भारत ने डिफेंस के क्षेत्र में जुटाई जान, 35 दिन में किया इन मिसाइलों का किया परिक्षण

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नई दिल्ली। भारत-चीन के बीच चल रहे विवाद के चलते भारत पूर्वी लद्दाख सीमा रेखा को लेकर सतर्क हो गया है। वही, भारत ने ड्रैगन को पीछे धकेलने के लिए अपने रक्षा तंत्र को मजबूत करना शुरू कर दिया है। भारत ने दिन रात मेहनत करके अपनी पूरी ताकत लगा दी है। वही, कुछ दिनों से भारत लगातार ताकतवर मिसाइलों हथियारों के परीक्षण कर रहा है।

बता दे कि, भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)आने वाले दिनों में 800 किलोमीटर दूरी पर वार करने वाली निर्भय सब-सोनिक क्रूज मिसाइल परीक्षण करने जा रहा है। हालांकि, इस हथियार का प्रशिक्षण पहले भी हो चुका है लेकिन थलसेना नौसेना में औपचारिक रूप से इसके शामिल होने से पहले अंतिम बार इसका परीक्षण किया जाएगा। वही, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डीआरडीओ की ओर से पिछले लगभग एक महीने के भीतर ही भारतीय सेना का यह 10वां मिसाइल परीक्षण होगा।

वही, सूत्रों की मानें तो, डीआरडीओ इन दिनों मेड इन इंडिया कार्यक्रम को बढ़ावा देते हुए तेजी के साथ सामरिक परमाणु पारंपरिक मिसाइलों को विकसित करने पर जुटा हैं।

मीडिया में खबरों के अनुसार, DRDO की इस मुहीम के तहत अब तक भारत ने पिछले एक महीने के दौरान लगभग 4 दिनों पर एक मिसाइल का परीक्षण किया है। वही, DRDO के प्रोजेक्ट से जुड़े एक मिसाइल एक्सपर्ट का कहना है कि, चीन के साथ बिगड़ते संबंधों के बीच डीआरडीओ को सबकी नजरों से दूर कहा गया है कि फास्ट ट्रैक के तहत मिसाइल प्रोग्राम को पूरा करें क्योंकि भारत सरकार को सीमा पर शांति के लिए चीन के तरफ से किए गए प्रतिबद्धता पर शंका है।

पिछले कुछ दिनों में इन मिसाइलो का भारत द्वारा सफलता पूर्वक परीक्षण किया गया:

  • 7 सितंबर को भारत ने हाइपरसोनिक टेक्नॉलोजी डेमोनस्ट्रेटर वैकिल (एसएसटीडीवी) का परीक्षण किया।
  • इसके परीक्षण के करीब 4 सप्ताह के दौरान सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के एक्सटेंडेड रेंज वर्जन का परीक्षण किया गया।
  • इसके बाद परमाणु संपन्न शौर्य सुपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया।
  • DRDO ने परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल पृथ्वी -2 का परीक्षण भी किया, यह मिसाइल 300 किमी की दूरी पर लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम है। बता दे कि, यह भारत की पहली स्वदेशी सतह से सतह पर रणनीतिक मिसाइल है।
  • 9 अक्टूबर को भारत ने पहली स्वदेशी एंटी-रेडिएशन मिसाइल ‘रुद्रम-1’ का सफल परीक्षण किया।