डिजिटलाइजेशन में मोबाइल कंप्यूटर और लैपटॉप के बढ़ते इस्तेमाल ने आंखों से संबंधित समस्याओं को बढ़ावा दिया है, कार्य के दौरान 20 मिनट में 20 सेकंड का गैप जरूरी है – डॉ.राजदीप जैन कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल

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इंदौर. डिजिटलाइजेशन के इस दौर में मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर का इस्तेमाल बढ़ गया है वही इससे यंग जनरेशन में स्ट्रेस संबंधित समस्या देखने को सामने आ रही है। इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहां जाता है जिसके कारण आंखों में दर्द, आंखों में, सूखापन, सिरदर्द और अन्य प्रकार की समस्याएं देखने को सामने आ रही है। वही बच्चों में भी मोबाइल और कंप्यूटर पर पढ़ाई करने की वजह से निकट दृष्टि दोष की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है। हमारे खान-पान में मिलावट तो भोजन से हरी सब्जियां, फल फ्रूट, दुग्ध के सेवन में कमी आई है। इसके चलते आंखों के लिए जरूरी विटामिन A, विटामिन B कॉम्प्लेक्स पुरानी जरूरी विटामिन नहीं मिल पाते है। इन सब के चलते हमारी बॉडी के मैकेनिज्म पर गलत असर पड़ता है और इसका असर हमारी आंखों पर देखने को मिलता है।यह बात डॉक्टर राजदीप जैन ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही वह शहर के प्रतिष्ठित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल में ऑप्थोमोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

सवाल. मायोपिया से संबंधित समस्या क्या है

जवाब. वर्तमान समय में गैजेट्स का लगातार बढ़ता चलन, घर और ऑफिस की चार दीवारी में सीमित जीवन, शारीरिक सक्रियता की कमी और जंक फूड्स का बढ़ता चलन हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ही नहीं हमारी आंखों की सेहत को भी प्रभावित कर रहा है। निकट दृष्टि दोष को चिकित्सीय भाषा में मायोपिया कहते हैं, इसमें दूर की चीजों को स्पष्ट रूप से देखने में परेशानी आती है। मायोपिया में आंख की पुतली (आई बॉल) का आकार बढ़ने से प्रतिबिंब रेटिना पर बनने के बजाय थोड़ा आगे बनता है। ऐसा होने से दूर की वस्तुएं धुंधली और अस्पष्ट दिखाई देती हैं। इसे ठीक करने के लिए कॉन्केव लैंस का इस्तेमाल किया जाता है। वही कई बार लोग मल्टीनैशनल कंपनी में काम करते हैं तो कार्य के दौरान आंखें नहीं झपकाते हैं जो कि गलत है लंबे समय तक जोर देकर एक ही चीज को देखना आंखों के लिए हानिकारक होता है। कार्य के दौरान 20 मिनट में 20 सेकंड का गैप रखना चाहिए वही ब्रेक के दौरान लगभग 20 फीट की दूरी पर देखना चाहिए। वही लैपटॉप पर कार्य के दौरान मुंह दीवार की तरफ करने के बजाय खुली और होना चाहिए ताकि हमारी नजर दीवार की जगह खुले में गिरे।

सवाल. मोतियाबिंद से संबंधित समस्या क्या है, यह किन कारणों से होती है

जवाब. बात अगर मोतियाबिंद की कि जाए तो यह आमतौर पर 50 से 70 साल की उम्र के बाद देखा जाता है। इसमें आंखों के लेंस पर धुंधलापन आ जाता है। लेंस रेटीना पर इमेज नहीं बना पाता है। जिस वजह से रात ।ए दिखाई नहीं देना, गाड़ी चलाने में समस्या और अन्य प्रकार की समस्या देखने को सामने आती है। वहीं कई लोगों मैं आजकल ज्यादा स्टेरॉयड के इस्तेमाल और अन्य कारणों के चलते हैं पीएससी मोतियाबिंद दिखाई देता है। इसमें आमतौर पर मरीज को ज्यादा उजाले में कम दिखाई देता है। मोतियाबिंद की समस्या को अगर नजरअंदाज किया जाना सही नहीं है। सही समय पर इलाज नहीं होने से इसमें लेंस फूल जाता है और कांच बिंदु (ग्लूकोमा)में बदल जाता है। जिससे आंखों की रोशनी जाने का खतरा बना रहता है। इसके शुरुआती लक्षण को ध्यान में रखते हुए इसका इलाज कर इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता।

सवाल आंखों से चश्मा हटाने के लिए रिफ्रैक्टिव सर्जरी क्या है क्या इसमें इंप्रूवमेंट हुआ है

जवाब. वर्तमान समय में रिफ्रैक्टिव सर्जरी में बहुत ज्यादा इंप्रूवमेंट हुआ है। इसकी मदद से आंखों के चश्मे हटाए जाते हैं। इस सर्जरी की मदद से आंखों के कोर्निया को रिशेप किया जाता है।इस सर्जरी को चश्में व कॉन्टैक्ट लेंस लगाने या इससे छूटकरा पाने के लिए किया जाता है। 18 से 21 वर्ष के बाद नंबर स्थिर हो जाते है तो ऐसे व्यक्ति के लिए यह सर्जरी की जाती है। इस सर्जरी में पहले के मुकाबले आंखों में नंबर वापस आने के बहुत कम चांस रहते हैं। मैंने अभी तक 100 से ज्यादा सफल सर्जरी कर दी है। इसके लिए भी कई प्रकार की सर्जरी की जाती है वही अभी वर्तमान में सबसे ज्यादा प्रचलित और लेटेस्ट स्माइल सर्जरी है इस सर्जरी में रिकवरी जल्दी होती है साथ ही आंखों में आंसू, आंखे लाल होना जैसी समस्या नहीं होती है।

सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है

जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस और एमएस की पढ़ाई शहर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पूरी की है। वही मैंने सद्गुरू नेत्र चिकित्सालय आनंदपुर से एंटीरियर सेगमेंट ऑफ आई में मैंने फैलोशिप प्रोग्राम में हिस्सा लिया है। वही मैंने कई ट्रेनिंग और अन्य फैलोशिप प्रोग्राम में भी हिस्सा लिया है। अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद मैंने महावीर नेत्र चिकित्सालय ललितपुर, नवजीवन हेल्थ केयर और शहर के कई प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में मैंने अपनी सेवाएं दी है। वहीं वर्तमान में शहर के प्रतिष्ठित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल में ऑप्थोमोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।