशाने पर लेने के लिए विदेश नीति जैसे गंभीर विषयों का उपयोग कर रहा है, जो कि स्वस्थ लोकतंत्र की दृष्टि से चिंताजनक है।

केंद्र-राज्य दूरी का संकेत?

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर केंद्र और राज्यों के बीच राजनीतिक खींचतान को उजागर कर दिया है। भगवंत मान का बयान महज एक कटाक्ष नहीं, बल्कि देश की राजनीतिक व्यवस्था में संवाद और मर्यादा की बदलती परिभाषाओं को भी दर्शाता है। पिछले कुछ समय में पंजाब, बंगाल जैसे राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र सरकार के बीच टकराव की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। यह सवाल अब और प्रासंगिक हो गया है कि क्या राजनीतिक मतभेदों को अभिव्यक्त करने के लिए सीमाएं तय होनी चाहिए?

राजनीतिक कटाक्ष बनाम राष्ट्रीय गरिमा

पीएम मोदी की विदेश यात्राओं पर कटाक्ष और विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया ने एक बार फिर राजनीतिक भाषाशैली और गरिमा के संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित किया है। एक ओर जहां राजनीतिक आलोचना लोकतंत्र का हिस्सा है, वहीं दूसरी ओर राष्ट्र से जुड़े विषयों पर भाषा की मर्यादा बनाए रखना भी हर जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी है।

अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में यह बयानबाज़ी किस रूप में आगे बढ़ती है – क्या यह केवल एक बयान तक सीमित रहती है या फिर केंद्र और राज्यों के बीच रिश्तों को और तनावपूर्ण बना देती है।

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