आबिद कामदार, इंदौर. मशरुम में प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन्स और कई पोषक तत्व और गुण पाए जाते है, इसकी नेशनल और इंटरनेशनल मार्केट में काफी डिमांड रहती है, शहर के होलकर साइंस कॉलेज द्वारा एक एसी रूम में मशरूम उगाया जा रहा है, हाल ही में इस प्रोग्राम की शुरुआत विभाग द्वारा की गई है, जिसमें इच्छुक लोगों को ट्रेनिंग दी जा रही है। विभाग द्वारा छोटे एक कमरे में स्टिल के स्टैंड पर भूसे के बने छोटे बॉक्स रूपी गोले तैयार किए गए है, इनसे निकलकर हर रोज लगभग 2 किलो मशरूम का प्रोडक्शन हो रहा है। मशरूम के लिए ह्यूमिडिटी और लॉ टेंपरेचर 22 से 25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए इसी को ध्यान में रखते हुए बॉटनी विभाग द्वारा इस छोटे रूम में ऐसी लगाया है। रोजाना इन मशरूम पर पानी का स्प्रे किया जाता है, जल्द ही बटर मशरूम भी विभाग द्वारा तैयार किया जायेगा।
6 माह के कोर्स में दी जाती है जानकारी
जानकारी देते हुए संजीदा इकबाल हेड ऑफ डिपार्टमेंट बॉटनी ने बताया कि होलकर साइंस के बॉटनी विभाग द्वारा मशरूम कल्टीवेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया जा रहा है। जिसमें 6 महीने का सर्टिफिकेट भी होलकर साइंस के बॉटनी डिपार्टमेंट द्वारा प्रदान किया जाता है। जिसमें मशरूम को किन चीजों पर उगाकर भारी लाभ कमाया जा सकता है। मशरूम की खेती में शहर के इच्छुक लोगों को यहां बहुत कम फीस में जानकारी और ट्रेनिंग दी जाती है।
मशरूम से पास्ता, पिज्जा और अन्य चीज बनाई जाती है
मशरूम का इस्तेमाल फ्रेश और ड्राय फॉर्म में पाउडर के रूप में भी किया जाता है, मशरूम प्रोटीन का एक बेहतर स्त्रोत है, इसकी नेशनल और इंटरनेशनल मार्केट में काफी वैल्यू है। इसकी मदद से सूप, पास्ता, पिज्जा, सब्जियों में मिलाकर और अन्य खाद्य सामग्री के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसमें प्रोटीन के अलावा विटामिन्स, और मिनरल्स मौजूद होते है, कार्बोहाइट्रेड बहुत कम मात्रा में होता है, इसका इस्तेमाल डायबिटिक पेशेंट भी कर सकते हैं।
बोरी, भूसा और अन्य माध्यम पर मशरूम को तैयार किया जा सकता
मशरूम को तैयार करने के लिए किसी खेत या बड़े पॉली हाउस की आवश्यकता नहीं होती है, इसे लकड़ियों के पिंजरे पर टाट लटकाकर तैयार किया जा सकता है, इसी के साथ फसलों से निकलने वाला गेहूं भूंसा, चावल का भूसा, पत्तियां, गन्ने का वेस्ट मटेरियल और अन्य चीजों को बीज के साथ मिलाकर पॉलिथीन, नारियल, टाट और अन्य कंटेनर में भिगोने के बाद भरकर इसे तैयार किया जा सकता है।
Also Read : इंदौर के विक्रांत इंस्टीट्यूट में होनहार स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप के माध्यम से दी जाती है शिक्षा
6 महीने के दौरान ट्रेनिंग और अन्य चीजों के बारे दी जाती है जानकारी
यह एक साइंटिफिक प्रोसीजर है जिसमें ट्रेनिंग के दौरान सिखाया जाता है, जिसमें मशरूम के रखरखाव के दौरान टेंपरेचर, खाद, पानी की नमी और अन्य चीजों के बारे में प्रेक्टिकल और थियोरिटिकल नॉलेज दिया जाता है। एक छोटे बैग से तीन बार के हिसाब से हर बार 3 किलो इसका उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है, सूखे हुए मशरूम की इंटरनेशनल और नेशनल मार्केट में यह 500 से 800 रुपए किलो तक बिकता है। वहीं फ्रेश मशरूम का 200 ग्राम का पैकेट 50 रुपए तक बिकता है।
कॉलेज स्टूडेंट्स इस तैयार कर कॉलेज कैंपस में बेच रहे
मशरूम के इस कोर्स में अभी लगभग 20 स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया है, वह कॉलेज के बॉटनी डिपार्टमेंट में बने रूम में इसे तैयार कर रहे हैं। कॉलेज स्टूडेंट्स इस मशरूम को कॉलेज कैंपस में ही उगाकर प्रोफेसर और अन्य लोगों को बेच देते हैं। इसी के साथ यह स्टूडेंट्स आगे मशरूम में अपना स्टार्टअप शुरू करे इस मकसद से बैंक, एमएसएमई के डायरेक्टर और अन्य विभाग यहां आकर स्टूडेंट्स का मार्गदर्शन करते हैं।