बदलापुर के एक स्कूल में पढ़ने वाले दो बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न की गंभीर घटना सामने आई है। इस घटना ने पूरे महाराष्ट्र को हिला दिया है। आरोपी अक्षय शिंदे को 24 अगस्त तक पुलिस हिरासत में भेजा गया है। इस मामले की सुनवाई आज बॉम्बे हाई कोर्ट में हुई, जहां कोर्ट ने स्कूल प्रशासन और पुलिस को कड़े शब्दों में फटकार लगाई।
बॉम्बे हाई कोर्ट की पहल:
बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में सुमोटो याचिका दायर की है और आज सुबह इसकी तत्काल सुनवाई की गई। कोर्ट ने मांग की है कि बदलापुर के यौन उत्पीड़न मामले की जांच हाई कोर्ट की निगरानी में एसआईटी से कराई जाए। जस्टिस भारती डांगरे की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की, जिसमें राज्य के अटॉर्नी जनरल बीरेंद्र सराफ ने अब तक की जांच की जानकारी पेश की। एसआईटी प्रमुख आरती सिंह और सुधाकर पठारे ने कोर्ट में अपना बयान दिया और पीड़ित लड़कियों के बयान दर्ज किए गए।
जांच की स्थिति और कोर्ट के निर्देश:
अटॉर्नी जनरल बीरेंद्र सराफ ने बताया कि जांच तेजी से चल रही है और एसआईटी का गठन कर दिया गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्कूल प्रशासन और पुलिस को इस मामले में कड़ी फटकार लगाई और दस्तावेजों की जांच करने का आदेश दिया। कोर्ट ने पूछा कि शिकायत दर्ज करने में देरी क्यों हुई और मामले की एफआईआर में कुछ पहलुओं का जिक्र क्यों नहीं है।
कोर्ट की टिप्पणियाँ और सवाल:
जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण ने पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए पूछा कि अब तक की जांच की स्थिति क्या है। उन्होंने शिकायत दर्ज करने में देरी पर भी सवाल किया और पूछा कि क्या पीड़ित लड़की के घर पर बयान दर्ज करते समय कल्याण अधिकारी मौजूद थे। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्यों इस अपराध के दस्तावेज़ कोर्ट में नहीं दिखाए गए और सरकारी वकील द्वारा माता-पिता के नाम का उल्लेख क्यों किया गया।
नकामी और स्कूल की भूमिका:
कोर्ट ने यह भी चिंता जताई कि सरकारी वकील ने एक लड़की का बयान रिकॉर्ड किया, लेकिन दूसरी लड़की का बयान क्यों नहीं लिया गया। बदलापुर पुलिस की कार्यशैली को नकारात्मक बताते हुए अदालत ने कहा कि पुलिस की गैर-जिम्मेदारी के कारण उन्हें निलंबित किया गया है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि स्कूल के निदेशक को इस मामले पर ध्यान देना चाहिए और दूसरी लड़की का बयान आज ही दर्ज किया जाए।