शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति में भाजपा सरकार ने आरक्षण अधिनियम की उड़ाईं धज्जियां?

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पिछड़ा वर्ग विकास मोर्चा मध्यप्रदेश(Backward Classes Development Front Madhya Pradesh) के प्रांतांध्यक्ष महेंद्र सिंह(Provincial President Mahendra Singh) ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से सूबे की शिवराज सरकार पर आरक्षण अधिनियम की धज्जियां उड़ाने जैसा बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि 17 फरवरी 2022 को भाजपा सरकार ने महाधिवक्ता कार्यालय में अतिरिक्त महाधिवक्ता, उप महाधिवक्ता, और शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्तियां(appointment of government advocates) की हैं। इन नियुक्तियों में आरक्षण अधिनियम का पालन नहीं किया गया है। सरकार द्वारा नियमों का पालन किये बिना मनमाने तौर पर ये नियुक्तियां की गई हैं।

आरक्षण अधिनियम 1994 में स्पष्ट प्रावधान है कि शासन की किसी भी प्रवेश परीक्षा,और नियुक्तियों में आरक्षण अधिनियम 1994 के नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा,तथा नियुक्ति कर्ता अधिकारी नियुक्ति आदेश के अंत में इस बात का प्रमाणित करेगा कि नियुक्तियों में आरक्षण अधिनियम के प्रावधानों का पालन किया गया है।

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किंतु सरकार द्वारा की गई यह नियुक्तियां आरक्षण अधिनियम की धज्जियां उड़ाती हुई प्रतीत होती है। इन नियुक्तियों में 80%से अधिक पदों पर सामान्य वर्ग के अधिवक्ता नियुक्त कर दिए गए हैं। भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह यह कहते नहीं थकते की भाजपा ओबीसी,एस सी,और एसटी के हितों में कोई भी कसर नहीं छोड़ेगी। किंतु,जब भी किसी नियुक्ति का प्रश्न होता है वहां पर आरक्षण अधिनियम की धज्जियां उड़ा दी जाती हैं।

इन नियुक्तियों में भी यही हुआ है ।यह नियुक्तियां ओबीसी एससी और एसटी के हितों के साथ खिलवाड़ करने वाली है।भाजपा सरकार इन नियुक्तियों को रद्द कर पुनः आरक्षण अधिनियम का पालन करते हुए नियुक्तियां करे।आजओबीसी ,एस सी,और एस टी वर्ग के लाखों बेरोजगार युवा रोजगार के इंतजार में हैं।

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सामान्य वर्ग के लोग पूर्व से ही सरकार के 80%पदों पर काबिज है। और भाजपा सरकार निरंतर सामान्य वर्ग को ही और नियुक्तियां देती चली जा रही है। सरकार की इस मनमानीं से आरक्षित वर्ग के युवाओं के मन में व्यापक असंतोष और आक्रोश ब्याप्त हो रहा है। जिसका खामियाजा आगामी विधानसभा, लोकसभा, नगर पालिका, पंचायत चुनाव, और सहकारिता विभाग के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ेगा।