लखीमपुर खीरी हिंसा में आशीष मिश्रा पर इन धाराओं में आरोप तय, अपराध सिद्ध हुए तो क्या होगी सजा?

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उत्तर प्रदेश में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रर्दशन कर रहे थे। उस दौरन उनपर जीप से कुछ किसानों को कुचल दिया था। जिसमें उनकी मौत हो गई थी। इस मामलें मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू सहित 14 लोगों के खिलाफ मंगलवार को आरोप तय कर दिए गए है। यह आरोप लखीमपुर की एडीजे फर्स्ट कोर्ट ने तय किए है। आशीष पर आईपीसी और मोटर व्हीकल एक्ट की धारा में आरोप तय हुए हैं। अब इस मामले में 16 दिसंबर से ट्रायल शुरू होगा और उसी दिन से वादी मुकदमा की गवाही शुरू हो जाएगी।

क्या है पूरा मामला

बता दें कि लखीमपुर जिले के तिकुनिया थाना क्षेत्र में 3 अक्टूबर 2021 को हिंसा हो गई थी। आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू के इशारे पर थार जीप से प्रदर्शनकारी किसानों को कुचल दिया गया था। घटना में चार किसान की मौत हो गई थी। हिंसा भड़कने के बाद कुल 8 लोगों की जान गई थी। यहां तीन कृषि कानून के विरोध में किसान धरना देने और मंत्री अजय मिश्रा के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए जुटे थे। जबकि पास के गांव में दंगल कार्यक्रम में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और मंत्री अजय मिश्रा की मौजूदगी थी। इस घटना में कई किसानों की मौत हो गई थी। कुछ घायल हुए थे. मंत्री पुत्र की कार के ड्राइवर को भीड़ ने पीट-पीट कर मार दिया था।

आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 326, 307, 302, 120 B, 427 में आरोप तय किए हैं। इसके अलावा, मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 177 में भी आरोप तय हुए हैं। इसके अलावा, अलग-अलग धाराओं में भी आरोप तय हुए हैं। इनमें आरोपी सुमित जायसवाल के खिलाफ धारा 3/25, आशीष मिश्रा, अंकितदास, लतीफ, सत्यम पर धारा 30, नंदन सिंह विष्ट पर धारा 5/27 में भी आरोप तय हुए हैं।

आशीष मिश्रा पर इन धाराओं में आरोप तय किए

IPC 302/307/326/147/148/149/427/120B, 177MV Act

  • धारा 302- कोई भी व्यक्ति अगर हत्या का दोषी साबित होता है तो उस पर आईपीसी की धारा 302 लगाई जाती है। इस धारा के तहत उम्रकैद या फांसी की सजा और जुर्माना हो सकता है। या फिर सजा और जुर्माना दोनों लगाया जा सकता है. हालांकि, कोर्ट घटना का मकसद जानने के बाद सजा तय करती है।
  • धारा 307- हत्या की कोशिश के मामले में आरोप साबित होने पर सजा सुनाई जाती है। किसी इरादे या फिर जानबूझकर किया गया काम अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है तो उस व्यक्ति को हत्यारा माना जाएगा और उसे इस सजा के लिए आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी, जिसे 10 साल तक और बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही दोषी को आर्थिक जुर्माना भी देना होगा।
  • धारा 326- खतरनाक हथियार से चोट पहुंचाने की कोशिश। ये धारा उस कार्य का अपराधीकरण करती है, जिसमें खतरनाक हथियारों या साधनों से स्वेच्छा से चोट पहुंचाना शामिल है। जिससे मृत्यु होने की संभावना हो, इस धारा का हिस्सा माना जाएगा।
  • धारा 147- जो कोई बलवा करने का दोषी होगा, वह किसी तरह के कारावास से दंडित होगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकती है। या फिर उस पर आर्थिक जुर्माना लगाया जाएगा या फिर उसे दोनों प्रकार से दंडित किया जाएगा।
  • धारा 148- जो भी कोई घातक हथियार या किसी ऐसी चीज, जिससे मॄत्यु होना संभव हो लेकर उपद्रव करेगा तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
  • धारा 149- अगर गैरकानूनी जमावड़े में शामिल किसी सदस्य द्वारा अपराध किया जाता है, तो ऐसे जमावड़े का हर अन्य सदस्य उस अपराध का दोषी होगा। ऐसे मामले में अपराध के अनुसार सजा मिलती है।
  • धारा 427- जो कोई कुचेष्टा (गलत प्रयत्न) करेगा और उससे 50 रुपए से ज्यादा का नुकसान हो तो ऐसे व्यक्ति को एक अवधि की कारावास या जुर्माना लगाकर या फिर दोनों से ही दंडित किया जाता है. ये एक संज्ञेय अपराध है।
  • धारा 120B- ये आपराधिक साजिश के संबंध में है. अपराध करने के लिए आपराधिक षड्यंत्र करना शामिल है. मृत्यु के साथ दंडनीय, आजीवन कारावास या 2 साल के लिए सश्रम कारावास या उससे ज्यादा सजा हो सकती है।
  • धारा-177 MVA- ट्रैफिक नियम तोड़ने पर पहले 100 रु. का जुर्माना लगता था. अब 500 रुपए जुर्माना लगेगा।
  • धारा 30- मूल्यवान प्रतिभूति से संबंधित है. कोई डॉक्यूमेंट, जो लीगल राइट क्रिएट करता हो. जिसे स्थानांतरित, सीमित, नष्ट किया जाए या छोड़ा जाए या जिसके द्वारा कोई व्यक्ति यह स्वीकार करता है कि वह कानूनी दायित्व के अधीन है, या कोई क़ानूनी अधिकार नहीं रखता है।

16 दिसंबर से केस का ट्रायल शुरू हो जाएगा

लखीमपुर हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू समेत 13 आरोपियों ने खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए एडीजे फर्स्ट कोर्ट में डिस्चार्ज एप्लीकेशन दाखिल की थी, जिसे एक दिन पहले ही एडीजे फर्स्ट की कोर्ट ने खारिज कर दिया था। 6 दिसंबर 2022 को आरोप तय किए जाने का दिन मुकर्रर किया था। मंगलवार को एडीजे फर्स्ट की कोर्ट ने मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू समेत सभी 14 आरोपियों पर आरोप तय कर दिए हैं।

जिला शासकीय अधिवक्ता अरविंद त्रिपाठी ने बताया कि कोर्ट में आशीष मिश्रा समेत 13 आरोपियों ने डिस्चार्ज एप्लीकेशन डाली थी। सिर्फ एक अभियुक्त ने प्रार्थना पत्र नहीं दिया था। आज मामले में आरोप पत्र बना दिए गए और अगली तारीख 16 दिसंबर नियत की गई है। 16 दिसंबर को मुकदमा वादी का साक्ष्य होगा और ट्रायल शुरू हो जाएगा। अभियोजन पक्ष पूरी तरह तैयार है. आरोप वही पुराने हैं. डिस्चार्ज एप्लीकेशन में कहा गया था कि हम निर्दोष हैं। हमने कोई घटना नहीं की, लेकिन कोर्ट ने आरोप खारिज कर दिए। अब साक्ष्य के लिए केस लग गया है।