अगले 24 घंटों में प्रदेश के इन 7 जिलों में गरज-आंधी के साथ बरसेंगे बादल, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

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मध्य प्रदेश का मौसम एक बार फिर से बदल गया है। मौसम विभाग के अनुसार, अब प्रदेश में बारिश की मात्रा में कमी आ सकती है। गुरुवार को प्रदेश के कई जिलों में बारिश हुई, जबकि कुछ जिलों में बारिश की हल्की गतिविधि देखने को मिली।

प्रदेश में मौसम का मिजाज

विशेष रूप से गुरुवार को सात प्रमुख स्थानों पर बारिश रिकॉर्ड की गई। सुबह 8:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक छतरपुर के खजुराहो में 4 मिलीलीटर, ग्वालियर में 1 मिलीलीटर, सिवनी में 0.4 मिलीलीटर, सतना में 0.2 मिलीलीटर, खरगोन जिले में 9 मिलीलीटर, रीवा में 7 मिलीलीटर और टीकमगढ़ में 6 मिलीलीटर बारिश हुई। अन्य जिलों में मौसम अपेक्षाकृत शुष्क रहा। मौसम विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का एक क्षेत्र बन गया है, और मानसून द्रोणिका भी प्रदेश के मंडला जिले से होकर गुजर रही है। इन मौसम प्रणालियों के कारण आने वाले दिनों में जबलपुर, रीवा, शहडोल और सागर संभाग के जिलों में मध्यम बारिश की संभावना है, जबकि अन्य जिलों में भी हल्की बारिश होने की उम्मीद है।

इन जिलों में भारी बारिश का अलर्ट

मौसम विभाग ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में आंध्र प्रदेश और उड़ीसा के तट पर कम दबाव का क्षेत्र सक्रिय है। यह क्षेत्र अगले दो दिनों में उत्तर दिशा में बढ़कर पश्चिम बंगाल और उत्तरी उड़ीसा तक पहुंच सकता है और अवदाब का क्षेत्र बन सकता है। मानसून द्रोणिका सूरतगढ़, रोहतक, उरई, मंडला से होते हुए बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र तक बनी हुई है। इसके अलावा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा पर दवाओं के ऊपरी भाग में एक चक्रवात सक्रिय है, और मणिपुर तक एक द्रोणिका का प्रभाव है। राजस्थान के मध्य में भी एक चक्रवात बना हुआ है।

इन जिलों में गरज-चमक के साथ बारिश संभावना

इन सभी मौसम प्रणालियों के प्रभाव से आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर अच्छी बारिश होने की संभावना है। विशेषकर शुक्रवार से पूर्वी मध्य प्रदेश के जिलों में बारिश की गतिविधियों में तेजी आ सकती है, जैसे कि रीवा, शहडोल, सागर, और जबलपुर संभाग में मध्यम बारिश का सिलसिला शुरू हो सकता है। इसके अलावा, अन्य क्षेत्रों में भी गरज चमक के साथ हल्की बारिश की आशंका है। एक जून से शुरू हुए मानसूनी सीजन से लेकर 5 सितंबर तक की स्थिति में, प्रदेश में औसत से 10% अधिक बारिश हो चुकी है। पूर्वी मध्य प्रदेश के जिलों में औसत से 6% अधिक और पश्चिमी मध्य प्रदेश में औसत से 13% अधिक पानी गिर चुका है।