इंदौर। आज के दौर में हर व्यक्ति तनाव में नज़र आता है, और यह युवाओं में खासकर ज्यादा देखने को सामने आता है। जिस वजह से हार्ट संबंधित समस्या बढ़ जाती है। जब भी व्यक्ति तनाव में होता है तो बीपी बढ़ जाता है, और हार्ट की आर्टरी में मौजूद छोटे प्लाक्स रपचर हो जाते हैं, जब प्लाक रपचर होते हैं, तो इस जगह पर ब्लड का क्लॉट जमा हो जाता है। जिस वजह से ब्लॉकेज बड़ा हो जाता है, और इन कारणों से हार्ट अटैक आने की संभावना बढ़ जाती है। यह बात डॉक्टर शिप्रा श्रीवास्तव ने अपने साक्षात्कार के दौरान कहीं। वह मेदांता अस्पताल में कार्डियक विभाग में अपनी सेवाएं दे रही है। वह वेल्व की सर्जरी, वेस्कुलर सर्जरी और अन्य प्रकार की सर्जरी करते हैं।
हार्ट ब्लॉकेज तो एक हिस्सा है, दूसरी भी समस्या होती है हार्ट में
हार्ट में ब्लॉकेज तो एक छोटा सा हिस्सा है, इसके सिवा हार्ट में वैल्व डिजीज होती है। जिसे ज्यादातर बदल देते हैं, लेकिन हम उसे रिपेयर करते है। इस वजह से आपको खून पतला करने की दवाई खाने की जरूरत नहीं होती है। उन्होंने अपनी एमबीबीएस और एमएस की पढ़ाई रविशंकर यूनिवर्सिटी रायपुर से पूरी की है। इसके बाद उन्होंने एमसीएच श्री चित्रा इंस्टीट्यूट केरल से कंप्लीट किया है। उन्होंने दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल, रायपुर एस्कॉर्ट हॉस्पिटल, नवलौका हॉस्पिटल कोलंबो, मेदांता हॉस्पिटल गुड़गांव और देश के विभिन्न हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दी है।
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लाइफ स्टाइल इंडोर हो गई, स्ट्रेस भी है कारण हार्ट की समस्या का
हमारी लाइफ स्टाइल इंडोर हो गई है, पहले के मुकाबले फिजिकल एक्टिविटी काफी कम हो गई है। आज के दौर में यंग जनरेशन में भी हार्ट से संबंधित समस्या देखने को मिलती है। जो कि बहुत ज्यादा मानसिक तनाव, फैमिली हिस्ट्री, ऑयली फूड बटर से बढ़ता कोलस्ट्रॉल, डायबिटीज़, ब्लड प्रेसर, और अन्य प्रकार की समस्या हार्ट से संबंधित समस्या का कारण बनती है। मानव जीवन में अगर सबसे ज्यादा घातक बीमारी में यह शामिल है। इसकी रोकथाम के लिए सही समय पर उपचार और लाइफ स्टाइल को बदलना जरूरी है।
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अचानक कुछ नहीं होता है, हार्ट की समस्या होती है तभी हार्ट अटैक आता है।
हार्ट के 50 प्रतिशत पेशेंट में कोई समस्या दिखाई नहीं देती है, फिर अचानक हार्ट से संबंधित घटनाएं सामने आती हैं। असल में उन्हे समस्या तो होती है, पर चेकअप न कराने से वह बीमारी पकड़ में नहीं आती है। खासकर जिनकी फैमिली हिस्ट्री होती है, ऐसे लोगों को 35 साल के बाद चेकअप करवाना चाहिए। पहले के मुकाबले अब उपचार, और स्क्रीनिंग बेहतर हो गई है, बीमारियां जल्दी पकड़ में आ जाती है।