नई दिल्ली : बुधवार को लखनऊ की सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 28 साल बाद बाबरी विध्संस केस में अपना फैसला सुना दिया. साक्ष्यों के अभाव में अदालत ने मामले में ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाते हुए सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया. फ़ैसले के बाद देश में कुछ विपक्षी दल फ़ैसले के विरोध में दिखें, जबकि कुछ दलों ने इस फ़ैसले का दिल खोलकर स्वागत किया.
इस मामले पर पड़ोसी देश पाकिस्तान की भी नजरें टिकी हुई थी. अदालत द्वारा फैसला दिए जाने पर पाकिस्तान ने इसके माध्यम से जहर उगलने की कोशिश की. हालांकि उसे इसका अब मुंहतोड़ जवाब भी मिला है. पाकिस्तान ने इस निर्णय पर कहा था कि, जिम्मेदारों को बरी करना शर्मनाक है. हम इसकी निंदा करते हैं.
पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते हुए प्रेस वार्ता में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि, भारत एक परिपक्व लोकतंत्र है जहां सरकार और जनता अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं और अदालत का फैसला स्वीकार किया जाता है. उन्होंने प्रेस वार्ता में आगे बताया कि, यह ऐसी व्यवस्था के लिए कठिन हो सकता है जहां जनता और अदालत की आवाज को सरकार चुप करा देती है.
बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को हुई बाबरी विध्वंस घटना में भाजपा के दिग्गज़ नेता पूर्व उप प्रधानमंत्री, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार सहित कुल 32 लोग आरोपी थे. अदालत ने अपना निर्णय देते हुए सभी को बरी कर दिया.