राजस्थान के चूरू जिले के रतनगढ़ क्षेत्र में बुधवार की दोपहर बड़ा हादसा हुआ, जब भारतीय वायुसेना का जगुआर फाइटर प्लेन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसा भानुदा गांव में दोपहर करीब 12:40 बजे हुआ। गांव के ऊपर से गुजरते वक्त विमान ने अचानक नियंत्रण खो दिया और देखते ही देखते खेतों में जा गिरा। जोरदार धमाके के साथ प्लेन छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट गया और आसपास के खेतों में आग लग गई। चश्मदीद के अनुसार, विमान गिरते ही शवों के टुकड़े और मलबा दूर-दूर तक फैल गया। पुलिस और प्रशासनिक टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं और घटनास्थल को सील कर जांच शुरू कर दी। शुरुआती जानकारी के मुताबिक, दो शव बरामद किए गए हैं, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि विमान में कितने लोग सवार थे।
4 महीनों में तीसरा जगुआर हादसा, चिंता में वायुसेना
यह हादसा पिछले चार महीनों में तीसरा जगुआर फाइटर प्लेन क्रैश है, जिसने वायुसेना की चिंता बढ़ा दी है। बीते 7 मार्च को हरियाणा के पंचकुला में जगुआर ट्रेनिंग मिशन के दौरान क्रैश हुआ था, जिसमें पायलट समय रहते इजेक्शन कर जान बचाने में सफल रहा। 2 अप्रैल 2025 को गुजरात के जामनगर में एक अभ्यास उड़ान के दौरान जगुआर क्रैश हुआ, जिसमें एक पायलट की मौत और एक घायल हुआ। इस बार चूरू की घटना में दो लोगों की जान गई है, जिससे इस श्रृंखला की गंभीरता और बढ़ गई है।
जगुआर फाइटर की ताकत, लेकिन अब तकनीकी चुनौतियां
जगुआर फाइटर विमान ब्रिटेन और फ्रांस की संयुक्त परियोजना है, जिसे भारत ने 1979 में वायुसेना में शामिल किया था। इसे ‘शमशेर’ नाम दिया गया है और यह परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। इसकी 1.6 मैक (1700+ किमी/घंटा) की रफ्तार, कम ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता और रडार से बचने की तकनीक इसे दुश्मन के गढ़ में घुसकर हमला करने में सक्षम बनाती है। यह विमान करगिल युद्ध सहित कई सैन्य अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है। हालांकि, समय के साथ इस पुराने एयरक्राफ्ट में तकनीकी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं, जिसके चलते लगातार हादसे सामने आ रहे हैं।
सरकारी पुष्टि का इंतजार, जांच जारी
घटना के बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी का माहौल है। पुलिस ने लोगों से घटनास्थल से दूर रहने की अपील की है। वायुसेना और रक्षा मंत्रालय की ओर से अब तक कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हादसे के कारणों की जांच के आदेश दे दिए गए हैं और विमान की ब्लैक बॉक्स की बरामदगी की कोशिश की जा रही है। इस दर्दनाक हादसे ने न केवल गांववासियों को दहशत में डाल दिया, बल्कि वायुसेना के जंगी बेड़े की सुरक्षा और तकनीकी मजबूती पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।