अगले दस वर्षों में भारत विश्व की बड़ी शक्ति होगा

Deepak Meena
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सोशल मीडिया कान्क्लेव 2023 का आयोजन, मीडिया एवं सोशल मीडिया क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कराया भारत और सनातन की ताकत का अहसास, देशभर से सोशल मीडिया एक्टीविस्ट हुए शामिल भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक जड़े बहुत मजबूत है। मतभेद और जाति जैसे मुद्दे इसकी उन्नति में बाधक नहीं बन सकते है। विश्व की हर समस्या, हर दुविधा का समाधान भारत की सनातन संस्कृति में निहित है। सनातन संस्कृति ही आने वाले दिनों में विश्व संस्कृति होगी। आने वाले दस सालों में विश्व का हर व्यक्ति सनातनी बनना चाहेगा। विश्व का नेतृत्व करने की सारी योग्यतायें भारत के पास है। जल्द ही भारत विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। शत्रु देश भारत का कुछ नहीं बिगाड़ पावेंगे, क्योंकि आज भारत बहुत ही मजबूत स्थिति में है। सालों तक हम जिस मानसिक गुलामी में जी रहे थे, अब उससे स्वतंत्र हो रहे है। भारतीय होने, सनातनी होने पर अब हमें आत्मग्लानि नहीं, आत्म गौरव होने लगा है। आने वाला समय सनातन संस्कृति का होगा, भारत का होगा, भारतीयों का होगा।

उक्त विचार सोशल मीडिया कान्क्लेव 2023 में मुख्य वक्ताओं ने व्यक्त किये। विश्व संवाद केंद्र, मालवा द्वारा रविवार को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के सभागृह में कान्क्लेव का आयोजन किया गया, जिसमें मालवा-निमाड के सैकड़ों सोशल मीडिया एक्टिविस्ट शामिल हुए। मुख्य वक्ताओं के रूप में कश्मीर की पहली महिला यूट्यूब ब्लागर याना मीर, आघ्यात्मिक गुरू स्वामी सूर्यदेव, वरिष्ट संपादक पद्मजा जोशी, पीएमओ के साथ सामाजिक मुद्दों पर कार्य करने वाले सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता ऋषि बागरी, राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप भंडारी, विचारक शुभ्र आस्था उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता के पूजन एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।

भविष्य का भारत विषय पर बोलते हुए अतिथियों ने कहा कि भारत आगे बढ़ने को तैयार है, लेकिन आंतरिक और बाहरी विरोधी ताकतें हमारी राह को रोकने में लगी हुयी है। हमें अपनी काबिलियत पर भरोसा है और एक विश्वास के साथ हमें आगे बढ़ना है। विश्व की किसी ताकत में हिम्मत नहीं है कि वह भारत का रास्ता रोक सके। आने वाले दस सालों में हम विश्व की तीसरी सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था होंगे। बाजार का एक भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जिसमें भारत आगे नहीं बढ़ेगा। आर्थिक और सांस्कृतिक मजबूती के साथ भारत विश्व के एक विशेष झोन में होगा, जिसे पीछे नहीं किया जा सकेगा। हमारी सनातन संस्कृति का ही आधार है कि पूरा विश्व आज भारत की तरफ हाथ बढ़ा रहा है। पड़ौसी देश आने वाले कुछ सालों में खुद ही भारत का हिस्सा बनने को तैयार हो जाएंगे। दस सालों में भारत विश्व का नेतृत्व करेंगा।

आध्यात्मिक गुरू स्वामी सूर्यदेवजी ने उद्घाटन सत्र में कहा कि हमें अपने संस्कारों और ज्ञान पर गर्व होना चाहिये।भारत और सनातन संस्कृति के खिलाफ षड़यंत्र चल रहा है। ऐसे में हमें आत्मबोध और शत्रुबोध दोनों होना चाहिये। विरोधी विश्वास के साथ झूठे नेरेटिव स्थापित कर रहे है, जबकि हम सही होकर भी मीमिया रहे है। हमें सनातन पर गर्व होना चाहिये। सनातन ही आत्मगौरव का भाव जगाता है। यह बात हमें समझना होगी। हमारी परम्पराओं, हमारी संस्कृति, हमारे खान-पान, हमारे त्यौंहारों, हमारी मान्यताओं, हमारे परिधानों को लेकर हमें सफायी देने की जरूरत नहीं है।

वरिष्ठ ब्लागर और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट शुभ्र आस्था ने कहा ने औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति के लिये छोटे-छोटे नवाचारी प्रयोगों का याद दिलाई। फ्रीडम आफ एक्सप्रेशन केवल वामपंथियों के लिये नहीं, हमारे लिये भी है। इसका जमकर उपयोग करना चाहिये। ऐसे समय में जब भारत को लेकर कई भ्रम फैलाये जा रहे हो। हमारी साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर पर लगातार हमले हो रहे है, जो गलत है। भारत की साहित्यिक धरोहर को बचाना है तो हमें आगे आना होगा और छोटे-छोटे कदम ही सही लेकिन कदम तो उठाने होंगे। भारतीय साहित्य को पाठ्यक्रम में शामिल करना होगा, केवल बाहरी साहित्य पर चर्चा से कुछ भी नहीं होगा। सम्मान में बुके नहीं बुक दे ताकि हमारी साहित्यिक धरोहर को बचाया जा सके। अपने स्थानीय त्यौहारों को जमकर सेलीब्रेट करें और लोगों तक पहुंचाये भी। इसके लिये सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम है।

वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप भंडारी ने छद्म सेकुलेरिजम पर अपने विचार व्यक्त किये । उन्होंने कहा कि हिंदू हमेशा से ही सेक्युलर था। उसका विश्वास सर्वधर्म भावना में था और हमेशा रहेगा। अल्पसंख्यक जहाँ भी संख्या में ज्यादा होने लगते है, वहाँ बहुसंख्यक कभी भी लीडर बनकर नहीं आ सकते है। यह बात हमें गंभीरता से समझना होगी। वक्फ बोर्ड का जमीनों पर कब्जा है, लेकिन कोई सवाल नहीं करता है। बोर्ड की सम्पत्ति लगातार बढ़ती जा रही है, जिस पर सभी मौन है। वक्फ क़ानून दीमक की तरह है और देश के लिये खतरा भी। इस पर हमें जागना होगा। सोशल मीडिया, डेमोक्रेटिक ओपिनियन का महत्वपूर्ण टूल है, जिसका उपयोग मूल मुद्दों के लिये हमें करना चाहिये। हम ही सनातन के रक्षक है, इसलिये आंखे, नाक और कान खोल कर जिये और सवाल पूछे ताकि सच्चाई सामने आ सके।

वरिष्ठ सम्पादक पद्मजा जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि 80 के दशक के बाद लोगों की मानसिकता में तेजी से बदलाव आया है। समाज में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे है। इस दौर में कान्वेंट संस्कृति का बोल-बाला था और इसी कारण मानसिकता भी वैसी ही थी। हिंदू तो दूर हिंदी बालने वालों को आत्मग्लानि होती थी, लेकिन समय के साथ लोगों की मानसिकता में बदलाव आया और आज हिंदी बोलने वाला गर्व महसूस कर रहा है। यही भाव मीडिया में भी आया। आज विचारधारा की लड़ायी है, जिसे लेकर भ्रम फैलाये जा रहे है। जैसे जातिवाद और सनातन को एक-दूसरे का पर्यायवाची बताया जा रहा है, जो गलत है। सनातन को लेकर सोशल मीडिया पर लगातार भम्र फैलाया जा रहा है। जैसे तमिलनाडू राज्य में हिंदी नहीं रहते है, लेकिन सच्चाई यह है कि उज्जैन के महाकाल मंदिर में खड़े हो जाए, तो कई हिंदू मिलेंगे जो तमिलनाडू के रहने वाले होते है। हम नाम के सनातनी नहीं है, हमारे पास तथ्य है और इन तथ्यों को सोशल मीडिया पर लाना ही चाहिये।

 

वरिष्ठ सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता ऋषि बागरी ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी आगे बढ़ रही है। यह बात ऐसे समय में और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है, जब विश्व की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट आ रही है। ब्रिटेन, जर्मनी जैसे कई मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देशों की हालत खराब है, ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। हमारी अर्थव्यवस्था की मजबूरी का एक उदाहरण यह है कि गरीब आदमी को भी आसानी से लोन मिल रहा है और वह उसकी किस्तों को बिना दबाव के चुका भी रहा है। डिजिटल लेन-देन से भारत का गरीब आदमी भी मजबूत हुआ है। चंद्रयान में पांच इंजन लगे है, जिसके कारण वह चांद पर आसानी से पहुंच गया है। इसी तरह हमारी अर्थव्यवस्था में करोडों़ माइक्रों इंजन लगे है, जिसके कारण वह तेजी से बढ़ रही है। भारत ने पिछले एक दशक में ऐसे कई काम किये, जिससे हमारा व्यापक दृष्टिकोण विश्व के सामने आया। भारत ने पिछले 10 सालों में 400 फाॅरेन सेटेलाइट्स लांच किये। बायोफ्यूल के प्रयोग से हमने 50 हजार करोड़ रूपये की बचत की। भारत की अर्थव्यवस्था पर विश्व की नजर है। आने वालें सालों में इसके बड़े प्रभाव देखने को मिलेंगे।

याना मीर ने कश्मीर में आये बदलावों पर अपने विचार व्यक्त किये। धारा 370 हटने से कश्मीर की आवाम का फायदा हुआ और भारत के लिये सोच भी बदली। भारत से कश्मीर के लिये मिलने वाला पैसा वहाँ का भ्रष्ट नेतृत्व खर्च नहीं कर अपनी तिजौरी में रख लेता था। ऐसे में कश्मीर की मासूम आवाम को लगता था कि भारत कुछ कर ही नहीं रहा है और उनका नजरिया विरोधी हो जाता था। आज वहाँ के हालात बदल रहे है। भारत के प्रति गलत नेरेटिव स्थापित होने का एक कारण शिक्षा व्यवस्था भी रही। कश्मीर में सरकारी स्कूलों के नहीं होने से लोगों को हर हाल में अपने बच्चों को मदरसों में भेजना होता था और वहाँ से ही गलत नेरेटिव सेट हो जाते थे। 2010 के पहले तो वहाँ के कई समाचार पत्र भी लश्कर और हिजबुल जैसे आंतकी संगठनों के कब्जों में ही थे और सरकारें मौन। कश्मीर में तेजी से हालात बदल रहे है। कश्मीर की आवाम आज सुकून महसूस कर रही है। वास्तव में कश्मीर में इस्लाम का शस्त्रीकरण किया जा रहा है। भड़काउ भाषण देने वाले मौलवी और मौलानाओं को जेल में डाल देना चाहिये। कश्मीर में आज लड़कियाँ भी आजाद महसूस कर रही है और ब्लागिंग में आगे आकर गलत नेरेटिव को खारिज कर रही है। राष्ट्र प्रथम की थीम पर आयोजित कान्कलेव में विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष दिनेश गुप्ता भी उपस्थित रहे।