अतुल जोशी उत्तराखंड़ में प्रसिद्ध राजनीतिक चेहरो में से एक हैं। हरीश रावत के बेहद करीबी माने जाने वाले अतुल युवा व्यवस्था से ही सामाजिक- राजनीतिक कार्यों में सक्रिय रहे हैं। गैर राजनीतिक परिवार की पृष्ठभूमि से सम्बन्ध रखने वाले अतुल के पिता डिफेंस में और माँ आर्मी स्कूल की अध्यापिका थीं। शुरुवाती शिक्षा आर्मी स्कूल रानीखेत में हुई।
अर्थशास्त्र से परास्नातक करने के दौरान ही अतुल छात्र राजनीति में सक्रिय रहते हुए 1995 में छात्रसंघ के उपाध्यक्ष के साथ कार्यकारी अध्यक्ष का पदभार भी संभाला। छात्र राजनीति के दौरान गांधीवादी विचारों से प्रभावित होकर 1996 में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन में अतुल की भूमिका महत्वपूर्ण रही। इस दौरान ही राजेश पायलट के साथ भी काम करने का मौका भी अतुल को मिला। राजनीतिक सक्रियता के कारण हरीश रावत के साथ नजदीकिया आए। साल 2004 में हरीश रावत के सांसद बनने के बाद उन्होंने अतुल को अपना प्रतिनिधि के तौर पर चयन किया। इस दौरान अतुल जोशी ने अपने कार्यो का सफतापूर्वक निर्वाह किया। वर्ष 2005 से 2009 तक टीएसी सदस्य के रूप भी काम किया। साल 2009 से 2012 तक विधायक करन मेहरा के प्रतिनिधि के तौर पर अतुल जोशी ने काम किया। अतुल जोशी के कार्यो को देख सभी ने इनको सराहा और पार्टी के इनका कद लगातार बढ़ता गया। साल 2015 में पार्टी ने इनको प्रदेश प्रवक्ता का पदभार दिया। राज्य कांग्रेस के अतुल जोशी तेजतर्रार प्रवक्ता के तौर पर जाने जाते है। बेदाग छवि रखने वाले नेता अतुल का कहना है कि पूर्व की तुलना में आज राज्य में कांग्रेस स्थिति कमजोर होती जा रही है। इस कमजोर स्थिति का कारण वो राज्य के वरिष्ठ नेताओं को बताता है। यदि यह स्थिति बनी नहीं तो आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी नुकसान हो सकता है। राजनीतिक उथलपुथल के कारण राज्य में नए दलों की सक्रियता कांग्रेस को गंभीर नुकसान पहूँच सकती हैं। राज्य की राजनीति में होते दखल को देख twitter और facebook नके माध्यम से अतुल जोशी ने अपनी व्यथा को व्यक्त किया।
https://twitter.com/…/status/1359962243711070208/photo/1